विष्णुदेव मंडल, INN/Chennai, @Infodeaofficial
बीते ढाई महीने मे कोरोना संकट के कारण पूरे देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। लॉकडाउन के कारण करोड़ों की संख्या में लोग बेरोजगार हो चुके हैं, काम धंधा छूट जाने से लाखों लोग भुखमरी के कगार पर है। अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार ने अनलॉक वन का घोषणा कर दी है तो वही सरकार डीजल और पेट्रोल के दामों में बढाकर जले पर नमक छिड़कने का काम किया है।
ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े लोगों को माने तो कोरोना संकटकाल में डीजल और पेट्रोल की कीमत को बढ़ाना किसी भी मायने में सही नहीं है। जब बाजार में कच्चे तेलों का भाव कम है ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कीमतें काम करने के बजाय बढ़ाना उनका संवेदनहीन रवैया दर्शाता है। लॉकडाउन के कारण देश पिछले 3 महीने से आर्थिक तंगी से गुजर रहा है।
ऐसी परिस्थिति में यदि केंद्र और राज्य सरकार संवेदनहीन बनकर पेट्रोल और डीजल का दाम बढाती है तो इसका सीधा असर खाने-पीने की वस्तुएं की कीमत पर पड़ेगा। तमिलनाडु में भी हजारों की संख्या में ट्रांसपोर्ट कंपनियां है जिनके पास दर्जनों से भी अधिक ट्रक और भारी वाहन है, जो लॉकडॉउन के कारण आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं।
एक ट्रांसपोर्टर पंकज कुमार झा के अनुसार कोरोना महामारी के कारण माल परिवहन का व्यवसाय बिल्कुल ही दयनीय स्थिति में आ चूका है।
अब्बल तो ट्रक चलाने के लिए ड्राइवर नहीं मिल रहे हैं यदि किसी तरह ड्राइवर मिल भी जाता है तो बाजार में तैयार माल नहीं है।
ट्रक मालिकों को हर दिन ड्राइवरों को बिठाकर वेतन देना होता है
ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े रंजीत यादव के अनुसार कोरोना के इस संकट काल में पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी कही से जायज नहीं है। ट्रक मालिकों को ईएमआई भरने के लिए पैसा नहीं है।
ट्रक जहां-तहां खाली खड़ी है, यदि कहीं माल मिल भी जाता है तो उन गाड़ियों को वापसी में महीनों लग जाता है।
ऐसे वक्त में सरकार द्वारा डीजल और पेट्रोल के भाव बढ़ाने से न सिर्फ ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्रीज परेशान हैं बल्कि आने वाले समय में इससे आम नागरिक भी परेशान होंगे।
ट्रांसपोर्टर महेश कुमार के अनुसार डीजल के भाव बढ़ जाने से माल परिवहन के लिए किराए का ट्रक का रेट में भी वृद्धि होने लगी है। जिन ट्रांसपोर्टर के पास खुद का ट्रक नहीं है वह मार्केट से किराए पर ट्रक लेकर माल के परिवहन कराते हैं उनके लिए स्थिति पहाड़ सी हो गयी है।
इस प्रकार के छोटे-छोटे ट्रांसपोर्टर को डीजल के भाव बढ़ जाने से अपने व्यवसाय चलाने में जद्दोजहद करनी पड़ेगी। मंदी के दौर में केंद्र सरकार द्वारा डीजल और पेट्रोल के भाव में वृद्धि करना बिल्कुल अनैतिक है।
एक लॉजिस्टिक कंपनी के प्रबंधक मुन्ना कुमार गुप्ता बताते हैं की ढाई महीने का लंबा लॉकडाउन से पूरी ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री बदहाल हो चुकी है।
ट्रक मालिकों का ट्रक फाइनेंस कंपनियों ने सीज कर लिया है क्योंकि समय पर ईएमआई नहीं जमा नहीं हो पायी थी।
केंद्र सरकार सारे हिंदुस्तानियों को आत्मनिर्भर बनाने की बात करती हैं तो दूसरी सरकारी और गैरसरकारी एजेन्सिया ट्रांसपोटरों से बैसाखी भी छीन लेते है।
वेयरहाउस प्रबंधक प्रभात कुमार सिंह का कहना है की केंद्र सर्कार ने हाल ही में 20 लाख करोड़ पैकेज की घोषणा की थी ताकि छोटे बड़े व्यवसाय को सबल बनाया जा सके।
दूसरी तरफ पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाकर वह सिद्ध कर रहे हैं की वह आर्थिक रूप से हमारी कमर तोडना चाहते हैं।
ऐसा लगता है की सरकार का आमजन के समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है।
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