भाषा व संस्कृति की रक्षा करें: वेंकैया नायडू

मद्रास विश्वविद्यालय में आयोजित प्रेसिडेंसी कॉलेज के दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा भाषा और संस्कृति साथ—साथ चलनी चाहिए। हमें इन दोनों की रक्षा करनी चाहिए।

आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial 

मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा मातृभाषा आंख की तरह होती है तो अन्य भाषाएं चश्मे की तरह। यदि अच्छी दृष्टि नहीं है तो चश्मा पहनने से भी कुछ नहीं होगा। अपनी मातृभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए, बल्कि हमें कोशिस करनी चाहिए कि हम औरों को उसे सीखा कर उसका प्रचार करें। नायडू ने कहा उत्तर भारतीयों को दक्षिण की भाषाएं और दक्षिण भारतीयों को उत्तर की भाषा सीखनी चाहिए। हिन्दी सीखना हर भारतवासी के लिए बहुत ही जरूरी है क्योंकि हिन्दी देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। कोई भी भाषा सीखना मुश्किल नहीं है। बस सीखने की योग्यता और इच्छा होनी चाहिए।

नायडू ने कहा दीक्षांत समारोह में आकर उनको बहुत हर्ष हो रहा है, क्योंकि जब वे पढ़ाई करते थे तब से इस कॉलेज के बारे में सुनते आ रहे हैंं। यह कालेज दक्षिण भारत में सबसे पुराना, बेहतरीन और प्रतिष्ठित कॉलेजों में से एक है। उन्होंने कहा इस कॉलेज में 90 प्रतिशत सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थी शिक्षा पाते हैं और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए अपना भविष्य बेहतर बनाते हैं शिक्षा एक मिशन होना चाहिए कमीशन नहीं। योग सहित अन्य भारतीय पारंपरिक प्रथाओं के बारे में उन्होंने कहा योग का धर्म से कोई लेना देना नहीं है। वर्तमान में दुनियाभर के 172 देशों में लोग योग करते हैं। मैंने बहुत सारे देशों का दौरा किया है जहां लोगों को योग के बारे में बात करते देखा हैं।

एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता और मत्स्य पालन मंत्री डी. जयकुमार ने सामान्य परिवार से निकल कर उपराष्ट्रपति के पद तक पहुंचने को लेकर नायडू की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि नेल्लोर जिले के एक कृषक परिवार में जन्म लेने वाले नायडू ने अपनी लगन और मेहनत से इस मुकाम तक पहुंचे हैं। इस मौके पर उच्च शिक्षा मंत्री के. पी. अन्बझगण, उच्च शिक्षा प्रधान सचिव मंगतराम शर्मा, मद्रास विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर पी. दुरैसामी, पे्रसिडेंसी कॉलेज के प्रिंसिपल आर. रावणा सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

समाज को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए लड़कियों का साक्षर होना जरूरी

समाज को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए लड़कियों को अनिवार्य रूप से शिक्षा देने की जरूरत है। उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू गुरुवार को एत्तिराज कॉलेज फॉर वुमेन के प्लेटिनम जुबली समारोहों को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा पितृसत्ता, रूढि़वाद, अतिवाद और धर्मांधता का तोड़ महिलाओं को साक्षर बना किया जा सकता है। परिवार की व्यवस्था युवाओं को तनाव से बचाने के लिए सर्वश्रेष्ठ औषधि है।

उन्होंने कहा भारत की सभी महिलाएं साक्षर हो गई तो वह दिन दूर नहीं कि हम खुद को विकसीत देशों की श्रेणी में पाएंगे। अपने विकास के प्रयासों के केन्द्र में लड़कियों की शिक्षा को अवश्य रूप से रखना चाहिए। युवाओं में डिप्रेशन आसपास के लोगों से अलग-थलग पड़ने के कारण आता हैं और अनुभवी सलाह नहीं मिल पाने के कारण छोटे—छोटे मामलों में युवा जल्द ही तनाव में जाते हैं। परिवार के बुजुर्ग व मुखिया को घर के बच्चों और युवाओं से समय—समय पर बातचीत करती रहनी चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि इंटरनेट और गैजेट्स के का इस्तमाल एक तरफ युवाओं के लिए अच्छा है तो उसकी कई बुराइयां भी हैं, जिससे युवाओं को सावधान रहने की जरूरत है। अत्यधिक इस्तेमाल से नौजवान प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने छात्राओं से कहा वे एक कड़े नियम का पालन करें और शारीरिक व्यायाम के लिए समय निर्धारित करें। हमें अपनी भाषा व संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए

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