कार्तिकेय गिल्डिया, आईएनएन/चेन्नई, @Kartikay_g
स्वगृहे पूज्येत पितृ , स्वग्रामे पूज्येत प्रभु ।
स्वदेश पूज्येत राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्येत ॥
शास्त्रों में अंकित इस श्लोक से ज्ञान एवं ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करने वाले विद्वान दोनों की महत्ता उजागर होती है । वर्तमान युग में जहाँ तकनीक को अपनाने पर अधिक बल दिया जार रहा है, वहीं ज्ञान- विज्ञान की उपयोगिता भी और अधिक बढ गयी है। यहाँ तक कि आज के इस समय में ज्ञान ही शक्ति है, यह कहना अनुचित ना होगा।
वैसे भी प्राचीन काल से ही कलम को तलवार से अधिक शक्तिशाली माना गया है। इन सभी तथ्यों के आधार पर स्पष्ट हो जाता है कि आज के परिपेक्ष में शिक्षा का स्थान सर्वोपरि है और इसीलिए हर समाज, हर देश शिक्षा को लेकर गम्भीर है और उसके प्रचार-प्रसार में तन-मन-धन से लगा हुआ है।
शिक्षा के संदर्भ में यदि अपने देश भारत पर नज़र डालें तो हम पाते हैं कि हमारे देश में भी समय के साथ-साथ शिक्षा के स्तर में काफी सुधार हुआ है । परंतु बिडम्बना यह है कि इस सबके बाद भी हमारे देश में कई प्रतिभावान व्यक्तित्व धनाभाव के कारण शिक्षा से वंचित रह जाता हैं। यद्यपि देश का सामाजिक एवं सरकारी तंत्र इस समस्या से उबरने का प्रयास कर रहा है फिर भी इस दिशा में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
कुछ इसी तरह के अनोखी शुरुआत बुक-बैंक
बुक-बैंक द्वारा जरुरतमंद छात्रों तक अध्ययन सामग्री पहुँचाना इसी कड़ी का एक हिस्सा है। चेन्नई स्थित राजस्थान यूथ एसोशिएसन द्वारा संचालित बुक-बैंक, इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये विगत 55 वर्षों से समर्पित है। 1964 में स्थापित इस संस्था का एकमात्र उद्देश्य है- अधिक से अधिक जरुरतमंद छात्रों को मुफ्त पुस्तकें उपलब्ध करवाना और शिक्षा के माध्यम से उनके भविष्य को एक निश्चित दिशा देना।
अपने उद्देश्य में यह संस्था दृढ़ संकल्प के साथ पूर्णतया सफल भी हो रही है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है- नयी-नयी पुस्तकों के समावेश द्वारा बुक-बैंक का निरंतर अद्यतन होना। यही नहीं, बिना किसी जाति, धर्म, लिंगभेद के सभी शिक्षार्थियों को अपनाकर यह संस्था उनकी सहायता के लिए सदैव तत्पर रही है।
इस बुक-बैंक से विभिन्न पाठ्यक्रम जैसे चिकित्सा, सूचना तकनीक, कम्प्यूटर इत्यादि से सम्बंधित पुस्तकें सिर्फ एक आवेदन पत्र द्वारा प्राप्त करी जा सकती हैं । निरंतर अद्यतन के फलस्वरुप नयी-नयी पुस्तकों द्वारा आवेदकों को नयी-नयी जानकारियाँ उपलब्ध करायी जाती हैं।
राजस्थान यूथ एसोशिएसन द्वारा संचालित बुक-बैंक इसके माननीय अध्यक्ष श्री नीतेश वागमार जी की कुशल देख-रेख में यह प्रशंसनीय कार्य प्रगति पर है। इतना ही नहीं यह संस्था 9000 छात्रों को किसी भी समय बुक-बैंक सहायता देने में पूर्णतया समर्थ है। अब तक लगभग एक लाख पच्चीस हज़ार से अधिक जरुरतमंद छात्रों को शिक्षित करने की दिशा में अपना समर्थन दे चुकी है, जो अपने आप में एक अनोखा मिशाल है।
नीतेश वागमार जी को, उन्हें अपने सभी कार्यकर्ताओं पर बहुत गर्व है। सभी कार्यकर्ता अपने अथक परिश्रम द्वारा भविष्य में इस सेवा का असीम विस्तार कर सकेंगे, ऐसा उनका अटूट विश्वास है। उन्होंने यह भी बताया कि संस्था द्वारा संचालित यह बुक-बैंक नामक परियोजना एक व्यवसायी वर्ग विशेष द्वारा चलायी जा रही है। धन उपलब्ध कराने से लेकर ये सभी सदस्य अपने दैनिक क्रियाकलापों के साथ-साथ इस पुण्य कार्य में भी अपना मूल्य समय देकर भरपूर सहयोग देते रहे हैं, जो कि अनुकरणीय है।
शिक्षा एक ऐसी औषधि है जो अनेकों समाजिक समस्यायें जैसे गरीबी, अज्ञानता, पिछड़ापन आदि को जड़ से समाप्त कर सकती है। इसी संकल्प के साथ राजस्थान यूथ एसोशिएसन अपने इस मिशन पर आगे बढ़ रही है। यह संस्था अपना अमूल्य शिक्षारुपी योगदान देकर समाज एवँ देश का उत्थान करने वाले पथ प्रदर्शक बने हुए है।
बताते चलें कि
संस्था द्वारा अकादमिक वर्ष 2018-19 के लिए नये आवेदन पत्र जारी कर दिये गये है। आप सभी से अनुरोध है कि जन-जन तक इसका प्रचार-प्रसार करें , ताकि अधिक से अधिक छात्र इस बुक- बैंक के महान परियोजना से जुड़ेंगें जिससे अपना ही नहीं पुरे देश के होनहारों का भविष्य उज्ज्वल बन सकेगा।
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