डिजिटल क्रांति के दौर में हर जगह चुनावी रंग बिखरा

श्रुति सिंघल, आईआईएन/ग्वालियर, @Infodeaofficial

डिजिटल दौर में देश में बदलते चुनाव प्रचार के तौर तरीकों की जगह। अब सोशल मीडिया ले ली है ।  हालात यह हैं की घरघर जाकर चुनावी प्रचार करना अब अतीत की बात है। आज नए दौर में सोशल मीडिया के ज़रिए मतदाताओं तक पहुंच बनाई जा रही है। फेसबुक, इंस्टाग्राम ,और ट्विटर के माध्यम से युवाओं को वोटिंग लिए प्रेरित किया जा रहा है। यहां तक कि कम वक्त में ज़्यादा से ज़्यादा मतदाताओं तक पहुंचने के लिए राजनीतिक पार्टियां सोशल मीडिया का ज़्यादा इस्तेमाल करती है।

फिर चाहे प्रधानमंत्री मोदी हो या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी या अन्य सभी इस दौड़ में शामिल हैं। हर कोई सोशल मीडिया के जरिए अपनी पकड़ बनाने में जुटा हुआ है, लेकिन मध्य प्रदेश में पिक्चर कुछ अलग है । याद करिए बीस से पच्चीस साल पहले तक के चुनाव का वक्त, हर जगह छपी प्रचार सामग्री, पोस्टर, बैनर और लाउड स्पीकर लगे वाहन ही प्रचार का एकमात्र जरिया हुआ करते थे, लेकिन अब यह कहीं पीछे छूट गया है। क्या शहरी, क्या ग्रामीण, अब हर जगह प्रचार अभियान सोशल मीडिया पर फोकस नजर आता है।

 

 

इसके लिए बाकायदा सियासी पार्टियों ने अलग से लया प्रकोष्ठ बनाए हैं, जिनमें आइटी विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाती हैं। ये विशेषज्ञग्राफिक्स, वीडियो, कार्टून, फोटो, समाचारों के जरिये अपनी पार्टीया प्रत्याशी के पक्ष में सोशल मीडिया में माहौल बनाते हैं।पार्टी की उपलब्धियां, चुनावीलोक-लुभावनवादे, भविष्य की कार्य योजना, विपक्षी की खामियां, नेताओं के बयानों पर पलटवार, अब यह सब सोशल मीडिया पर प्रचार का अभिन्न और अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं।

फेसबुक और ट्वीटर एकाउंट के माध्यम से तो सक्रियता है ही । पिछले कुछ समय से फेसबुक का एक फीचर फेसबुक लाइव चुनाव प्रचार का एक महत्वपूर्ण हथियार बन गया है।जनसभाओं, रैलियों, नामांकन को बाकायदा लाइव प्रसारित किया जाता है। यही नहीं, राजनैतिक दल और बड़े नेता अपने फैंस क्लब सोशल मीडिया में चला रहे हैं, जो दरअसल पार्टी के ही कार्यकर्ता होते हैं।

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