सुप्रीम कोर्ट ने डल्लेवाल को मेडिकल सहायता देने में बाधा बन रहे किसानों के रवैये पर सवाल खड़ा किया

आईएनएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial

पिछले 32 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को लेकर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी असमर्थता जाहिर की है। पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कोर्ट को कहा कि हम ख़ुद को असहाय महसूस कर रहे है। डल्लेवाल ने मेडिकल सहायता लेने से मना कर दिया है। उन्हें समझाने की हमारी तमाम कोशिश नाकामयाब रही है। पंजाब AG ने कहा कि डल्लेवाल को लगता है कि अगर वो मेडिकल सहायता लेते है तो यह उनके आंदोलन को कमजोर करेगा। किसानो ने उन्हें घेरा हुआ है। उन्हें इलाज के लिए शिफ्ट करना भी मुश्किल है।

कोर्ट ने पंजाब सरकार से सख़्त सवाल पूछे

कोर्ट ने पंजाब सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि आप भी डल्लेवाल के धरनास्थल पर मौजूद रहने के पक्ष में है। डल्लेवाल के पास इंसानों की इस किलेबंदी की इजाज़त किसने दी? क़ानून व्यवस्था कायम रखने की ज़िम्मेदारी किसकी है? किसान शान्तिपूर्ण धरनास्थल पर बैठे तो समझ आता है, पर यहाँ तो एक इंसान को मेडिकल सहायता लेने से रोका जा रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं सुना गया।

कोर्ट ने कहा कि ये सीधे सीधे किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला बनता है। ये अपने आप मे अपराध है और आप कह रहे है कि आप कुछ नहीं कर सकते! SC -अगर एक राज्य सरकार यह कह रही यह कि वो असहाय महसूस कर रही है तो आप समझते है कि इसका क्या दुष्परिणाम होगा।क्या हम आपका ये बयान कोर्ट की कार्यवाही के रिकॉर्ड पर ले?

कोर्ट ने कहा कि हम जानते है कि कुछ किसान नेता है, जिनके अपने निहित स्वार्थ है। वो चाहते है कि डल्लेवाल की मृत्यु हो जाए। पंजाब सरकार को ज़रूरत है कि वो इस बात को समझे कि डल्लेवाल अपने साथियों के दबाव में मेडिकल सहायता लेने से इंकार कर रहे है। अगर डल्लेवाल को कुछ हो जाता है तो किसानों को भी समझना चाहिए कि वो ऐसे किसान नेता को खो देंगे जो उनके लिए एक ग़ैर राजनैतिक लड़ाई लड़ रहा है।

पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने कहा कि अगर केंद्र बातचीत की पहल करता है तो स्थिति थोड़ी बेहतर हो सकती है। पंजाब सरकार की ओर से कहा गया कि अगर डल्लेवाल को हॉस्पिटल ले जाया जाता है तो किसानों और पुलिस दोनों में हिंसक झड़प हो सकती है। दोनो और के लोगों की जान चली जा सकती है।अगर केंद्र बातचीत की पहल करता है तो स्थिति थोड़ी बेहतर हो सकती है।

SC ने फिलहाल केंद्र सरकार को किसानों से बातचीत की पहल करने का आदेश देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि एक सवैंधानिक कोर्ट पर आप इस तरह की शर्ते नहीं थोप सकते। पंजाब सरकार किसानों की ही भाषा बोल रही है। जहाँ केंद्र से बातचीत के मसले का सवाल है, हम पहले ही चुके है कि कोर्ट इसे अपने स्तर पर देखेगा। पर अभी की स्थिति पंजाब सरकार को संभालनी है।

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