भूखे मरने को विवश तमिलनाडु के मछुआरे

रीतेश रंजन, आईआईएन/चेन्नई, @Royret

कोरोना महामारी ने सरकार के साथ उन लोगों को भी परेशान कर रखा है जो इस बीमारी से ग्रसित हैं। इस महामारी से बचने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ने 21 दिनों के लॉक डाउन की घोषणा की। अब इस लॉक डाउन की वजह से कई ऐसे लोग परेशान हैं जो कोरोना से संक्रमित नहीं हुए है।

कोरोना ने इससे ग्रषित लोगो, सरकार को तो परेशान कर ही रखा है पर इसका खामियाजा उन लोगों को भी भुगतना पद रहा है जो जिनका इस बीमारी से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है। दिहाड़ी मजदुर हो या फिर ठेला रिक्शा चलने वाले सभी को इस कोरोना महामारी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

तमिलनाडु समुद्र तट के किनारे बसा हुआ है इसलिए यहाँ काफी ऐसे लोगों की संख्या है जिनकी आजीविका मतस्य व्यवसाय पर आश्रित है। 21 दिनों के इस लॉक डाउन के प्रभाव से इन लोगों इन लोगों का जीवन भी अछूता नहीं रहा है।

लॉक डाउन की वजह से ये लोग पिछले एक सप्ताह से समुद्र में न ही मछली पकड़ने जा पा रहे है और न ही बेच पा रहे है। इनके पास जो स्टॉक बचा था उसी से अपना पेट भर रहे वह भी अब ख़तम हो रहा है ऐसे में इनपर अपना और अपने परिवार के सामने भूखे मरने की समस्या खड़ी रही है।

टीम इनफोडिया निरंतर ऐसे लोगों की समस्याओं को उजागर करती आ रही है। आज हम ऐसे ही क्या को लेकर आपके सामने पेश कर रहे हैं।

हमने ऐसे ही कुछ मछुआरों से बात की जिसमें नचिकुप्पम के मछुआरे रंजीत कुमार का कहना है कि वह रोज समुद्र में मछली पकड़ने जाते हैं जिससे उनके परिवार का भरण पोषण होता है। उनका कहना है कि सरकार ने जो लॉग डॉन की घोषणा की है वह हम सब की भलाई के लिए की है ताकि हम इस महामारी से बच सकें।

लेकिन सरकार को उन जैसे लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए। उनके पास 1 सप्ताह तक के लिए पैसा पड़ा हुआ था जिससे वह अपने और अपने परिवार का भोजन जुटा सकें। लेकिन अब उनमें यह क्षमता नहीं बची है आने वाले दिनों में अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।

एथराज का कहना है कि नचिकुप्पम में 350 मछली बेचने की दुकानें हैं 1 सप्ताह से बंद पड़ी हुई है। इस बंदी के कारण उनकी आमदनी रुक गई है। वहीं सरकार के आदेश के कारण वह मछली पकड़ने भी नहीं जा सकते। ऐसे में उनकी सुध लेने के लिए कोई विधायक व सांसद नहीं आ रहा। उनकी सरकार से गुजारिश है कि उनकी सुध लें और उनकी मदद करें।

मछुआरे रुपेश कुमार का कहना है कि नेचीकुपम में 10, 000 से जादा लोगों का परिवार केवल मत्स्य व्यापार पर ही आश्रित है। पुरुषों का काम मछली पकड़ना होता है और महिलाएं मछलियों को बेचती हैं। पिछले 1 सप्ताह से बंदी के कारण न वो मछली पकड़ने जा पा रहे हैं और न हीं बेच पा रहे हैं। राज्य सरकार ने इन लोगों की मदद के लिए ₹1000 सहायता राशि की घोषणा तो की है जो इनके लिए नाकाफी है। इनका कहना है कि 21 दिनों का लॉक डाउन मे ₹1000 से इनके परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाएगा।

इसी इलाके में रहने वाली सिनेमा देवी का कहना है कि लॉक डॉन की वजह से सरकार ने जो ₹1000 की सहायता राशि की घोषणा की है उनके लिए पर्याप्त नहीं है। लॉक डाउन ने जरूरी सामान की कीमतें बढ़ा दी हैं और हजार रुपए से उनका कुछ नहीं हो पाएगा। वह कहती है कि हम सरकार के इस लोन का समर्थन करते हैं लेकिन सरकार को हमारे बारे में भी सोचना चाहिए।

कला देवी का कहना है कि सरकार ने जो सहायता राशि दी है उससे उनका और उनके परिवार का गुजारा नहीं हो सकता 21 दिनों के लिए। ऐसे में सरकार ने जब अन्य जरूरी चीजों के लिए दुकान खोलने की इजाजत दी है तो मछुआरों को भी करने का इजाजत देनी चाहिए। वे लोग इस काम में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखेंगे जिससे महामारी फैलने का खतरा ना हो।

पार्वती का कहना है कि उनके पास जो मछलियां थी उसे खा कर अब तक उन लोगों ने गुजारा किया लेकिन अब उनके पास भी मछलियां नहीं बची हैं। सरकार ने मछली पकड़ने पर भी पाबंदी लगा दी है अब ऐसे में उनके सामने बड़ी ही विकट परिस्थिति पैदा हो गई है। अपने घर वालों का पेट कैसे भरा जाए यह सोचकर वह परेशान रहती हैं। सरकार ने पहले 1 सप्ताह के लॉक डाउन की घोषणा की थी जिसे बाद में बढ़ाकर के 21 दिनों का कर दिया गया। ऐसे में इनका इन जैसे परिवारों का भरण पोषण कैसे होगा एक बहुत बड़ी समस्या।

साउथ इंडिया फिशरमैन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष भारती का कहना है कि नचिकुप्पम इलाके में 10000 से ज्यादा के लोगों का परिवार रहता है जो केवल मत्स्य व्यापार पर ही आश्रित है। यहां 350 से ज्यादा दुकानें हैं, इनके पास 200 छोटे गांव हैं जिसे ले जाकर वह समुद्र के बीच में मछलियां पकड़ते हैं।

लॉक डॉन की वजह से पूरा व्यापार ठंडा पड़ गया है, संघ का नेता होने की वजह से सब लोग उनके पास समस्याएं लेकर आते हैं लेकिन उनके पास इन समस्याओं का कोई समाधान नहीं है। उन्होंने हाल ही में विभाग निदेशालय के निदेशक से मुलाकात करके इन मछुआरों की समस्याओं से अवगत कराया।

विभाग ने भी उनके हर संभव मदद का भरोसा तो दिल आया है लेकिन अगर इस मदद में थोड़ी भी देरी हुई, तो ये मछुआरे भूखों मरने की हालात मैं आ जाएंगे। उन्होंने राज्य सरकार से यह भी आग्रह किया है कि उन्हें मछली पकड़ने और बेचने की अनुमति दी जाए।

जिस प्रकार से दूध सब्जी खाने की अन्य सामग्रियों को बेचने की अनुमति दी गई है उसी प्रकार से मछुआरों को भी मछली पकड़ने और बेचने की अनुमति दी जाए जिससे कि उनका और उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके। कोरोनावायरस महामारी के इस समय में वह सरकार के उन सभी नियमों का पालन भी करेंगे जिससे कि इस बीमारी का प्रसार ना हो सके लेकिन उन्हें उनका व्यवसाय करने दिया जाना चाहिए।

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