बारामती में फूटेगा राजनीतिक पटाखा
INN/Mumbai, @Infodeaofficial
पहली बार पवार खानदान की दीवाली अलग अलग मंचो पर होगी। चाचा शरद पवार गोविंद बाग में तो भतीजे अजीत काटेवाड़ी में अपने मतदाता और समर्थको से गले मिल रहे होंगे। दरअसल बारामती की जनता के लिए पवार परिवार की दीवाली वर्षों से आकर्षण रहा है जब इस मौके पर पवार फैमिली तमाम मतभेदों को भुलाकर एक मंच पर आते थे और समारोह में आए लोगों से स्नेहपूर्वक मिलते थे लेकिन यह वर्षों पुरानी परंपरा शनिवार की शाम ध्वस्त हो जायेगी क्योंकि दोनो की जनता, मतदाता और मंच अलग होंगे।
साल 2023 के अप्रैल महीने में बड़े पवार से अलग होकर अजीत पवार ने अलग पार्टी बनाई थी जब भी जनता के दिल में ये उत्सुकता थी इस बार की दीपावली में पवार परिवार एक मंच पर आती है या नही? हालांकि उस दीपावली में अजीत पवार सपरिवार उत्सव में शामिल हुए। पार्टी में विभाजन के बाद भी पवार परिवार अविभाजित रहा।
पवार परिवार के बीच विभाजन की लकीरें तब लंबी हुई जब साल 2024 के लोकसभा चुनाव के बड़े पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को बारामती लोकसभा सीट से चुनावी दंगल में उतारा। तब अजीत पवार भी पीछे नहीं रहे और अपनी पत्नी सुनेत्रा को सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनावी समर में उतार दिया, चुनाव में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने तो बाजी मार ले गई लेकिन पारिवारिक कटुता चरम पर पहुंच गई।
बिगुल विधानसभा चुनाव का बजा तो बारामती विधानसभा सीट से सात बार के विधायक अजीत पवार आठवी बार चुनावी मैदान में आए तो बड़े पवार ने सियासी बिसात बिछाकर अजीत पवार के भतीजे योगेंद्र पवार को चुनावी मैदान में उतारकर बड़े पवार ने वही दर्द दिया है जो सुनेत्रा की उम्मीदवारी पर शरद पवार को मिला था।
चाचा भतीजे की लड़ाई अब सियासी मैदान में शुरू हो गई है। पूरे गन्ना उत्पादक क्षेत्र में एनसीपी बनाम एनसीपी की लड़ाई में 38 सीटों पर मुख्य मुकाबला है। इस मुकाबले में तय होंगे की शुगर बेल्ट का असली बादशाह कौन है। अजित पवार ने अपने सभी विधायकों को टिकट देकर चल चला है तो बड़े पवार ने नए चेहरों को दंगल में उतारकर नई चाल चल दी है।
चाचा भतीजे की शह मात के बीच दीवाली है, दोनो दिग्गजों ने सोशल मीडिया पर अपने समर्थको, मतदाताओं को अपने अपने मंच पर जुटने का संदेश भेज दिया है। अब देखना होगा कि दीवाली में किसके दर के दीप, दीए ज्यादा रौशनी फैलाते हैं।