श्रेया, आईएनएन/अमृतसर, @infodeaofficial
हिंदी गजलकार दुष्यंत कुमार ने कहा है कि कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। पश्चिमी दर्शन में भी असंभव शब्द को मूर्खों के शब्दकोश की उपज बताया गया है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा आदमी हो जिसके जीवन में कभी भी दुख नहीं देखा हो। उसके जीवन में कभी उतार-चढ़ाव नहीं आया हो। हालांकि आमतौर पर लोग विपत्ति के दौर हार मान लेते हैं और समस्याओं का हवाला देते हुए शांत बैठ जाते हैं लेकिन इन्हीं में से कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो इन परेशानियों को ही अपना हथियार बना लेते हैं और जीवन रूपी जंग के मैदान में कूदकर जीत का परचम लहरा देते हैं।
वास्तव में ऐसे लोग ही इतिहास रचते हैं और वह समय जिसे सबसे अधिक बलवान बताया गया है वह भी एक दिन इनके आगे नत मस्तक हो जाता है। एक ऐसी ही महान हस्ती हैं “ओपराह विन्फ़्रे”। इनके कदमों को बुरे वक्त के झंझावातों ने कई बार रोकने का प्रयास किया लेकिन उनके जज्बे और जुनून ने ना तो उन्हें रुकने दिया और ना हीं थकने। यह उनके प्रयास और लगन का ही नतीजा है कि मिसिसिपी की रहने वाली ओपराह विन्फ़्रे का नाम आज दुनिया भर में बड़े ही अदब के साथ लिया जाता है।
अपने टॉक शोज़, एंकरिंग और राइटिंग को लेकर वह अपने देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं। हालांकि इस मुकाम पर पहुंच पाना उनके लिए आसान नहीं था क्योंकि एक तो उनका जन्म बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था दूसरे गरीबी के चलते कई बार उन्हें बलात्कार जैसे हादसे से भी गुजरना पड़ा। उनकी मां एक नौकरानी थीं तथा गरीबी का आलम यह ता कि कभी कभी तो तन ढकने के लिए भी आलू की बोरी तक पहनना पड़ता था।
कई घरों में काम करके जीवन व्यतीत करने वाली उनकी मां के पास अपने घर के लिए बिल्कुल समय नहीं रहता था। कहते हैं बुरे वक्त में अपने ही काम आते हैं लेकिन ओपराह को सबसे पहला जख्म तो खुद उसके भाई ने दिया। दरअसल मात्र 9 बरस की उम्र में उसके भाई ने ही उसका बलात्कार कर दिया। अभी वह उस हादसे को भुला भी नहीं पाई थी कि उसके एक पारिवारिक दोस्त, उसकी माँ का प्रेमी और एक अन्य रिश्तेदार ने भी उसे अपनी हवस का शिकार बनाकर उसका जीवन बर्बाद करने का प्रयास किया।
उसके शारीरिक शोषण का आलम यह था मात्र 14 साल की कच्ची उम्र में वह गर्भवती हो गई और पढ़ने-लिखने और खेलने-खाने की अवस्था में ही उस पर एक बच्चे की जिम्मेदारी आ गई। हालांकि जन्म के कुछ समय बाद इस बच्चे की मौत हो गई और इस घटना ने उसे झकझोर कर रख दिया। इसमें कोई संदेह नहीं कि वक्त ने जिंदगी के हर मोड़ पर उसकी परीक्षा ली लेकिन वह हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ती गई।
किसी ने सही कहा है कि हिम्मते मरदे मददे खुदा, उसका नतीजा आज सभी के सामने है। आज वह एक ऐसे मुकाम पर पहुंच चुकी हैं जहां पहुंचना किसी सपने के पूरे होने से कम नहीं है। उनके “द ओपराह विन्फ़्रे शो” में बड़े बड़े सेलिब्रिटी आए और अपने काम से विन्फ़्रे ने सभी का मन मोह लिया।मशहूर कवि सोहन लाल द्विवेदी ने ठीक ही कहा है कि
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