प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से ज्यादा जरूरत है जागरुकता केंद्र की : डा. एम.के. मणी

तान्या सिन्हा/चेन्नई, @Infodeaofficial

बिमारी के ईलाज से ज्यादा अच्छा उससे बचाव है। इसलिए हमें बिमार पडऩे के बाद डाक्टर व दवाइयों के भरोसे बिमारी ठीक होने के बजाय हमें इससे बचने के उपायों पर काम करने की ज्यादा जरूरत है। मौजूदा परिस्थिति के अनुसार यह जरूरी है कि सरकार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुविधा बढ़ाने के बजाय बिमारियों से बचने के लिए लोगों को जागरुक करने के लिए जागरुकता केंद्र की सुविधा दे।

मद्रास क्रियिचयन कॉलेज (एमसीसी) में आयोजित डीटींग्वीइस एल्युमनाई अवार्ड को संबोधित करते हुए डा. एम.के. मणी ने अपनी जींदगी के एक नीजि अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जिस 21 के दशक में जब उन्होंने डाक्टरी के पेशे की शुरूआत ही की थी तब कीडनी कैंसर से जुड़े रोगियों के लिए कोई ईलाज नहीं हुआ करता था। आज 21वीं सदी में हमने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। अफसोस इस बात का है कि आज इसका ईलाज होने के बावजूद भी, इसके मंहगे होने के कारण काफी लोग इसके ईलाज से वंचित रह जाते हैं और हम चाह कर भी उनकी जान नहीं बचा सकते।

गौरतलब है कि इस अवार्ड समारोह में एमसीसी के एल्युमनाई रहे चुके पद्मभुषण डा. एम.के. मणी और पद्म सुरेश कृष्णा को डीटींग्वीइस एल्युमनाई अवार्ड से स मानित किया गया। इन दोनों ने एमसीसी में अपनी पढ़ाई एक ही साथ की है। एमसीसी अल्युमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष के.एम. मामेन ने दोनों को यह अवार्ड दिया। डा. मणी चेन्नई के आस-पास 56 गावों में लोगों को रहन-सहन और बिमारी से बचने के तरीके सीखात हैं।
उनहे इस काम के लिए इंटरनेशल सोसाइटि ऑफ न्युरोलॉजी द्वारा बेस्ट प्रिवेंशन प्रोगराम इन द वल्ड से सम्मानित किया गया है। पत्रिका से विशेष बातचीत करते हुए डा. मणी ने बताया कि उन्होंने ऐसे जागरुकता केंद्र की पहल सरकार की ओर से करने के लिए तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार दोनों को कई बार याचिकाएं भेजी हैं पर इस संबंध में अबतक सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई है। अफसोस जाहिर करते हुए डा. साहब ने कहा कि उनके जिस कार्यक्रम को दुनिया में सराहा गया वहीं उनके अपने ही देश में उसपर सरकार का ध्यान खीचने के लिए उन्हें काफी जद्दोजहत करनी पड़ती है। डा. मणी एमसीसी के 1953 बैच के हैं।
इन्होंने एमसीसी से प्रियुनिवर्सिटि की है। न्युरोलॉजी के क्षेत्र में डा. मणी ने विश्वभर में अपनी सेवाएं दी हैं। वर्ष 1991 में डा. मणी को पद्मभुषण अवार्ड से स मानित किया गया। ये अभी चेन्नई के अपोलो अस्पताल में चीफ न्यूफ्रोजिस्ट के पद पर अपनी सेवा दे रहे हैं। सुरेश कृष्णा ने एमसीसी से वर्ष 1954 में रासायण विषय में स्नातक किया। विदेश में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पारिवारिक व्यवसाय टीवीएस सुंद्रम अय्यंगार एंड सन्स लिमिटेड से वर्ष 1961 से जुड़ गए। 1963 में उन्होनें सुंद्रम फासटेनर्स का गठन किय।
ये टीवीएस एंड सन्स के चेयरमैन है जो जल्द यह जि मेदारी अपनी बेटी को देने जा रहे हैं। इस मौके पर कॉलेज के प्रिंसिपल डा. आर.डब्लु. एलेक्जेंडर जेसुदासन, फ्रेडी कोकिरन, एससीसी एल्युमनाई एसोसिएशन के सचिव डा. सी. सेल्वराज, उपाध्यक्ष एनआर कृष्णमुर्ति समेत कई अन्य लोग मौजूद थे।

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