चेन्नई.ट्रांसजेंडरों को अभी भी भारतीय समाज में अपने बेहतर अस्तीत्व के लिए लम्बी लड़ाई लडऩी होगी। हाल ही में एक चेन्नई के ट्रांसजेंडर का किस्सा सामने आया है जिसमें उसे योग्य उम्मीदवार होने के बावजूद भी नौकरी नहीं दी गई और तंग आकर उम्मीदवार ने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है। ट्रांसजेंडर होने की वजह से एयर इंडिया में केबिन क्रू की नौकरी ना मिलने पर एक अभ्यर्थी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। तमिलनाडु की यह अभ्यार्थी शान्वी ने बुधवार को राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में लिखा है कि उसे अपने ट्रांसवीमेन होने के कारण अपमान का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण वह इच्छामृत्यु चाहती हैं। 26 वर्ष की शान्वी पौन्नुसामी पेशे से इंजिनियर हैं। एयर इंडिया में कस्टमर स्पोर्ट स्टाफ के तौर पर काम कर चुकी शान्वी ने पिछले दिनों केबिन क्रू की नौकरी के लिए आवेदन किया था। उन्होंने बताया कि एयर इंडिया ने साक्षात्कार के बाद उन्हें सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं दी क्योंकि कंपनी की पॉलिसी में ट्रांसवीमैन को नौकरी देने का कोई प्रावधान नहीं था। शान्वी ने बताया कि 2016 में किए गए आवेदन के बाद उन्हें एयर इंडिया की ओर से कॉल लेटर भेजा गया था। इसके बाद साक्षात्कार की प्रक्रिया में उनकी दावेदारी को अस्वीकृत कर दिया गया और उसका कारण पूछने पर उन्हें एयर इंडिया के उच्च अधिकारियों से संपर्क करने को कहा गया। अगस्त 2017 में शान्वी ने दिल्ली में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की। हर बड़े अधिकारी व मंत्री से लगाई न्याय की गुहार शान्वी ने बताया कि मंत्रालय के अधिकारियों से उन्हें अपनी समस्या पर एक सकारात्मक जवाब मिला लेकिन एयर इंडिया के अधिकारियों से मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भी अपनी समस्या बताई। हर ओर से निराशा हाथ लगने पर शान्वी ने सुप्रीम कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने केंद्र सरकार को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया लेकिन इसके बाद भी मंत्रालय की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे हताश हुई शान्वी ने अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है। इस पूरे मामले पर बात करते हुए शान्वी ने कहा, मैंने अपनी समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से गुहार लगाई लेकिन अब तक इस पर कुछ नहीं हो सका। सरकार ट्रांसवीमैन को कोई भी सुविधा नहीं दे पा रही है और इस कारण हमारा जीवन बेहद कठिन हो गया है। शान्वी ने कहा मैं अपनी समस्या के लिए हर ओर से हार चुकी हूं और अब सुप्रीम कोर्ट के वकील की फीस के लिए पैसों का इंतजाम कर पाना काफी कठिन है इसलिए मैंने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु देने की मांग की है।
इससे पहले भी एक किस्सा तमिलनाडु में ही हुआ जिसमें मद्रास हाईकोर्ट की दखल के बाद एक ट्रांसजेंडर को तमिलनाडु पुलिस में सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिली। ट्रांसवीमन प्रतिका याशिनी को इसके लिए सरकार और व्यवस्था से लम्बी लड़ाई लडऩी पड़ी तब जाकर मद्रास हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उसे उसका अधिकार मिला।