सातनकुलम पुलिस स्टेशन की घटना पर राज्यभर में रोष

विष्णुदेव मंडल, INN/Chennai, @Infodeaofficial

सातनकुलम पुलिस स्टेशन में पिता-पुत्र प्रताड़ना के कारण हुई मौत के मामले में दोषी पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस के इस बर्बरतापूर्ण रवैया को राज्यभर में निंदा की जा रही है।

तमिलनाडु की प्रमुख विपक्षी पार्टी डीएमके के अलावा एमडीएमके, बीजेपी समेत फिल्म अभिनेता रजनीकांत और कमल हसन ने भी पुलिस के बर्बरता पूर्ण रवैया की घोर निंदा की है।

सातनकुलम पुलिस स्टेशन में मृतक पी जयराज और उनके पुत्र को बेनिक्स की पुलिस हिरासत में प्रताड़ना के कारण हुई मौत ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना पर चेन्नई में भी लोगों ने कड़ी निंदा की है।

आरोपी पुलिसकर्मी को कठोर दंड दी जानी चाहिए

तमिलनाडु के पूर्व डीजीपी भोलानाथ ने कहा की कुछ पुलिसकर्मियों के कारण पूरा पुलिस डिपार्टमेंट शर्मसार हो रहा है।

पुलिस का काम है आमजन रक्षा करना यदि कोई पुलिसकर्मी सेवा करने के बजाए अपने ओहदे का गलत इस्तेमाल करता हैं तो उसकी सजा उन्हें जरूर मिलनी चाहिए।

कानून के अनुसार पुलिस का काम आरोपी को कोर्ट तक पहुंचना है वह अपराधी है या नहीं या फिर उसे क्या सजा मिलनी चाहिए इसका फैसला कोर्ट करता है। पुलिस को कोई हक़ नहीं की पकडे गए आरोपी के साथ वास् बर्बरतापूर्ण व्यवहार करे।

तमिलनाडु पुलिस का छवि धूमिल हुआ

भारतीय जनता पार्टी के नेता अमरनाथ मिश्रा के अनुसार सातनकुलम घटना के कारण तमिलनाडु पुलिस की छवि धूमिल हुई है।

पहले तमिलनाडु पुलिस का नाम बेहतर पुलिसिंग व्यवस्था के लिए जाना जाता था लेकिन पुलिस हिरासत में पिता-पुत्र के साथ हुई बर्बरतापूर्ण हादसे ने पुलिस की छवि धूमिल कर दी है।

इस मामले को सीबीसीआईडी से जांच के बजाय मामले को सीबीआई को सौंप देनी चाहिए जैसा कि राज्य सरकार ने इसकी अनुशंसा की है।

आरोपी पुलिसकर्मी को सख्त से सख्त सजा मिले

एक समाजसेवी पंकज झा का कहना है की सरकार को पोलिसिंग व्यवस्था सुधार लाने की जरुरत है।

पुलिस लोगों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों करती है, लोग पुलिस से डरते क्यों है? पुलिस की मानसिक स्थिति ऐसी क्यों होती और इसे कैसे दूर किया जाय।

पुलिस को चाहिए की उसके बारे में लगों के मन में जो गलत छवि बानी है उसे दूर कर मित्रवत बने। जनता को जब भी कोई समस्या हो तो डरते-डरते पुलिस थाने न आये बल्कि अधिकार से जाए।

पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी हो शिकयत की व्यवस्था 

व्यवसायी अनूप कुमार कहते हैं लॉकडाउन में मैंने भी देखा है की पुलिस अमानवीय व्यवहार करती है। लोग क्यों बाहर निकले है उसके कारन को समझे न की गाडी सीज़ कर ले या फाइन लगा दे बिना सामने वाले की दलील सुने हुए। अगर सामने वाले की दलील गैरवाजिब लगे तो वह स्वतंत्र है कार्यवाही करने को। सातनकुलम में जो घटना घटी है वह दिल को झकजोड़ देती है। कानून का उलंघन करने वाले पुलिसकर्मियों के लिए भी थाने में शिकायत दर्ज करने का प्रावधान होना चाहिए जिसकी स्वतंत्र जाँच हो।

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