अंग्रेजी से आगे निकल रही हिंदी
एस विष्णु शर्मा, आईएनएन/चेन्नई, @SVS037
हिंदी को बहुत प्यारी भाषा बताया। हिन्दी में काम करना हमारा संवैधानिक दायित्व भी है। भारत एक बहुभाषी देश है, जहां ‘एक कोस पर पानी बदले, तीन कोस पर बोली’ कहावत चरितार्थ होती है। ऐसे में पूरे देश में संपर्क सेतु के एक रूप में हिन्दी एक मानक भाषा है। यह जैसी बोली जाती है, वैसी लिखी भी जाती है। यह इसकी वैज्ञानिकता भी है।
बैंक आॅफ इंडिया की ओर से आंचलिक कार्यालय में हिन्दी दिवस के अवसर पर आंचलिक प्रबंधक के वी प्रकाश ने ने बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीनबंधु महापात्रा के संदेश का वाचन करने के बाद यह कहा। प्रकाश ने कहा कि हिंदी प्रगतिशील है। इसने अवधी, ब्रजभाषा, उर्दू, और अन्य भारतीय भाषाओं के शब्द लिए। अंग्रेजी के शब्द भी लिए। हिन्दी ने दूसरी भाषा को अपना बनाया। हिन्दी अपनी शक्ति के कारण निरंतर प्रगति कर रही है। आजकल सभी महानगरों में हिन्दी मल्टीप्लेक्स, शॉपिंग माल्स, पार्टी में हिन्दी अंग्रेजी से कम नहीं है।
उप आंचलिक प्रबंधक सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने समस्त बैंकिंग कामकाज में हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग और प्रचार प्रसार के लिए संकल्प दिलवाया। मुख्य प्रबंधक बी बी घोलप ने केंद्रीय गृहमंत्री के संदेश का वाचन किया। राजभाषा अधिकारी बृज नन्द विश्वकर्मा ने माननीय वित्त एवं कार्पोरेट कार्य मंत्री जी का संदेश वाचन किया।
आंचलिक प्रबन्धक ने प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रमाण पत्र और पुरस्कार प्रदान किया। बृजनंद विश्वकर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर कर्मचारी संघ के महासचिव पी सी श्रीधर, मुख्य प्रबंधक एस स्वामीनाथन के साथ अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे। सभी शाखाओं में भी मनाये गये हिन्दी माह के दौरान हिन्दी बैंकिंग शब्दावली, हिन्दी गीत गायन, हिन्दी सुलेख, तमिल सुलेख,हिन्दी नोटिंग, कविता पाठ और निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं।