दोपहिया वाहनों की राजधानी है चेन्नई
वि.डी.मंडल, आईएनएन,चेन्नई@Infodeaofficial;
देश के महानगरों में शुमार चेन्नई को दोपहिया वाहनों की राजधानी कहा जाता है। महानगर में कुल 42 लाख दोपहिया वाहन हैं, जबकि सडक़ की चौड़ाई दिनोंदिन घटती जा रही है! शहर में नियमित दोपहिया वाहनों की संख्या में हो रहे अप्रत्याशित बढ़ोतरी के कारण भी महानगर में यातायात व्यवस्था चरमराई हुई है। यहां कम ही ऐसे घर होंगे जिनके घर-परिवार में दोपहिया वाहन नहीं हो। शहर में बढ़ते प्रदूषण, ट्रैफिक जाम और शहर में बढते अतिक्रमण में भी दोपहिया वाहनों का अहम रोल है।
ऐसे में दिवंगत अम्मा की चुनावी वादे पूरा करने और महिला सशक्तिकरण के नाम पर अम्मा-टू व्हीलर योजना लागू करना और कामकाजी महिलाओं को 50 प्रतिशत सब्सीडी पर स्कूटर प्रदान करना क्या सही मायने में जनकल्याणकारी और महिला सशक्तिकरण से जोडऩा बेमानी नहीं है? आर्थिक तंगी के कारण ट्रांसपोर्ट हड़ताल में गत 4 से 12जनवरी तक तमिलनाडु ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की 80 प्रतिशत बसें हड़ताल पर थीं।
सरकार के पास फंड नहीं होने के कारण सेवानिवृति कर्मचारियों और वर्तमान कर्मचारियों का बोनस और पेंशन वर्षों से बकायाथे। भुगतान समय से नहीं होने के कारण ही टीएनएसटीसी और एमटीसी के कर्मचारियों ने दस दिनों तक अनिश्चितकालीन हड़ताल में भाग लिया। उस समय राज्य के निवासियो को आवाजाही में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा था।तमिलनाडु सरकार ने 20 जनवरी को एमटीसी, एसईटीसी, एनएसटीसी के बसों का किराए 69 प्रतिशत बढा दिया। सरकारी बसों की आमदनी कम और खर्चे अधिक थे,अर्थात सरकारी बसें घाटे में चल रही थी।
बसों की किराए में दुगुने वृद्धि से जहां आर्थिक रुप से पिछड़े लोगों, मजदूरों और घरों में कामकाज कर जीवन बसर करने वाली महिलाओं को अपनी नौकरी छोडऩी पड़ी। महिला को संबल प्रदान करने के नाम पर अम्माा स्कूटर योजना शुरु कर सरकारी खजाने खाली करना कितना उचित है?
गौरतलब है कि जहां अन्य महानगर में प्रदूषण रोकने के लिए वाहनों की संख्या कम किया जा रहा है, मेट्रो सेवा प्रदान की जारही है, चेन्नई में कई रुटों पर मेट्रो रेल संचालन का काम करने के पीछे शहर को प्रदूषण मुक्त करना ही है। अचानक अम्मा योजना की शुरुआत करना सिर्फ राजनीति लाभ लेना है। महानगर में कई बड़ी बड़ी योजनाएं इसलिए दम तोड़ रही है कि सरकार के पास आवश्यक धन नहीं है।
महानगर में शुरु की गई अम्मा टू व्हीलर योजना के बारे में कुछ जानकार लोगों ने अपनी प्रतिक्रया कुछ इस तरह दी है…
-महिला सशक्तिकरण के नाम इस योजना का शुरुआत करने की अभी सही समय नहीं है। यह सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया गया है। इस योजना के नाम पर सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ेगी। अम्मा लैपटॉप और कैलेंजर टीवी की तरह खुली बाजार में बेच दी जाएगी या फिर उन स्कूटर की सवारी उनके पति और पुत्र करेगा।
“एम आर शिवरामन,” पूर्व राजस्व सचिव
इस योजना का लाभ सिर्फ सत्ता पक्ष के लोगों को मिलेगा, वह महिला सशक्तिकरण के नाम पर 50 प्रतिशत सब्सिीडी पर स्कूटर खरीदेंगे, और जरुरत पडऩे पर इसे बेचेंगे। सरकार स्कूटर कंपनियों से भरपूर कमीशन लेगी। यह योजना जनता को मूर्ख बनाने वाला है।
“जी. राजेन्द्रन”, पीएमके, कार्यकत्र्ता, गिण्डी
एक तो पहले से महानगर में लाखों के तादाद में वाहन दौड़ रहे हैं।वाहनों के पार्किंग के माकूल जगह नहीं मिलते, सडक़ों वाहनों की संख्या मे हो रही अप्रत्याशित वृद्धि से प्रदूषण बढ़ रही है, ऐसे में सरकार की यह योजना चिंताजनक है।
केपी सुब्रमण्यम, पर्यावरणविद्
मदुरावायल एलीवेटेड कोरिडोर प्रोजेक्ट पिछले कई वर्षो से फंड के कमी के कारण बंद पड़ा हुआ है, वहीं महिलाओं को सशक्तीकरण के नाम पर 50 प्रतिशत सब्सीडी प्रदान करने वाली योजना लागु करना राज्य को दिवालियापन के तरफ धकेल रही है।
एन कुमारवेलू, रामचंद्रन, समाजसेवी
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