केवल जल-भंडार नहीं प्राकृतिक-चक्र का आधार भी है समुद्र

                                                         SATISH KUMAR SRIVASTAVA , INN/CHENNAI, @satishgnaitik
चेन्नई. मरैमलै नगर स्थित एला ग्रीन इन्टरनेशनल स्कूल में सोमवार को आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइओटी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं मुख्य अतिथि  डॉ. दिलीप कुमार झा ने कहा कि समुद्र जल का विशाल भंडार होने के साथ-साथ प्राकृतिक-चक्र का जीवन रेखा भी है। उन्होंने सागर का महत्व समझाते हुए कहा कि बारिश हो या भूकंप हर क्षेत्र में समुद्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। समुद्र संरक्षण पर विशेष भाषण देते हुए उन्होंने बताया कि समुद्र के पास संग्रहण की अद्भुत क्षमता है।  यहीं कारण है कि जो कुछ भी उसमें फेंका अथवा डाला जा रहा है उसे वह अपने भीतर समाहित करता चला आ रहा है। लेकिन यदि ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब वह अपने भीतर की चीजों को बाहर फेंकना शुरू कर देगा। यदि ऐसा ही रहा तो हमारा जीवन नर्क से भी बद्तर बन कर रह जाएगा।
 
इससे पहले ऑनलाइन माध्यम से आयोजित इस समारोह की प्रारंभ एमवाईपी संयोजिका डॉ. शांता शंकर ने प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक डॉ सी. वी. रामन का परिचय का देकर किया। विज्ञान दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के विद्यार्थियों ने मुख्य अतिथि से समुद्र से संबंधित विभिन्न विषयों पर सवाल-जवाब किया। अपने संबोधन के अंत में डॉ. दिलीप ने विद्यार्थियों से समुद्र संरक्षण पर जागरूकता फैलाने और यथा संभव प्लास्टिक का प्रयोग बंद करने का वचन लिया। कार्यक्रम का समापन विज्ञान शिक्षक जोशुआ ज़ेवियर के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। इस दौरान गणित शिक्षिका अनुराधा, अंग्रेजी अध्यापिका चंदना, दृश्यकला शिक्षिका नंदिनी, कंप्यूटर एवं प्रदर्शन कला शिक्षिका प्रतीक्षा, समाजिक अध्ययन अध्यापिका सारण्या, डिज़ाइन अध्यापिका रम्या, हिन्दी शिक्षक सतीश कुमार श्रीवास्तव तथा फ्रेंच अध्यापिका उत्तरा समेत एमवाइपी के कई विद्यार्थी उपस्थित थे।

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