शहरों में बदलाव के लिए 6,85,758 करोड़ रूपए से अधिक खर्च करने का लक्ष्य

इस परिवर्तन के लिए अमृत योजना के तहत प्रमुख शहरी सुधारों को लागू करने, शहरी कायाकल्प के लिए परियोजनाओं, पानी के प्रावधान, सीवरेज (नालियों) और स्वच्छता को मिशन के लिए 77,640 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी  दी गई है।

आईएनएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial

वास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने नागरिकों के अनुकूल शहरी क्षेत्रों में सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए 6,85,758 करोड़ रूपए से अधिक के खर्च करके कई पहल के माध्यम से भारतीय शहरों का कायाकल्प करने और बदलने के लिए शहरी पुनर्जागरण के सबसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों में से एक पर कार्य शुरू किया है। इस परिवर्तन के लिए अमृत योजना के तहत प्रमुख शहरी सुधारों को लागू करने,शहरी कायाकल्प के लिए परियोजनाओं, पानी के प्रावधान, सीवरेज (नालियों) और स्वच्छता को मिशन के लिए 77,640 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी  दी गई है।

शहरों में बदलाव और संरक्षण के लिए अटल मिशन (अमृत)

77,640 करोड़ की कुल राज्य वार्षिक कार्य योजना (एसएएपी) में से, 54,816 करोड़ रूपए लागत की 4,097 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई जिनमें 2,388 करोड़ रूपए क लागत से 1,035 परियोजनाएं पूरी कर ली गई है। 14,770 करोड़ रीपए लागत की 755 परियोजनाएं प्रस्तावित कर ली गई है और 9183 करोड़ रीपए की लागत की 458 परियोजनाओं का डीपीआर स्वीकृत कर लिया गया है। मिशन के कार्यान्वयन में क्षेत्रवार प्रगति निम्नानुसार है:

·         जल आपूर्ति के क्षेत्र में, 29205 करोड़ रूपए लागत की 965 परियोजनाओं को अनुबंधित कर लिया गया है जिसमें 1325 करोड़ रूपए की लागत से 154 परियोजनाएं पूरी भी कर ली गई है। 8047 करड़ रूपए लागत की 151 परियोजनाएं प्रस्तावित कर दी गई है और 4318 करोड़ रूपए लागत की 97 परियोजनाओं का डीपीआर स्वीकृत कर दिया गया है।  

·         नालियों एवं सीपेज प्रबंधन क्षेत्र में, 21508 करोड़ रूपए लागत के 491 परियोजनाओं के अनुबंध दिए गए हैं जिनमें 520 करोड़ रूपए की लागत से 40 परियोजनाएं पूरी भी कर ली गई है। 5596 करोड़ रूपए लागत की 151 परिसोजनाएं प्रस्तावित कर दी गई है और 4507 करोड़ रूपए लागत से 85 परियोजनाओं का डीपीआर भी स्वीकृत कर दिया गया है।

·         जलनिकासी के क्षेत्र में, 2101 करोड़ रूपए लागत की 516 परियोजनाएं प्रस्तावित कर दी गई है जिनमें 81 करोड़ रूपए खर्च करके 51 परियोजनाएं पूरी कर ली गई है।645 करोड़ रूपए लागत की 144 परियोजनाएं प्रस्तावित की गई है और 111 करोड़ रूपए कऱ्च करके 25 परियोजनाओं का डीपीआर स्वीकृत कर दिया गया है।  

·         शहरी परिवहन के क्षेत्र में 709 करोड़ रूपए लागत की 244 परियोजनाएं प्रस्तावित की गई है जिनमें 41 करोड़ रूपए खर्च करके 18 परियोजनाएं पूरी कर ली गई है। 251 करोड़ कूपए लागत की 76 परियोजनाओं का अनुबंध कर लिया गया है और 123 करोड़ रूपए की 40 परियोजनाओं का डीपीआर स्वीकृत कर दिया गया है।

·         हरित जगहों एवं पार्कों के क्षेत्र में, 1293 करोड़ रूपए लागत की 1881 परियोजनाएं प्रस्तावित की गई है जिनमें 421 करोड़ रूपए खर्च करके 772 परियोजनाएं पूरी कर ली गई है। 231 करोड़ रूपए की 233 परियोजनाओं का अनुबंध कर लिया गया है और 124 करोड़ रूपए लागत की 211 परियोजनाओं का डीपीआर स्वीकृत कर लिया गया है। स्ट्रीटलाइट में ऊर्जा की खपत कम करने के लिए 54 लाख स्ट्रीटलाइट में बल्ब को बदलकर एलईडी लगाया जा रहा है।

अमृत मिशन सुधार का एक बड़ा एजेंडा है जिसके तहत राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों में 11 बदलाव के लिए कार्य शुरू किया गया जिसमें 54 स्तरों पर सफलता हासिल किया गया है। वित्तीय वर्ष 2018-19 को दौरान, राज्यों एओवं केन्द्रशासित प्रदेशओं के लिए 600 करोड़ रूपए की राशि प्रोत्साहित करने के लिए अलग से रखा गया जिनमें से अमृत शहरों के लिए 260 करोड़ की राशि नगर निगमों के बॉन्ड के लिए रखा गया। सुधारों के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान 21 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में 40 करोड़ रूपए की राशि का वितरण किया गया है।

इसके साथ ही, 5 शहरों, पुणे, हैदराबाद, इंदौर, भोपाल और अमरावती को 119 करोड़ रूपए नगर निगम बॉन्ड जारी कर प्रोत्साहन देने हेतु रखा गया है।

विश्व बैंक ने हाल ही में डूइंग बिजनेस रिपोर्ट (डीबीआर) 2019 जारी किया है और एक वर्ष पहले निर्माण अनुमति सूचक में हमारे देश का रैंक 181 से ऊपर उठकर 52 हो गया है। निर्माण परमिट में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की सुविधा लागू कर दिल्ली और मुंबई के नगर निगमों के कार्यान्वयन और लगातार प्रयासों के कारण यह हासिल किया गया था। इसके अलावा, 436 मिशन शहरों सहित देश भर के 1,453 शहरों में ऑनलाइन बिल्डिंग अनुमति प्रणाली (ओबीपीएस) लागू किया गया है। दस राज्यों आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और त्रिपुरा ने सभी यूएलबी में ओबीपीएस लागू किया है। इसे पूरे देश के सभी शहरों / कस्बों तक भी बढ़ाया जा रहा है।

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