किसी भी पार्टी में आंतरिक स्वतंत्रता नहीं, भ्रष्ट तंत्र का यही बीज है: जी. विश्वनाथन
किसी पार्टी में परिवार का वर्चस्व है तो किसी में व्यक्ति को प्रमुखता दी जाती है। व्यक्तिव व विचारधारा की महत्ता का स्थान सबसे निचले स्तर पर आता है।
आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
देश और व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को तबतक खत्म नहीं किया जा सकता जबतक हम स्वयं भ्रष्टाचार को लेकर संवेदनशील न बनें। यह जिम्मेदारी आप और हम दोनों की है कि भ्रष्टाचार और भ्रष्ट व्यक्ति का बहिस्कार करें ताकि उस व्यक्ति को यह अहसास हो कि वह जो कर रहा है वह गलत है।
आज की देश में दो हजार के लागभग की संख्या में राजनैतिक पार्टियां है और केवल तमिलनाडु में 500 से अधिक राजनैतिक पार्टी है। लेकिन कोई भी पार्टी एसी नहीं है जिसमें आंतरिक स्वतंत्रता हो। किसी पार्टी में परिवार का वर्चस्व है तो किसी में व्यक्ति को प्रमुखता दी जाती है। व्यक्तिव व विचारधारा की महत्ता का स्थान सबसे निचले स्तर पर आता है।
वीआईटी के संस्थापक कुलपति जी. विश्वनाथन से इंफोडिया ने मौजूदा राजनैतिक संस्कृति के बारे में विशेष बातचीत की प्रस्तुत है उसके कुछ अंश।
जी. विश्वनाथन का जन्म 8 दिसम्बर 1938 को तमिलनाडु के वेलोर जिले के छोटे से गांव कोथाकुप्पम में हुआ। यह गोविंदस्वामी और श्रीमति की छठी संतान थे। गोविंदसामी पेशे से किसान थे। विश्वनाथान पेशे से वकील बनना चाहते थे लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अन्ना दुरै आदेश के बाद इन्होंने सक्रिय राजनीति में हिस्सा लिया और लोकसभा व तमिलनाडु विधानसभा दोनों में अपनी सेवाएं दी और वर्ष 1996 में सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया।
इंफोडिया: पहले की राजनीति और अब की राजनीति में क्या अंतर है?
विश्वनाथन: जाति व्यवस्था के आधार पर मतदान और रुपए के दम पर मत खरीदना यह बदलाव आया है मेरे जमाने की राजनीति और अब की राजनीति में। मुझे राजनीति में अन्ना लेकर आए थे और कलैंजर करुणानिधि से मेरी पहले से काफी बनती थी। उस वक्त जनसेवा के लिए पैसे नहीं भाव को प्रमुखकता दी जाती थी। मेरे में वह भाव पहले से था इसलिए मुझे टिकट देकर लोकसभा के लिए भेजा गया ताकि मै तमिलनाडु से दिल्ली में अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व करें। आज के दौर में जिसके पास पैसा है उसे टिकट दी जाती है। गरीब व्यक्ति के बस की बात ही नहीं कि वह किसी पार्टी का टिकट प्राप्त कर सके, जो लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
इंफोडिया: अब की राजनीति में किस चीज का आभाव है?
विश्वनाथन: आज की राजनीति की मुद्दों की नहीं पैसों की राजनीति है। अगर आपके पास पैसा है तो आप स्वयं एक राजनैतिक पार्टी खड़ी कर सकते है। आज देश में हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में गरीबों, असाहयों, कमजोर, बेरोजगार युवाओं की मदद के नाम पर कई राजनैतिक पार्टियां अस्तीत्व में आती है। इसमें से कई बरसाती मेढक़ की तरह होती है जो केवल चुनाव के दौरान सक्रिय रहती है बांकि के दिनों में उनका कोई अता-पता नहीं रहता। जहां राजनीति का उद्देश्य लोगों की सेवा, समाज व देश का उत्थान होना चाहिए वहीं यह उद्देश्य स्वयं व अपने आस-पास के लोगों के परीधि तक सिमट के रह गया है। इसलिए इतनी राजनैतिक पार्टियों के होने के बावजूद देश के गरीब और असहायों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।
इंफोडिया: राजनीति से सन्यास का कारण?
