सुरेन्द्र मेहता /आईएनएन/नई दिल्ली @Infodeaofficial
मध्य प्रदेश रीवा ,मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र द्वारा आयोजित नाट्य समारोह “मण्डप महोत्सव “ में नाटक महावीर प्रसाद की रोचक एवं प्रभावी प्रस्तुति हुई l स्थानीय स्वयंवर सभागार में मण्डप महोत्सव की तीसरी शाम सुनील मिश्रा द्वारा लिखित एवं मनोज कुमार मिश्रा द्वारा निर्देशित नाटक महावीर प्रसाद कि प्रस्तुति में मण्डप आर्ट के कलाकारों ने बघेली बोली बानी की आत्मीयता को रोचकता से प्रस्तुत किया l प्रस्तुति के विषय में सुनील मिश्रा बताते हैं कि नाटक ‘हवालदार महावीर प्रसाद’ की नाटक कि कथा मुख्य पात्र के इर्द गिर्द घूमती है| कथ्य, पुलिसिया जीवन, उसकी आपाधापी, उसकी जिजीविषा और जीवन संघर्षों से भरा पडा है |पुलिस को कैसे आये दिन तरह-तरह के गुंडे, मवालियों, आतंकवादियो का सामना करना पड़ता है| यहाँ तक कि अपने परिवार कि चिंता छोड़ दिन रात “देश भक्ति – जन सेवा” का ध्येय लिए, आतंक के पर्याय का सामना करते है| नाटक में छुट्टन नामक एक गुन्डा सरे बाज़ार हवलदार महावीर प्रसाद को छूरा मार देता है जनता सिर्फ और सिर्फ तमाशा देखती रहती है| नाटक सिर्फ महावीर प्रसाद के जीवन से जुड़ा नहीं है अपितु देश के लिए जीने की इच्छा रखनेवाले प्रत्येक इन्सान से जुडी है और देश कि सुरक्षा, समृद्धि के लिए घर परिवार को अनजाने में दरकिनार कर पहले देश हित में कार्य करते है| महावीर ईश्वर को मानता है| रामचरित मानस उसे सस्वर कंठस्थ है| का मानना है महावीर जब हमारा मनोबल टूटता है तब ईश्वर किसी न किसी रूप में हमें सही रास्ता दिखाते है| नाटक के अंत में हवालदार महावीर प्रसाद ही छुट्टन को गिरफ्तार करके समाज को उसके भय से मुक्त करते है | निर्देशक मनोज कुमार मिश्रा ने नाटक में बघेली प्रतीकों को आधुनिक ढंग से प्रयोग किया है, शशिकान्त कुमार ने संगीत में पारंपरिक संगीत का बेहतरीन प्रयोग किया | शशिकांत कुमार के संगीत निर्देशन में ,दिवाकर पाण्डेय,शंकर दयाल शर्मा, ज्योति तिवारी, बालकृष्ण मिश्रा ,सिद्धार्थ दुबे, अंकित मिश्रा , प्रदीप तिवारी ने अपने संगीत पर सभी को सुर ताल मय कर दिया l नाटक की प्रकाश परिकल्पना एवं मंच सामग्री का ताना बाना कलात्मकता को बढ़ावा देने बाला रहा वस्त्र विन्यास एवं मंच सामग्री संकलन सुग्रीव विश्वकर्मा ने किया मंच व्यवस्थाक के रूप में राज तिवारी भोला भाई, सुधीर सिंह विनोद मिश्रा,एवं शुभम पाण्डेय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई l
मंच पर अभिनय के दौरान महावीर प्रसाद कि भूमिका में शंकर दयाल शर्मा ने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया यादव जी के चरित्र में सिद्धार्थ दुबे ने अभिनय कि अमिट छाप छोड़ी, थानेदार के पात्र अभिनय में बालकृष्ण मिश्रा एवं हनुमान के अभिनय में राज तिवारी भोला भाई ने दर्शकों को मुग्ध कर दिया l छोट्टन के रूप में सुभाष गुप्ता ने अपने रंग अनुभव का पूर्ण प्रदर्शन किया इस चरित्र के द्वारा नाटक को नया मोड़ प्राप्त होता है नाटक का अंत सुखांत है l कार्यक्रम का संचालन विनोद मिश्रा ने तथा आभार प्रदर्शन अशोक सिंह ने किया कल के नाटक देवी सिंह कौन एवं दुविधा में सभी कला प्रेमियों के पहुँचने कि अपील संस्था अध्यक्ष श्रीमती चन्दकान्ता मिश्रा ने कि है l
नाटक का नाम – हवलदार महावीर प्रसाद, लेखक – सुनील मिश्रा, निर्देशक – मनोज कुमार मिश्रा
प्रस्तुति मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र रीवा
नाट्य प्रस्तुति के पूर्व दोपहर 12 बजे से मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र के द्वारा रंग मंच बनाम फिल्म विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई इस दौरान अतिथि वक्ता के रूपं में वरिष्ठ रंग समीक्षक अजीत राय, राष्ट्रीय फिल्म समीक्षक पुरस्कार से सम्मानित लेखक कवि सुनील मिश्रा, प्रो.सत्यदेव त्रिपाठी, विस्मिल्ला खां पुरस्कार से सम्मानित रंग निर्देशक अभिषेक पंडित, उपस्थित रहे l गोष्ठी कि शुरुआत में अभिषेक पंडित ने विषय प्रवेश कराया, ततपश्चात सुनील मिश्रा ने बताया कि नाटक एवं फ़िल्म दोनों ही कला को बढ़ावा देने के माध्यम है जरूरत है कि हम कला एवं संस्कृति को सहेजने का कार्य करें । गोष्ठी में उपस्थित प्रो.सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि नाटक से लोग फिल्मों में गए और फ़िल्म से भी नाटक के क्षेत्र में कलाकार आ रहे हैं जो कि बेहतर संकेत के रूप में लिया जा सकता है । जरूरत है कि हम दोनों को उत्कृष्टता प्रदान करें । अंत मे प्रसिद्ध कला समीक्षक अजीत राय ने बताया कि नाटक की शुरुआत आदि काल से हो चुकी थी जब मानव ने अपनी गति और चलने के ढंग को पहचानते हुए मनोरंजन के माध्यम को खोजना शुरू किया आज आधुनिकता और तकनीक का समय है जरूरत है कि हम अपनी कला को समय के साथ लेकर चलें । दोनों में अंतर न बना कर इनकी महत्ता को बरकरार रखें । आभार प्रदर्शन विनोद मिश्रा ने किया । कार्यक्रम के दौरान मण्डप के संरक्षक अशोक सिंह, देवेंद्र सिंह,प्रो.सेवाराम त्रिपाठी,दिनेश कुशवाह,चंद्रकांता मिश्रा, सुधीर सिंह , एवं मण्डप आर्ट के समस्त सहयोगी साथी उपस्थित रहे।
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