आईएनएन/जोधपुर, @Infodeaofficial आईआईटी जोधपुर व भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) के संयुक्त स्वरुप से ऊर्जा व पर्यावरण की स्थिरता के लिए अंतर्राष्ट्रीय समाज (आईएसईईएस) के तत्वावधान में, थ्राइव 2025 के अंतिम दिन का सफलतापूर्वक समापन हुआ – यह एक ऐतिहासिक कार्यक्रम था जो स्टार्टअप, नवाचार और टिकाऊ उद्यमिता के माध्यम से थार पारिस्थितिकी को बदलने के लिए समर्पित है। अंतिम दिन महत्वपूर्ण विषयों पर गतिशील सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्र में भविष्य के विकास और स्थिरता के लिए माहौल तैयार किया गया। सम्मेलन के प्रमुख सत्र: स्थिरता के लिए हरित ऊर्जा और पर्यावरण प्रौद्योगिकी – सीईआरएन, स्विटजरलैंड की डॉ. अर्चना शर्मा के साथ यह चर्चा आईआईटी धारवाड़ के निदेशक प्रो. वेंकप्पय्या आर. देसाई की अध्यक्षता में हुई । चर्चा में हरित हाइड्रोजन नवाचार, जैव ईंधन के लिए तकनीकी-आर्थिक आकलन और विभिन्न नवोत्प्रेरित सामग्री अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की गई। सतत परिवहन – यह सत्र गति शक्ति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनोज चौधरी के नेतृत्व में हुआ । विशेषज्ञों ने परिवहन मॉडल को नया रूप देने के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और सतत विमानन में परिवर्तनवादी नवाचारों की खोज की। स्वदेशी कला, कौशल, विरासत, पर्यटन और स्थिरता के लिए परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियां – फैंडोरो टेक्नोलॉजीज की सीईओ डॉ. स्मिता मिश्रा की अध्यक्षता में हुए इस सत्र में टिकाऊ हस्तशिल्प और उन्नत तकनीकी एकीकरण के माध्यम से विरासत और नवाचार के संयोजन का उल्लास मनाया गया। जलवायु परिवर्तन जोखिम, अनुकूलन और शमन – राष्ट्रीय परीक्षण शाला के महानिदेशक डॉ. आलोक श्रीवास्तव के नेतृत्व में इस सत्र में जलवायु अनुकूलता, जल शुद्धिकरण और टिकाऊ कृषि पर कार्यान्वयन योग्य रणनीतियां प्रदान की गईं। स्थिरता और व्यवसाय– मैटेरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के श्री अमर सिंह के नेतृत्व में आयोजित इस सत्र में स्टार्ट-अप्स और टिकाऊ व्यवसाय के लिए नवाचार की शक्ति को एकीकृत करके एक समृद्ध और टिकाऊ भविष्य के निर्माण के विवरण पर गहन चर्चा की गई। कार्यक्रम का समापन एक प्रभावशाली समापन सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रोफेसर वेंकप्पय्या आर. देसाई और डॉ. अर्चना शर्मा ने विशेष संबोधन दिए, जिसमें मुख्य बातों का सारांश प्रस्तुत किया गया और भविष्य के सहयोग के लिए मंच तैयार किया गया। सार व निष्कर्ष: डॉ. अखिलेश गुप्ता उन्होंने नवाचार-संचालित पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जो थार जैसे शुष्क क्षेत्रों के लिए टिकाऊ समाधानों को गति प्रदान करता है। प्रो. आशुतोष शर्मा उन्होंने मापनीय, प्रभावशाली नवाचारों के सृजन के लिए विज्ञान, उद्यमशीलता और नीतिगत ढांचे को एकीकृत करने के महत्व पर बल दिया। प्रो. अविनाश के. अग्रवाल प्रौद्योगिकी-संचालित उद्यमशीलता को सक्षम करने और एक अनुकूल, आत्मनिर्भर थार पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए आईआईटी जोधपुर की अटूट प्रतिबद्धता पर विचार किया गया। इसमें प्रोफेसर वेंकप्पय्या आर देसाई और डॉ. अर्चना शर्मा ने विशेष संबोधन दिया, जिसमें मुख्य बातों का सारांश प्रस्तुत किया गया और भविष्य के सहयोग के लिए मंच तैयार किया गया। महत्वपूर्ण निष्कर्ष: हरित प्रौद्योगिकियों का एकीकरण: हरित हाइड्रोजन से लेकर जैव ईंधन नवाचारों तक, थ्राइव 2025 में ऊर्जा और परिवहन के लिए टिकाऊ विकल्पों का प्रदर्शन किया गया। उद्यमियों को सशक्त बनाना:विविध क्षेत्रों के स्टार्टअप्स ने नवाचार को वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों से जोड़ते हुए सफल समाधान प्रस्तुत किए। नवाचार के माध्यम से विरासत का संरक्षण:इस कार्यक्रम में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि किस प्रकार पारंपरिक कला और पर्यटन को स्थायी...