हिंदी विरोधी खुद चला रहे हिंदी स्कूल

डीएमके नेता और उनके रिश्तेदार राज्य में हिंदी विरोध कर चला रहें है अपनी दुकान

आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial 
केंद्र सरकार द्वारा त्रीभाषिय नीति को लागु करने की योजना की घोषणा के बाद तमिलनाडु में हिंदी का विरोध बढ़ता ही जा रहा है। चाहे सत्तारुढ़ और एनडीए घटक एआईएडीएमके हो या फिर महागठबंधन की डीएमके या फिर कांग्रेस सभी पूरजोर तरीके से हिंदी का विरोध करने में लगे हुए हैं। लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि जो पार्टी और नेता हिंदी का विरोध कर रहे हैं उनमें से अधिकांश ऐसे हैं जो की स्कूल चलाते हैं और उन स्कूलों में हिदी की पढ़ाई होती है।
सिक्के का एक पहलु तो यह है कि तमिलनाडु में हिंदी का विरोध करना है और दूसरा पहलु यह है कि ये लोग अपने बच्चों और शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी पढ़ाने से गुरेज नहीं करते। लेकिन हिंदी का विरोध कर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए हैं। तमिलनाडु में हिंदी के विद्वान और तमिल हिंदी साहित्यकार का कहना है कि अपनी दुुकान चलाने के लिए ये राजनेता एसा कर रहे हैं।
अगर सरकारी स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जाने लगी तो इनके निजी स्कूलों वाली दुकान बंद हो जाएगी। डीएमके मुखिया एमके स्टालिन की बेटी सेंतामरै सब्रिसन के नाम पर चेन्नई व इसके आस-पास के इलाकों में 45 स्कूलें चलाई जा रही हैं। पूर्व मंत्री आरकाट वीरासामी का भाई डीएमके सचिव देवराज, के. अन्बअलगन का पोता वेट्री अलगन और डीएमके सांसद जगतरक्षगण ऐसे प्रमुख नाम है जो चेन्नई में सीबीएसई स्कूल चलाते हैं, जिसमें हिंदी की पढ़ाई होती है और इसका विरोध ये लोग खुद ही नहीं करते।
एमके मुत्तु के दामाद सीके रंगनाथन, डीएमके विधायक वेंकट्टन का वी. गणेशन, डीएमके कोषाध्यक्ष्ज्ञ दुरैमुर्गन का बेटा डी. कदिर आनंद, डीएमके नेता ईवी वेलु की बेटी जीवा वेलु, आईयुएमएल के राज्य सचिव की एम.ए मोहम्मद निजाम, कांग्रेस के कुलंदै गाउंडर के बेटे पी.के. शेखर, कांग्रेस के ए. चेल्लादुरै का नाम भी उन नेताओं में शामिल है जो हिंदी का विरोध तो करते हैं पर खुद हिंदी सीखने और पढ़ाने से कोई परहेज नहीं रखते हैं।

इस पूरे प्रकरण पर भाजपा नेता एच. राजा ने कहा कि जो नेता हिंदी का विरोध करते हैं वह सनशाइन मोंटेसरी स्कूल, सनशाइन सिनियर सेकेंड्री स्कूल और किंगस्टन स्कूल को बंद कर के दिखाएं तभी जानू उनके शरीर में तमिल रक्त बह रहा है। राजा ने स्टालिन पर हमलावर होते हुए कहा कि स्टालिन खुद हिंदी का विरोध कर रहे हैं और अपने लोगों को हिंदी के व्यवहार से उन्हें कोई गुरेज नहीं है।

राजा ने अपने ट्रवीट में कहा कि जो भी डीएमके नेता तमिलनाडु में हिंदी का विरोध कर रहे हैं वह केवल राज्य के लोगों की आंखों में धूल झोक रहे हैं। इन नेताओं को यह जानकारी नहीं कि राज्य से बाहर दूसरे प्रदेश में जाने पर लोगों का क्या हाल होता है और हिंदी नहीं जानना उन्हें क्या महसूस कराता है। राजा ने अपने ट्रवीट में एक सूची जारी की है जिसमें उन प्रमुख डीएमके, कांग्रेस व अन्य नेताओं के नाम शामिल हैं जो अपने स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई करते हैं।

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