विश्वनाथन: तमिलनाडु की राजनीति में जब से पैसे व जातिवाद ने अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू किया और राजनीति का मकसद जनसेवा के बजाय स्वयंसेवा ने लिया, उसी घड़ी मैने निश्चय कर लिया कि मै सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लुंगा। अन्ना की मौत के बाद डीएमके में काफी बदलाव आए और व्यक्तिवाद बढ़ा वहीं दूसरी तरफ एमजीआर के बाद एआईएडीएमके में भी वैसी ही स्थिति पैदा होने लगी जिसके कारण मेरा सक्रिय राजनीति से मन उचट गया। बतौर सांसद व विधायक आप केवल एक क्षेत्र विशेष के लोगों की सेवा कर सकते हैं। इसलिए मैने शिक्षण संस्थान खोलकर और उसमें अपना सारा ध्यान लगाने का मन बनाया ताकि मै देशभर के लोगों की सेवा कर सकुं।
इंफोडिया: करुणानिधि और जयललिता के निधन के बाद कौन बन सकता है तमिलनाडु का चेहरा?
विश्वनाथन: करुणानिधि और जयललिता दोनों ऐसी शख्सीयत थे जो तमिलनाडु से केंद्र की राजनीति प्रभावित करते थे। लेकिन उनके निधन के बाद अभी ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो यह क्षमता रखता हो। हां लेकिन मेरी राय के अनुसार इस बार की लोकसभा चुनाव और आगामी विधानसभा के बाद एसा कोई व्यक्ति जरूर उभर के आएगा।
इंफोडिया: फ्री बीज और पैसा तमिलनाडु के चुनाव को प्रभावित कर रहा है, इसका मूल कारण और उपाय क्या हैं?
विश्वनाथन: हर चीज के लिए शाषण और व्यवस्था को दोश देना सही नहीं होता। कई बार बर्बादियों के लिए हम खुद भी जिम्मेदार होते हैं। हमारी आलसी और काहीलियत को कुछ राजनैतिक पार्टियों ने अच्छी तरह भाप लिया है और इसी का लोभ देकर वे सत्ता में आ जाते हैं। मेरे हिसाब से जनता को अल्पकालीन सुख के बजाय दीर्घावधि, सतत एवं स्थाई विकास को प्रमुखता देनी चाहिए। तमिलनाडु सरकार द्वारा बीपीएल श्रेणी के लोगों को दो हजार रुपए विशेष सहायता राशी और केंद्र सरकार के किसानों के लिए किसान सम्मान निधि योजना के बजाय सरकार को बीपीएल के लोगों की मूल समस्या का निकारण करने पर जोर देना चाहिए वहीं केंद्र सरकार को किसानों को यह छोटी राशी देने के बजाय किसानों की मूल समस्या जैसे बिज व खाद खरीदने से लेकर फसल बिक्री तक सरकारी सहायता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। तब जाकर देश के किसानों और गरिबों का भला होगा।
इंफोडिया: देश के युवाओं के लिए शिक्षा और बेरोजगारी प्रमुख समस्या है, इसका समाधान क्या है?
विश्वनाथन: जरूरत से ज्यादा नियंत्रण भी भ्रष्टाचार को जन्म देता है। देश के बेहतर शिक्षा व्यवस्था होने के लिए यह जरूरी है कि अलग-अलग नियामक संस्थाओं के बजाय एक नियामक संस्था हो। नियामक संस्थाओं को स्वायतता दी जाय पर जवाबदेही के साथ ताकि भ्रष्ट तंत्र के पनपने की कोई गुंजाइस न हो। हमे अमरीका की तर्ज पर सरकार को नियामक संस्थाओं का गठन कर उसे स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए छोड़ दें, जिसमें सरकार की ओर से कोई दखलनदाजी न हों। देश में हायर एजुकेशन की गुणवत्ता को संद्धतता, स्वीकृति, अनापत्ती प्रमाणपत्र, अनुमति और मान्यता ने खराब कर रखा है। किसी भी विकसीत देशों में शिक्षा के लिए एसी व्यवस्था नहीं है। एक आकड़े के मुताबिक देश में केवल मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए हर साल 13 लाख विद्यार्थी तैयार होते हैं पर उनमें से केवल 60-70 हजार लोगों को ही मेडिकल सीट मिल पाता है। नीट परीक्षा को अनिवार्य करना इस भीड़ की छटनी के लिए तैयार किया गया है। देश में बेहतर शिक्षा के लिए जरूरी है कि हम नए शिक्षण संस्थान खोले और हायर एजुकेशन के लिए कॉलेजों में दाखिले की सीट संख्या बढ़ाएं। देश के १२वीं तक की शिक्षा मुफ्त होनी चाहिए।
वहीं देश में आयात के बजाय हम उन चिजों के देश में उत्पादन पर ध्यान दें तो बेरोजगारी समस्या नहीं रहेगी। आज भी कई चिजों के लिए हम विदेशों पर निर्भर हैं। हमें कोशिस करनी चाहिए कि हम उन चिजों का निर्माण अपने देश में करें या फिर वैसी कंपनी को देश में उन उत्पादों का निर्माण करने को बाध्य करें तभी जाकर देश में बेरोजगारी की समस्या का स्थाई समाधान निकलेगा। इस मामले में हमें चीन से सीख लेनी चाहिए।