उत्तर से दक्षिण की ओर चली हिंदी की हवा
एसआरएमआईएसटी में हिंदी दिवस पर कार्यक्रम, प्रतियोगिता विजेताओं को सम्मान
एस विष्णु शर्मा, आईएनएन/चेन्नई, @SVS037
हिंदी विदेशों तक महक रही है और अब तो कभी हिंदी विरोध के लिए जाना जाने वाला दक्षिण हिंदी की झंडा बुलंद करने की ओर बढ़ रहा है। यहां चेन्नई में अनेक बैंकों, केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी दिवस मनाया गया। पर चेन्नई के कई विश्वविद्यालयों में हिंदी दिवस पर विशेष कार्यक्रम किये गए। हिंदी अब एलीट वर्ग की भाषा बन रही है। इंटरनेट के युग में हिंदी का विस्तार व प्रभाव क्षेत्र व प्रांत की सीमाओं को पार कर वैश्विक हो रहा है।
एसआरएम इंस्टीट्यूट आफ साइंस एंड टेक्नालॉजी (एसआरएमआईएसटी) में हिंदी पखवाड़ा मनाया गया। संस्थान के कत्तकुलातूर परिसर में शुक्रवार को पखवाड़े के दौरान हुई प्रतियोगिताओं के विजेताओं को हिंदी दिवस पर सम्मानित किया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मिसेज इंडिया नार्थ कंचन शर्मा ने कहा कि मातृभाषा के प्रति प्रेम और जीवन के हर पहलू में इसकी झलक दिखनी चाहिए। मातृभाषा दिवस प्रत्येक नागरिक को मनाना चाहिए। पूरे विश्व में भारतीय भाषाओं का महत्व तेजी से बढ़ रहा है।
भारतीय भाषाओं का यह प्रभाव विश्व में भारतीय संस्कृति का विस्तार भी कर रहा है और विश्व को भारत की ओर आकर्षित कर रहा है। भारतीय भाषाएं और संस्कृति अद्वितीय और समृद्ध है। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि भारतीय भाषाओं व संस्कृति को वैश्विक परिदृश्य में स्थापित करने में योगदान दे।
14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ने 1953 में आहृवान किया कि इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाए।
संस्थान के कुलपति डॉ टीआर परविंदर ने कहा कि भाषा मन को जोड़ती है। मातृभाषा अपने समाज, अपने क्षेत्र और देश की अनेकता में एकता की सूत्रधार होती है।
राजभाषा के प्रचार और प्रसार करके हम देश की अनेकता में एकता की विशेषता को और सुदृढ़ कर सकते हैं। प्रति कुलपति व रजिस्ट्रार डॉ. एन. सेतुरमण ने कहा कि सूचना क्रांति तकनीक के इस समय में भारतीय भाषाएं अपनी सुगंध पूरे विश्व में फैला रही हैं।
राजभाषा हिंदी की सुगंध को राष्ट्रव्यापी बनाने के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक बनाने का प्रयास होना चाहिए। संस्थान की हिंदी विभाग की अध्यक्षा डॉ. एस. प्रीती ने विद्यार्थियों से अपनी मातृभाषा को समृद्ध बनाने के साथ ही राजभाषा हिंदी का प्रचारक बनने का आहृवान किया। एसआरएमआईएसटी के हिंदी भाषा व साहित्य की प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।