तमिलनाडु से जीती चार महिलाएं
लोकसभा चुनाव में राज्य में महिला उम्मीदवारों ने बनाया इतिहास
आईएनएन/चेन्नई,@Infodeaofficial
इस लोकसभा चुनाव में बड़ी पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों के भरोसे दांव नहीं लगाया। राज्य में 39 निर्वाचन क्षेत्रों में 1228 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई जिनमें केवल 66 महिला उम्मीदवार थी। खास बात यह है कि सात निर्वाचन क्षेत्रों में तो एक भी महिला उम्मीदवार नहीं थी। इससे स्पष्ट है कि राज्य स्तर पर सभी पार्टियों ने कुल 7.81 प्रतिशत महिला उम्मीदवार ही चुनावी मैदान में उतारे थे।
23 मई को गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले अमेठी से स्मृति ईरानी की ऐतहासिक जीत और साध्वी प्रज्ञा के भोपाल से चुनाव मैदान में उतरकर जीत हासिल कर लेने के बाद महिलाओं के प्रति राजनीतिक मिथक टूटा है। राज्य में नाम तमिलर कच्ची नाम की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी ने ही सबसे अधिक 18 सीटों पर महिला उम्मीदवार उतारे थे।
इसके अलावा डीएमके ने दो, एआईएडीएमके ने एक, बीजेपी ने एक सीट और डीएमके की सहयोगी कांग्रेस ने एक सीट पर ही महिला प्रत्याशी को टिकट दिया था। मुख्य प्रत्याशियों में डीएमके की कनिमोझी और तमिलच्ची तंगपांडियन, बीजेपी की तमिलइसै सौदंरराजन और कांग्रेस की ज्योतिमणि एस थी।
तुत्तुकुड़ी लोकसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी मुकाबला बीजेपी की प्रदेशाध्यक्ष तमिलइसै सौंदरराजन और एमके स्टालिन की बहन कनिमोझी के बीच था। डीएमके ने स्टरलाइट प्लांट के मामले में राज्य सरकार की कमजोरी को भुना लिया। कनिमोझी ने चुनावी रैली में तमिलइसै के वहां से चुनाव लडऩे पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया था। कनिमोझी ने बीजेपी प्रत्याशी को 347209 के वोट के अंतर से हराया। तुत्तुकुड़ी में स्टरलाइट मुद्दे ने बीजेपी के लिए विरोध की लहर बना दी, साथ ही कनिमोझी के साथ पिता के निधन के कारण जनता की सहानुभूति भी रही।
राज्य में इस बार चुनाव में चर्चित रही कांग्रेस की एकमात्र महिला प्रतिनिधि ज्योतिमणि एस की जीत। करूर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की ज्योतिमणि सेनीमल्लै ने बड़ी जीत दर्ज की है। उन्होंने एआईएडीएमके के प्रत्याशी और लोकसभा में उपाध्यक्ष तम्बीदुरै एम. को हराकर अपनी पिछली हार का बदला ले लिया है। 2014 के चुनाव में तम्बीदुरै ने ज्योतिमणि को 1 लाख 95 हजार से अधिक मतों से शिकस्त दी थी। ज्योतिमणि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निकट सहयोगियों में शामिल है। वे युवक कांग्रेस की सक्रिय कार्यकर्ता रही हैं। 2009 से 2012 तक वे अखिल भारतीय युवक कांग्रेस की महासचिव भी रही।
राज्य में साउथ चेन्नई से इस आम चुनाव में एआईएडीएमके ने अपने पूर्व विजेता खिलाड़ी जे. जयवर्धने और डीएमके ने तमिलच्ची तंगपांडियन को मैदान में उतारा था। इस सीट का इतिहास देखें तो राज्य के मत्स्यपालन मंत्री डी. जयकुमार के बेटे जे. जयवर्धने ने 2014 के आम चुनाव में डीएमके के दिग्गज नेता टीकेएस इलंगोवन को भारी मतों के अंतर से हराया था। इस बार डीएमके ने 2004 का जादू फिर से चलाने की उम्मीद में तमिलच्ची तंगपांडियन को यहां से टिकट दिया।
साहित्यकार, थियेटर कलाकार, गीतकार तमिलच्ची तंगपांडियन के लिए यह राजनीतिक शुरुआत जरुर है परंतु राजनीति नई नहीं है। उनके पिता स्वर्गीय वी. तंगपाडियन और भाई तंगम तेन्नरसु डीएमके में मंत्री रह चुके हैं। वे खुद 2007 से डीएमके की आर्ट विंग का हिस्सा रही हैं। उन्होंने एआईएडीएमके के जे. जयवर्धने को 262223 के वोट के अंतर हराया है। एआईएडीएमके के प्रत्याशी की हार का कारण जो भी रहा हो पर तमिलच्ची तंगपांडियन की जीत का श्रेय उनका जमीन से जुड़ाव होना है। चुनाव प्रचार के दौरान जनता से करीब जाकर मिलना और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने का वादा काम कर गया।
ये चारों महिला प्रतिनिधि अपने क्षेत्र की संभावित विजेता के रूप में ही मानी जा रही थी। इस चुनाव में प्रमुख क्षेत्रीय दल एनटीके की नार्थ चेन्नई की एकमात्र उम्मीदवार कल्लीम्माल थी। मछुआरा समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली कल्लीम्माल ने एमबीए की डिग्री हासिल की है, उसे चुनाव में 60515 मत ही मिले। इसी तरह तिरुवल्लुर क्षेत्र से पहली बार चुनाव मैदान में उतरी पार्टी की वेट्रीसेल्वी एम. ने 65416 मत प्राप्त किए। अगर देखा जाए तो एनटीके की किसी भी महिला प्रत्याशी ने बड़ी सफलता हासिल नहीं की पर पार्टी ने 50 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को चुनाव में मौका देकर जनता की नजरों में अपनी जगह बना ली है।