जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के आउट हाउस पर लगी आग मामले में गहन जांच की ज़रूरत : जांच रिपोर्ट
आईएनएन//नयी दिल्ली, @Infodeaofficial
जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के आउट हाउस पर लगी आग के दौरान कथित तौर पर नोटों की गड्डी पाए जाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी के उपाध्याय ने अपनी जांच रिपोर्ट भारत के प्रधान न्यायधीश संजीव खन्ना को सौंप दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया उन्हें लगता है कि इस मामले में गहन जांच की ज़रूरत है। जस्टिस उपाध्याय ने कहा है कि शुरुआती जांच में जस्टिस वर्मा के बंगले में रहने वाले लोगों, गार्डनर, CPWD से जुड़े लोगों के अलावा किसी और की इस रूम में एंट्री की संभावना नहीं दिखती है।
जस्टिस यशवंत वर्मा का पिछले 6 महीने का कॉल रिकॉर्ड डेटा भी भारत के प्रधान न्यायधीश को भेजा गया है। जस्टिस वर्मा से यह आग्रह भी किया गया है कि वो अपने मोबाइल फोन से कॉल डिटेल्स, मैसेज या कोई डेटा डिलीट न करें। वहीं जस्टिस वर्मा ने कहा है कि उन्हें आउटहाउस के स्टोररूम में पड़े किसी भी नकदी के बारे में पता नहीं था। उनका या उनके परिवार के किसी सदस्य इससे कोई संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके परिवार के सदस्यों या कर्मचारियों को ऐसी कोई नकदी नहीं दिखाई गई जो कथित तौर पर उस रात उनके आवास के आउट हाउस से बरामद हुई थी।
जस्टिस वर्मा ने कहा आग लगने की घटना के दिन वह दिल्ली में नहीं थे। वह और उनकी पत्नी 15 मार्च 2025 की शाम को ही भोपाल से दिल्ली लौटे थे। इसलिए, कथित जले हुए नोटों को वहां से हटाने की बात उन्हें ज्ञात नहीं है। उनके परिवार के सदस्य या किसी भी कर्मचारी ने किसी भी रूप में कोई सामान या नकदी घटनास्थल से नहीं हटाए।
जस्टिस वर्मा ने कहा कि इस घटना ने उनकी प्रतिष्ठा को दागदार कर दिया है, और अपना बचाव करने का कोई रास्ता नहीं छोड़ा है। उन्होंने सीजेआई से गुहार लगाई है कि एक दशक से उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अतीत में उन पर ऐसा कोई आरोप कभी नहीं लगा और न ही उनकी ईमानदारी पर कोई संदेह किया गया। वह आभारी होंगे अगर न्यायाधीश के रूप में उनके कामकाज की जाँच की जाए और न्यायपालिका से जुड़े लोगों से उनके काम के प्रति उनकी ईमानदारी के बारे में राय ली जाए।
इससे पहले भारत के प्रधान न्यायधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे रहे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्य कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी में शामिल हिमाचल प्रदेश HC के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। दिल्ली HC के चीफ जस्टिस से कहा गया है कि वो जस्टिस यशवंत वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक काम न दे।