विष्णु शर्मा, आईएनएन/चेन्नई, @Svs037
तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के अरुतांगुडी गांव उस वक्त लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया जब यहां से चोल काल की एक मूर्ति मिली। मनालुरपेट्टै से तियागदुरुवम कनेक्टिंग रूट में स्थित अय्यनार मंदिर के पास से यह मुर्ती जैन संत की बताई जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि यह खोज विल्लुपुरम आर्ट्स कॉलेज के प्राचीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर आर. रंगनाथन और उनकी टीम द्वारा की गई है। प्रोफेसर रंगनाथ के साथ उनकी टीम में रमेश, श्रीधर और कमलकनन हैं।
रंगनाथन का कहना है कि यहां पाई गई मुर्तियों से ज्ञात पड़ता है कि विल्लुपुरम जिले में पौराणिक काल में जैन संस्कृति की उपस्थिति थी। यहां विभिन्न स्थानों से मिली मुर्तियां और कई शिलालेख हमारे दावों को पुष्ट करते हैं। रंगनाथन ने बताया कि उत्सुकता की वजह से हमने खोज जारी रखी और हमें यह मूर्ति मिली।
यह मुर्ति साढ़े पांच फिट ऊंची और ढ़ाई फीट चौड़ी है। मूर्ति में संत किसी पीठ पर बैठे नजर आ रहे हैं। मूर्ति देख यह ज्ञात पड़ता है कि संत किसी छाते के अंदर विराजमान हैं और मूर्ति के उपर का हिस्सा फुलों से सजा हुआ है।
इन कलाकृर्तियों को देख यह ज्ञात पड़ता है कि मूर्ति चोल शासनकाल की है। मूर्ति देख यह ज्ञात होता है कि यह किसी बड़े मंदिर का हिस्सा है उस काल के काले पत्थरों से बना होगा। समय के साथ हो सकता है कि धर्मस्थल को नष्ट किया गया हो और केवल मूर्ति बच गई हो।
इतिहास के जानकार रंगनाथन का कहना है कि गांव को अरुगन गुडी के नाम से जाना जाता होगा जो जैन संस्कृति से संबंध दर्शाता है और मौजूदा दौर में यह अरुतंगुडी हो गया है।
मौजूदा दौर में जैन यहां मौजूद नहीं है लेकिन पूराने काल में जरूर यहां रहते होंगे। उन्होंने यहां काफी कुछ शोध और अध्य्यन करने को है जो खोज के बाद ही पता चल सकेगा।
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