लखनऊ.राज्य में विधानसभा को एसे पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है जो राज्य व वहां के लोगों की सुख व स्मृद्धि के लिए काम करता है। लेकिन जम्मु-कश्मीर की विधानसभा में नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के विधायक की राष्ट्रविरोधी एक हरकत ने न केवल राज्य को बल्कि पूरे राष्ट्र के साथ यहां की जनता को शर्मसार कर दिया है। सोनवरी से नेशनल कांफ्रेंस के विधायक अकबर लोन ने शनिवार को विधानसभा सत्र के दौरान पाकिस्तान सर्मथित नारेबाजी की। हालांकी बाद में अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए लोन ने कहा कि भाजपा विधायकों द्वारा पाकिस्तान विरोधी नारे लगाने पर उनका गुस्सा उबल गया और उन्होंने एसे नारे लगाए। कोई बताए लोन साहब को कि गुस्से में आदमी कुछ भी कर जाए पर अपनी मां को गालियां नहीं देता.! लेकिन लगता है कि लोन साहब को पड़ोसियों की मां अपनी मां से ज्यादा पसंद हैं। लोन ने कहा कि यह उनकी निजी राय है और किसी को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
इस बीच राजनैतिक गलियारों में सुबह की घटना से सरगर्मी काफी बढ़ गई। नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता ने पार्टी अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला का जिक्र करते हुए कहा कि पार्टी आला कमान और पार्टी लोन के इस वकत्वय से कोई ताल्लुक नहीं रखती और वह इस घटना की नींदा करती हैं। पार्टी ऐसे देश विरोधी सोच को कभी बढ़ावा नहीं देती। इस संबंध में पार्टी के नेता ऊमर अब्दुल्ला ने कहा कि मौजूदा दौर में हमें सीमा पार से हो रहे आतंकी गतीविधियों से निबटने पर मिलकर काम करना चाहिए न कि पड़ोसी देश का गुन-गान। इस बीच नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए सीमा पार से गोलीबारी पर रोक लगाने को कहा वर्ना इसका अंजाम बुरा होगा। पाकिस्तान ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ता जिससे वह भारत को परेशान कर सके लेकिन हम अच्छे पड़ोसी की तरह हमेशा मदद के लिए आगे हाथ बढ़ाते हैं। अगर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो हमें बिगड़ों को सुधारना अच्छी तरह से आता है।
गौरतलब है कि घाटी के सुंजुवान अर्मी कैम्प में शनिवार तड़के जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी हमले में सेना के दो अधिकारी शहीद हो गए। सोशल मीडिया पर अकबर लोन के खिलाफ इस घटना के संबंध में तरह-तरह के पोस्ट की झड़ी लगने लगी है। कोई उन्हें पाकिस्तान भेजने की सलाह देता नजर आ रहा था तो कोई उन्हें अपनी ही सरजमीन में दो गज जमीन के नीचे दफनाने की बात कह रहा था। कोई तो लोन को देश-द्रोह मामले में जेल की सलाखों के पीछे देखने की चाहत रखता है। इससे तो हमें यही सीख मिलती है कि हम ऐसे नेताओं का चुनाव न करें जो देश हित की सोच न रखते हों। हमें एसे नेताओं को इन पवित्र स्थलों तक चुनकर पहुंचाना ही नहीं चाहिए, जिससे की हमें ऐसे शर्मसार न होना पड़े। राजनीतिक पार्टियों को ऐसे लोगों को टिकट देना चाहिए जो उन्हें शर्मिंदगी के इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दे।