आईआईटी मद्रास ने कैंसर जीनोम डेटाबेस लॉन्च कर भारत में कैंसर अनुसंधान को नई दिशा दी
आई.सी.एम.आर. की हालिया रिपोर्ट में इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या लगातार बढ़ने के संकेत – राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम ने भी भारत के नौ में एक व्यक्ति को कैंसर होने की संभावना जताई
संस्थान ने इस संबंध में डेटाबेस तैयार कर iitm.ac.in पर सभी के लिए उपलब्ध कराया – भारत और विदेशों के भी शोधकर्ता और चिकित्सक इसका उपयोग कर पाएंगे।
कल (4 फरवरी 2025) विश्व कैंसर दिवस के मद्देनजर बहुत प्रासंगिक है यह डाटाबेस।
आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
कैंसर पूरी दुनिया की सबसे जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। हाल में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम.आर.) की एक रिपोर्ट ने इस घातक बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या लगातार बढ़ने की चेतावनी दी है। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार भारत के नौ में से एक व्यक्ति को जीवन में कभी-न-कभी कैंसर होने की संभावना है और वर्तमान में 14,61,427 लोग कैंसर पीड़ित हैं। 2022 से हर साल कैंसर के मामलों में 12.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
हमारे देश में कैंसर के बढ़ते प्रकोप के बावजूद पूरी दुनिया में हो रहे कैंसर जीनोम अध्ययनों में हमारी बहुत कम भागीदारी है। भारत में अधिक प्रकोप वाले कैंसरों के जीनोमिक आर्किटेक्चर उपलब्ध नहीं रहने के चलते भारतीय कैंसरों के विशिष्ट आनुवंशिक वेरिएंट को पूरी तरह एकत्र और सूचीबद्ध करने का काम नहीं हुआ है, जबकि ऐसा करना किसी भी डायग्नोस्टिक किट और दवा के विकास के लिए जरूरी है।
आईआईटी मद्रास ने भारत में विभिन्न कैंसरों के जीनोमिक लैंडस्केप की अनुपलब्धता दूर करने के लक्ष्य से 2020 में कैंसर जीनोम प्रोग्राम शुरू किया। इसके तहत, पूरे देश में स्तन कैंसर के 480 मरीजों के टिश्यू सैम्पल लेकर 960 संपूर्ण एक्सोम सीक्वेंसिंग का काम पूरा किया गया है।
आईआईटी मद्रास ने मुंबई के कर्किनोस हेल्थकेयर, चेन्नई ब्रेस्ट क्लिनिक और कैंसर रिसर्च एंड रिलीफ ट्रस्ट, चेन्नई के सहयोग से डेटा का विश्लेषण किया और भारतीय स्तन कैंसर के सैम्पल से प्राप्त आनुवंशिक वेरिएंट का अनाम समरी तैयार किया। कल (4 फरवरी 2025) विश्व कैंसर दिवस के मद्नेजर इस शोध की प्रासंगिकता बढ़ गई है।
आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने भारतीय स्तन कैंसर जीनोम सीक्वेंस बनाने का काम पूरा करने की जानकारी दी और आज (3 फरवरी 2025) को अपने परिसर में ‘भारत कैंसर जीनोम एटलस (बीसीजीए)’ जारी किया।
संस्थान ने यह डेटाबेस bcga.iitm.ac.in पर भारत और विदेशों के भी शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के लिए सार्वजनिक रूप से सुलभ बना दिया है।
आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने ‘भारत कैंसर जीनोम एटलस’ को न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया के शोध समुदाय के लिए लाभदायक बताते हुए कहा, ‘‘हम पूरे समाज के लिए ‘आईआईटीएम फॉर ऑल’ की प्रतिबद्धता के साथ स्वास्थ्य संबंधी एक अन्य महत्वपूर्ण डेटा जारी कर रहे हैं। कैंसर जीनोम डेटा जारी करना इस शैक्षणिक वर्ष ब्रेन डेटा के बाद हमारी दूसरी बड़ी उपलब्धि है। उम्मीद है कि हमें इस डेटा से इस घातक बीमारी के कारणों की गहरी जानकारी मिलेगी और इस तरह उपचार जल्द होने से इस बीमारी की रोकथाम में भी मदद मिलेगी। इस एटलस से देश के अंदर विभिन्न कैंसरों के जीनोमिक लैंडस्केप की अनुपलब्धता दूर होगी। यह समकालीन भारतीय स्तन कैंसर आबादी में दिखते जेनेटिक वेरिएंट का एक संग्रह प्रस्तुत करेगा, ताकि शुरुआती निदान, बीमारी के प्रोग्रेसन और उपचार के परिणामों के मद्देनजर वेरिएंट्स को वर्गीकृत करना संभव हो।’’
यह अनुसंधान इस संस्थान के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन कैंसर जीनोमिक्स एण्ड मोलेक्यूलर थिरैप्युटिक्स के मार्गदर्शन में किया गया। इसका वित्तीयन भारत सरकार के ‘प्रतिष्ठित संस्थान’ अभियान के तहत किया गया।
इस इनीशिएटिव के बारे में आईआईटी मद्रास में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन कैंसर जीनोमिक्स एण्ड मोलेक्यूलर थिरैप्युटिक्स के प्रमुख व प्रोेजक्ट कॉर्डिनेटर प्रो. एस. महालिंगम ने कहा, ‘‘यह डेटाबेस विशेष कर भारत में कैंसर के बायोमार्करों की पहचान करने का एक अमूल्य संसाधन होगा। इससे स्तन कैंसर का जल्द पता लगाना संभव होगा। इसके अलावा, यह विशेष कर भारतीय आबादी के लिए बेहतर उपचार की रणनीतियां विकसित करने के लक्ष्य से नए ड्रग टार्गेट्स की पहचान करने में भी बहुत उपयोगी होगा।”
प्रो. एस. महालिंगम आईआईटी मद्रास के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के फैकल्टी भी हैं। उन्होंने बताया, ‘‘बीसीजीए सभी प्रकार के कैंसरों के कैंसर जीनोमिक्स पर कार्यरत शोधकर्ताओं के डेटा भी होस्ट करेगा और यह ऐसे सबमिशन स्वीकार करने के लिए खुला रहेगा। इस डेटा के उपयोग से अधिक जोखिम वाले समूहों की पहचान करने, कैंसर के प्रोग्रेसन पर निगरानी रखने, व्यक्ति विशेष के अुनसार उपचार की रणनीति बनाने और उपचार के परिणामों को समझने के लिए बायोमार्करों की पहचान होगी।’’
यह जीनोम एटलस कैंसर के प्रोग्रेसन और इवॉल्यूशन के आनुवंशिक आधार के बारे में भी जानकारी देता है और भारत में जैव चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को एक नई दिशा देते हुए ‘व्यक्ति विशेष के अुनसार चिकित्सा’ का दृष्टिकोण अपनाने में मदद कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति के आनुवंशिक और मोलेक्यूलर विवरण के अनुसार उसके निदान का निर्णय लिए जाने से बेहतर चिकित्सा उपचार संभव होगा।
यह विश्लेषण आईआईटी मद्रास और कार्किनोस हेल्थकेयर के खास इनीशिएटिव नेशनल सेंटर फॉर प्रिसिजन मेडिसीन इन कैंसर के तत्वावधान में किया गया, जिसका मकसद कैंसर के किफायती उपचार पेश करने के लिए विभिन्न विषयों के तालमेल से शोध और विकास कार्य करना है। आईआईटी मद्रास में कैंसर टिश्यू बायोबैंक बनाने में योगदान के लिए संस्थान विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार का आभार व्यक्त करता है।