धर्म के दो पक्ष होते हैं -1. विचार पक्ष और 2. आचार पक्ष। आचार अथवा आचरण बाह्य होता है, और वही नजर आता है। जबकि विचार और संवेदना सूक्ष्म होती है और अक्सर दिखती नहीं है। आज जो धर्म के नाम पर कई तरह के भ्रम बैठे हुए हैं उसके मूल में बाह्य पक्ष है। टीका, टोपी, पगड़ी, दाढ़ी, रंग आदि के कारण धर्म विवाद के केंद्र में हैं।
आईएनएन/चेन्नई,@Infodeaofficial
आजकल टीका, टोपी व जनैव पहनना ही असल धर्मावलम्बी होती है और इनकी टोपी और टीका इस बात का सर्टिफिकेट है। एसएस शासून जैन महिला कॉलेज में शनिवार को भारतीय भाषाओं में धर्म साहित्य के विविध आयामों की प्रासंगिकता पर आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रिय संगोष्ठि के मौके पर गुजरात से आए प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि सनातन धर्म का आदि ग्रंथ वेद है जो “विद्” धातु से बना है, इसका अर्थ है जानना या ज्ञान पाना। इसी विद् से विद्या, विद्वान, विद्यालय विद्यार्थी आदि शब्द बनते हैं। यह जानना केवल बाहर का जानना नहीं है, भीतर को, खुद को भी जानना है। प्रकृति को पहचानना है जो असल में धर्म का मूल है।
जो अपनी भाषा से प्रेम करता है वह दूसरों की भाषाओं का भी सम्मान करता है ठीक उसी तरह जो अपने धर्म को जानता है वह कभी दूसरे के धर्म का अपमान नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के लोग अपनी भाषा और अपने साहित्यकारों से प्रेम करना जानते हैं, “नॉलेज इज पॉवर” की पाश्चात्य धारणा बहुत सीमित सोच है भारत में ज्ञान शक्ति कि नहीं मुक्ति की साधना है। बुद्ध के पास शक्ति थी मुक्ति के लिए उन्होंने ज्ञान की साधना किया। यही धर्म का मूल्य है जहां आप संपूर्ण चराचर से एकात्म स्थापित करें और सब के भीतर के सच को जान जाएं। जो मूलत: एक ही है।
कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए प्रसिद्ध साहित्यकार बी. एल. आच्छा ने कहा कि हमारा देश केवल भूगोल की वजह से ही अखंड नहीं है बल्कि सांस्कृतिक भूगोल जनमानस की एकता में अखंडित है। हमारे संतो ने आम आदमी में उस शक्तिमत्ता को भरा जो बादशाहत को चुनौती दे सकती थी। उन कर्मकांडों के खिलाफ पुकार लगाई, जो धर्म का आंतरिक पक्ष नहीं था।
धर्म का साहित्य जीवन की उदार नैतिकता का पक्षधर है। धर्म प्रेरणा में है, संगठन में नहीं। हमारी आजादी के आंदोलन में भी इसी सांस्कृतिक आत्मा की तलाश थी और वही शक्ति बिना शस्त्रों के भी अंग्रेजी सत्ता का प्रतिकार करती रही। कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए लोगों ने अपने पेपर प्रस्तुत किए।
इस मौके पर समाज सेविका वीएस अरुलसेल्वी, एमओपी वैष्णव महिला कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डा. सुधा त्रीवेदी, कॉलेज के सचिव अभय कुमार जैन, सहसचिव अशोक कुमार मेहता, मद्रास हिंदी प्रचारक संघ के अध्यक्ष के.वी. रामचंद्रन, प्रधानाध्यापक डा. पूर्णा, हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डा. हर्षलता, डा. सरोज सिंह समेत कई अन्य लोग मौजूद थे।
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