अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा तमिल फिल्म उद्योग

INN/Chennai, @Infodeaofficial

क्षिण भारत में तमिल फिल्म इंडस्ट्री बहुत बड़ी फिल्म इंडस्ट्री है। रजनीकांत, कमल हसन, प्रभु देवा, विजय, अजीत यहां के प्रसिद्ध सितारों में से एक हैं। तमिल फिल्म इंडस्ट्री सालाना 200 से अधिक फिल्मों को प्रोड्यूस करती है।

कोरोना महामारी के बाद से जो लॉक डाउन की घोषणा की गई है उसके बाद से तमिल फिल्म इंडस्ट्री में काम बिल्कुल ही ठप पड़ गया है। अभी किसी प्रकार की शूटिंग नहीं हो रही है न ही हाल के दिनों में कोई तमिल फिल्म बड़े पर्दे पर रिलीज हुई है।

फिल्म जगत से कई ऐसे लोग जुड़े हुए हैं जिनकी रोजी रोटी रोज के काम पर निर्भर करती है लेकिन जब से लॉक डाउन की घोषणा हुई है तब से इन लोगों का जीवन कष्टमय हो गया है। आमदनी का कोई साधन नहीं जीवन यापन करने में काफी कठिनाई आ रही है।

हालांकि की फिल्म एम्प्लोये फेडरेशन ऑफ साउथ इंडिया के अध्यक्ष सेल्वमानी ने कहा की मैं ऐसे लोगों की मदद संघ की ओर से की है। जिनके पास खाने-पीने को कुछ नहीं था।

फेडरेशन के सदस्यों का कहना है कि वह कब तक किसी के रहमों करम पर जीते रहेंगे। जब तक तमिल फिल्म इंडस्ट्री का काम शुरू नहीं हो जाता उनके लिए जीवन ऐसे ही पहाड़ जैसा रहेगा।

कोरोना महामारी तमिल फिल्म जगत ही नहीं पुरे फिल्म जगत में आने वाले दिनों में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आएगा। फिल्मो को अब ऑनलाइन भी रिलीज किया जा रहा है जिससे प्रोडूसर की चिंता बढ़ती जा रही है।

जिन्होंने काफी लागत लगाकर फिल्म बनाई है उनके लिए ऑनलाइन फिल्मों को रिलीज करना नुकसान का धंदा है क्योंकि इससे उतनी कमाई नहीं हो पाएगी। हालांकि कुछ लोग इसे अब एक बेहतर विकल्प के रूप में भी देख रहे हैं। अगर स्थिति ऐसी ही रही तो फिल्मों के रिलीज के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म बेहतर प्लेटफार्म है।

पिछले 3 महीने के अंतराल में तमिल फिल्म इंडस्ट्री ने 600 करोड़ से ज्यादा का नुकसान झेला है। अगर आगे भी लॉक डाउन की स्थिति बनी रहती है और शूटिंग की अनुमति नहीं मिलती है तो यह नुकसान बढ़ता ही जाएगा।

इस लॉक डाउन में सबसे ज्यादा परेशानी उन प्रोड्यूसर्स को है जिन्होंने कर्ज लेकर के फिल्म फिल्म का काम शुरू किया और उसे पूरा भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में इन प्रदूषण पर ब्याज बढ़ता जा रहा है और काम भी पूरा नहीं हो पा रहा।

करीबन 50 ऐसे सिनेमा है जिन्हें रिलीज होना था लेकिन लोग डाउन के कारण रिलीज नहीं हो पा रहे हैं। इसे फिल्म निर्माताओं को नुकसान तो हो ही रहा है वहीं थिएटर मालिक भी लॉक डाउन के कुप्रभाव से वंचित नहीं है।

तमिलनाडु में कुल 1040 बड़े और छोटे सिनेमा थिएटर हैं। करीबन 20000 से ज्यादा लोग इन थिएटर में काम करते हैं। इन कर्मचारियों को 20 करोड़ के लगभग मेहनत आना दिया जाता है। लेकिन जब से लॉक डाउन हुआ है तब से इन थिएटर कर्मचारियों को पूछने वाला कोई नहीं है।

थिएटर मालिकों की मांग है कि राज्य सरकार सिनेमा थिएटर का बिजली बिल और प्रॉपर्टी टैक्स माफ करें जब तक कि काम शुरू नहीं हो जाया। इसके अलावा लोकल बॉडी टैक्स भी इनसे न लिया जाए।

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