निस्वार्थ सेवा की प्रतिमूर्ति प्रोफेसर स्वामीनाथन : डा. द्वीवेदी
प्रोफेसर स्वामीनाथन को मिली डॉक्टर ऑफ लेटर्स की डीग्री
आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
निस्वार्थ भाव से दूसरों की जो सेवा की जाती है वह सेवा ही दुनिया में सबसे बड़ी सेवा मानी जाती है।
एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ) के संस्थापक प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को बुधवार को आईटीएम विश्वविद्यालय ग्वालियर द्वारा डॉक्टर ऑफ लेटर्स डिग्री से स मानित करने के मौके पर सभा को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डा. कमलकांत द्विवेदी ने कहा कि प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन निस्वार्थ सेवा की प्रतिमूर्ति हैं।
उनके जीवन और जीवनकाल में किए गए कार्यों को देखकर ही वह एसा कर रहे हैं। उनकी यह सेवा अभी भी जारी है, उम्र के इस पड़ाव में आने के बावजूद भी उन्होंने अपने प्रयासों को पूर्णविराम नहीं दिया है।
एमएसएसआरएफ में आयोजित विशेष दिक्षांत समारोह में यह डिग्री स्वामीनाथन को दी गई।
इस मौके पर डा. द्विवेदी ने कहा कि निस्वार्थ सेवा जिससे दूसरों को सुख मिले सबसे बड़ी सेवा है। प्रोफेसर स्वामीनाथन का जीवन हमें यही दर्शाता है।
इस मौके पर प्रोफेसर स्वामीनाथन ने कहा कि हम स्थाई कृषि उत्पादन द्वारा ही देश में भूखमरी जैसी समस्या को खत्म कर सकते हैं। जैव विविधता संरक्षण स्थाई कृषि विकास के लिए प्रमुख कदम है। मुझे खुशी है कि आईटीएम विवि ने अबतक एक हजार कृषि डिग्री धारक पैदा किए हैं।
इस मौके पर विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के पूर्व सचिव डा. टी रामासामी ने कहा कि हमें कृषि शोध को नई परिभाषा देने की जरूरत है। वास्तविकता, विकास और शोध के बीच संपर्क साधकर शोध करने की जरूरत है ताकि जमीनी स्तर पर शोध का फायदा मिल सके।
इस मौके पर कई वैज्ञानिक, शोधार्थी, आईटीएम विवि के अतिथि और एमएसएसआरएफ के कर्मचारी मौजूद थे।