सुरेन्द्र मेहता /आईएनएन/नई दिल्ली @Infodeaofficial
मध्य प्रदेश रीवा में स्थानीय स्वंयवर सभागार में चल रहे 4 दिवसीय नाट्य महोत्सव ‘मण्डप नाट्य महोत्सव’ के दूसरे दिन 11 अगस्त को भीष्म साहनी द्वारा लिखित नाटक हानूश का मंचन हुआ । मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र के द्वारा आयोजित इस समारोह में नाट्य प्रस्तुति के पूर्व दोपहर 12 बजे से ‘कस्बाई रंगमंच की जटिलता’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया । गोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रोफेसर सत्यदेव त्रिपाठी, रंग समीक्षक अजीत राय,संगीत निर्देशक शशिकांत कुमार,मनोज मिश्रा थे।
वही आयोजित गोष्ठी में आमंत्रित वक्ता अजीत राय ने कहा कि मैने अपने विभिन्न देशों की यात्रा में अनुभव किया है कि किसी भी देश मे कला एवं संस्कृत के लिए सचेत लोगों की संख्या भले ही अल्प रही हो पर वही संख्या अपने बेहतर प्रयास से कला को सहेजे हुए है । साथ ही रंग मंच एवं कला ही है जो युवा पीढ़ी को अपराध एवं असमाजिक गतिविधियों की तरफ जाने से बचा सकती है । प्रोफेसर सत्यदेव त्रिपाठी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि रंग मंच एक स्वाभाविक प्रवृति है बुद्धिमत्ता और कुशलता के सहारे कम संसाधन में बेहतर प्रदर्शन कर कस्बाई रंग मंच और निखर रहा है। बेगूसराय बिहार से आए शशिकांत कुमार ने कहा कि हम जो हैं हमारे पास जो है उसी के साथ रंग मंच करें आम जन के लिए करें अपनी माटी के लिए करें आभाव से डरें नही उसको अपनी ताकत बना कर पूरी क्षमता से से प्रदर्शन करते हुए रंग मंच को और बेहतर करें ।
शाम 7 बजे से भीष्म साहनी द्वारा रचित नाटक हानूश का मंचन हुआ । जिसका निर्देशन श्री मनोज मिश्रा ने किया ।नाटक के विषय में निर्देशक मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि नाटक हानूश ऐतिहासिक नहीं है और न ही इसका अभिप्राय घड़ियों के आविष्कार की कहानी कहने से है। नाटक के परिवेश में मानवीय स्थिति को मध्य युगीन परिपेक्ष में दिखाया गया है नाटक कुछ तथ्यों को छोड़कर पूरी तरह से काल्पनिक है ।नाटक की भाषा बहुत चुस्त और गतिशील है, नवीन सृजनशीलता शीलता के साथ नाटक को जिंदगी का जामा पहनाने की कोशिश है नाटक कामगारौ की कारीगरी उनके हुनर में महारत को समर्पित है नाटक में सत्ता राजनीति धर्म के गठबंधन और सामाजिक शक्तियों का संघर्ष है और संघर्ष का कारण व्यापारी वर्ग का उदय सत्ता में उसकी भागीदारी और व्यापारी वर्ग द्वारा सत्ता और धर्म के गठबंधन को कमजोर करने का प्रयास भी है ।
कथा सार – नाटक में नगर पालिका और गिरजे की आपस में बिल्कुल नहीं बनती । क्योंकि व्यापारी वर्ग एक उभरती हुई शक्ति है जो कि सत्ता में अपनी नुमाइंदगी चाहती है व्यापारी वर्ग वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखता है जो धार्मिक सत्ता के लिए खतरा है। यूरोप में गिरजे की भूमिका किंग मेकर की रही है इसलिए बादशाह प्रत्येक कार्य को करने से पहले लाट पादरी का मुंह देखता है वह लाट पादरी के हाथों की कठपुतली है और व्यापारी वर्ग की ताकत को भी समझता है इसलिए बादशाह