‘अश्वमेघ’ पूरा, भारत की नाभिकीय स्वदेशी पनडुब्बी से दुश्मन डरे

नाभिकीय त्रिकोण बनाकर वापस लौटे परमाणु क्षमता से सुसज्जित आईएनएस अरिहंत के चालक व कर्मी दल का स्वागत करने स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे।

 एस विष्णु शर्मा, आईएनएन/चेन्नई, @SVS037

रमाणु हथियारों से सुसज्जित देश का प्रथम स्वदेशी नाभिकीय पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत विक्रांत ने नाभिकीय त्रिकोण सफलतापूर्वक पूरा कर भारतीय नौसेना को सुपर शक्तिशाली बनाने का ‘अश्वमेघ’ पूरा कर लिया है। इस उपलब्धि के साथ ही भारत को उन गिने-चुने देशों की अग्रिम पंक्ति में आ गया नाभिकीय पनडुब्बी को डिज़ाइन करने, उसे बनाने और उसके संचालन करने की क्षमता रखते हैं।भारत की इस अभूतपूर्व सफलता से दुश्मन देश चीन व पाकिस्तान में घबराहट है। 

 

इस असाधारण सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं आईएनएस अहिरंत के चालक व कर्मी दल के सदस्यों का स्वागत करने के लिए पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के नाभिकीय त्रिकोण के पूरा होने पर कर्मीदल की पीठ थपथपाई और बधाई दी। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में ही नाभिकीय पनडुब्बी के निर्माण और इसके सफल संचालन की क्षमता का विकास भारत की प्रोद्योगिकीय सामर्थ्य तथा सभी संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों के बीच अभूतपूर्व समन्वय का प्रतीक है। उन्होंने सभी संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों को देश की सुरक्षा को अत्यधिक सुदृढ़ बनाने वाली इस उपलब्धि के लिए समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ काम करने के लिए धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि परमाणु परीक्षणों की वैज्ञानिक उपलब्धि को एक अत्यंत जटिल और विश्वसनीय नाभिकीय त्रिकोण में बदल पाने का अत्यंत दुष्कर कार्य भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा और अनवरत प्रयासों तथा बहादुर सैनिकों के साहस और समर्पण की भावना से ही संभव हुआ है। इस नई उपलब्धि ने भारत द्वारा नाभिकीय त्रिकोण स्थापित करने के लिए आवश्यक क्षमता और दृढ़ता के संबंध में उठाए जाने वाले सभी सवालों को खारिज कर दिया है।

 

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एक सशक्त भारत ना सिर्फ सवा सौ करोड़ से अधिक भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करेगा, बल्कि आज के अनिश्चिता तथा आशंकाओं से भरे विश्व में वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए आधार स्तंभ भी रहेगा।

ध्यातव्य है कि भारत ने एक मजबूत नाभिकीय कमांड व नियंत्रण संरचना, प्रभावशाली सुरक्षा व्यवस्था और पूर्ण राजनैतिक नियंत्रण, देश की नाभिकीय कमांड प्राधिकरण के अधीन स्थापित किए हैं। भारतीय नौसेना को विश्व की अग्रणी व शक्तिशाली नौसेना बनाने का कार्य 2003 में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने शुरू किया था।

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में कैबिनेट की सुरक्षा समिति ने 4 जनवरी 2003 को प्रामाणिक न्यूनतम निवारण क्षमता हासिल करने और परमाणु हथियारों के प्रथम इस्तेमाल नहीं करने की नीति निर्धारित की थी।

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