पोषक तत्वों की कमी दूर करेगा जेनेटिकली मॉडिफाइड राइस !

एस विष्णु शर्मा, आईएनएन/चेन्नई, @SVS037

कुपोषण तीसरी दुनिया के देशों में आज भी बड़ी समस्या है। संयुक्त राष्ट्र संघ इस समस्या से निपटने के लिए हो रहे प्रयासों पर निगरानी रखे हुए है, हालांकि अफ्रीका और दक्षिण एशिया के कई देश इससे जूझ रहे हैं।

सरकारी व गैर सरकारी एजेंसियों के प्रयास नाकाफी हैं। कुपोषण की समस्या से निजात के लिए पौष्टिक आहार व साग-सब्जियों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, लेकिन यह महंगा उपाय है।

गरीब देशों के लिए इन उपायों को अमल में ला पाना आसान नहीं है। इधर, भारत के कृषि विश्वविद्यालयों व कृषि क्षेत्र की कंपनियों ने आवश्यक पोषक तत्वों से युक्त अनाज का विकास किया है। इसी कड़ी में सूक्ष्म पोषक तत्वों से युक्त न्यूट्री राइस विकसित किया गया है।

 

चावल दुनिया का मुख्य खाद्य पदार्थ है। विश्व में चावल का अनुमानित उपभोग 486 मिलियन टन है, जबकि भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा बड़ा चावल उत्पादक देश है। करीब 60 प्रतिशत भारतीय भूभाग पर चावल मुख्य भोजन में शामिल है। ऐसे में पोषक तत्व युक्त चावल न्यूट्री राइस कुपोषण की समस्या के समाधान में भूमिका निभा सकता है।

न्यूट्री राइस का विकास सुंदर केमिकल प्राइवेट लिमिटेड की रिसर्च एंड डेवलपमेंट टीम ने किया है।

इस संस्थान के संस्थापक संस्थापक के. रामू ने बताया कि न्यूट्री राइस में आयरन, फोलिक एसिड, जिंक, विटामिन ए, विटामिन बी12 और लाइसिन पोषक तत्व हैं। रामू यहां एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउडेंशन में बुधवार को राष्ट्रीय पोषण सप्ताह कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे।

जेनेटिकली उन्नत चावल के विकास पर अन्ना विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर फूड टेक्नोलॉजी की प्रोफेसर डा. उषा एंटनी ने कहा कि ऐसे चावल बाजार में आते हैं तो कोई शक नहीं कि लोगों को फायदा मिलेगा। हालांकि इससे कई जुड़े कई सवाल हैं जिनका उत्तर मिलना जरूरी है। जैसे इस तरह के उत्पादों का मूल्य, उपलब्धता, देश के अलग—अलग क्षेत्रों के जलवायु में उत्पादन की संभावना, उपभोग पर स्वास्थ्य संबंधी अनुकूलता आदि कितनी है, इस पर भी शोध होना चाहिए।
कंपनी के अनुसार न्यूट्री राइस के बड़े पैमाने पर उत्पादन होने पर कीमत कम होगी। न्यूट्री राइस की अनुमानित कीमत 1.60 से 1.80 रुपए प्रति किलो तक हो सकता है। हालांकि इसकी उपलब्धता, उत्पादन व अन्य बिंदुओं पर विचार—विमर्श होना चाहिए।

कृषि शोध अध्येता परशुरामन कहते हैं, ‘चावल विश्व के प्रमुख देशों का मुख्य अन्न उत्पादन की श्रेणी में आता है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य व कृषि संगठन द्वारा जारी विश्व भूख सूचकांक के अनुसार विश्व में फ्रीका अभी भी भूख व कुपोषण से सवार्धिक प्रभावित क्षेत्र है, जहां 23 प्रतिशत आबादी भूख के कारण घोर कुपोषण का शिकार है। इसी तरह दक्षिण एशिया क्षेत्र का रिकार्ड भी इस मामले में बेहतर नहीं है।

इस क्षेत्र में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आते हैं। इस समस्या से निपटने में जेनेटिकली मॉडीफाइड उन्नत पोषण युक्त उत्पाद कारगर हो सकते हैं। साथ ही यदि भारत इस तरह के उन्नत खाद्य पदार्थों ा विकास करने में अग्रणी बन पाता है तो विश्व के अनाज बाजार में निर्यात भी बढ़ेगा, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।’ 1-7 सितम्बर तक चलने वाले पोषण सप्ताह के इस कार्यक्रम में एसएसएसआरएफ के संस्थापक एमएस स्वामीनाथन का मार्गदर्शन रहा। एसएसएसआरएफ के पूर्व कार्यकारी निदेशक डा. पीसी केशवन, एलएएनएसए-एसएसएसआरएफ के कार्यक्रम प्रबंधक डा. आर. भवानी समेत ने पोषण को लेकर अपने सुझाव दिए।

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