कहता है कि मैं आज से 200 साल बाद की भी सोच सकता हूं । तब न गिरजे नाराज होंगे राजे होंगे । एक ओर राजा अपनी सत्ता की नींव मजबूत करने के लिए सृजनात्मक प्रतिभा की बलि चढ़ाता है । जिसका उदहारण इस प्रकार से देखने को मिलता है कि हानूश नाम के कुफ़्लसाज़ के द्वारा 17 वर्षों की मेहनत के बाद प्राग देश की पहली घड़ी बनाई जाती है । घड़ी के बारे में जानकर पहले तो बादशाह बहुत खुश होता है परन्तु इस आशंका से कि कहीं हानूश और भी घड़ियाँ ना बना ले ,बादशाह हानूश को अंधा करवा देता है । इतनी विषम परिस्थितियों और तक़लीफ़ के बावज़ूद भी हानूश की रचनात्मकता मृत नहीं होती है और वह अपनी आकांक्षाओं को पूर्ण करने की जद्दोज़हत करता है। मंचन की दृष्टि से यह नाटक बेहद सफल रहा , प्रदर्शन के दौरान सभागार दर्शको से भरा रहा और दर्शकों ने मुक्त स्वर में नाटक की तारीफ किया । नाटक में हानूश का किरदार विपुल सिंह गहरवार ने बख़ूबी निभाया अपने नाट्य अभिनय को जीवंत करते हुए विपुल सिंह गहरवार ने अपने रंग मंचीय अनुभव की छाप बरकरार रखी ।साथ ही कात्या के पात्र में ज्योति तिवारी ने प्रभावी अभिनय किया,राजा के किरदार में राज तिवारी भोला भाई ने बेहतरीन अभिनय किया, बूढ़ा लोहार के रूप में प्रदीप तिवारी ने युवा रंगकर्मी की ऊर्जा तथा कार्य अनुभव का परिचय दिया,अन्य पात्र परिचय – पादरी- प्रसून मिश्रा, बूढ़ा लोहार -प्रदीप तिवारी यांका- वैष्णवी आहूजा, एमिल- मयंक त्रिवेदी, जैकब,सत्यम छेत्री,हुसाक-शंकर दयाल शर्मा, शेवचेक-अमर द्विवेदी, जॉन-योगेश द्विवेदी,जार्ज-निशान्त मिश्रा,टावर-नीरज मिश्रा, अधिकारी 1 – विवेक सेन,अधिकारी 2- अनुपम सिंह, राज तिवारी भोला भाई, आदमी- सिद्धार्थ दुबे,हलकारा-चंद्रिका प्रसाद मिश्रा,गुलाम-मयंक,प्रदीप, सत्यम,प्रसून,विवेक नाटक में अभिनय के साथ-साथ संगीत, प्रकाश संयोजन,एवं मंच व्यवस्था आकर्षक रही संगीत संचालन सिद्धार्थ दुबे,ने किया प्रकाश परिकल्पना मनोज मिश्रा की थी ,मंच व्यवस्था सुधीर सिंह,राज तिवारी भोला,भरत तिवारी के की पत्रों के रूप सज्जा का जिम्मा सम्हाला राकेश कुमार,शुभम पांडेय,अंजली राठौर ने मंच संचालन मण्डप के सचिव विनोद मिश्रा के द्वारा किया गया ।
महोत्सव के तीसरे दिन आज नाटक हवलदार महावीर प्रसाद का होगा मंचन और दिनाँक 12-8-18 को गोष्ठी का विषय- रंग मंच बनाम फ़िल्म ,उक्त आयोजन में सभी कला प्रेमियों के पहुंचने की अपील करते हुए मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र की अध्यक्ष श्रीमती चन्द्रकांता मिश्रा ने कहा कि आप सभी के संयोग और समर्थन से यह आयोजन अपनी सफलता हासिल करेगा । आज के आयोजन मे मण्डप आर्ट्स के संरक्षक श्री अशोक सिंह,देवेंद्र सिंह ,सचिव श्री विनोद मिश्रा,आर्ट पॉइंट रीवा के निदेशक श्री सुधीर सिंह, श्री चंद्रिका प्रशाद मिश्रा, शैलेन्द्र द्विवेदी ,अजय सिंह कर्चुली,अंकित मिश्रा,संदीप, दिवाकर,शिवेंद्र,बालकृष्ण गौतम बाला,विवेके सिंह,राजवीर तिवारी,कन्हैया गुप्ता,सुभाष गुप्ता,अरुणोदय सिंह,मुकुल मिश्रा,सृष्टि तिवारी,आंशिक मिश्रा, उपस्थित रहे ।
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