उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी से उसका आशियाना छीना नहीं जा सकता

INN/New Delhi, @Infodeaofficial

देश के कई राज्यों में आरोपी या दोषियों के घरों पर बुलडोजर चलाने की घटनाओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिशा निर्देश जारी किए हैं और साफ किया है कि उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी से उसका आशियाना नहीं छीना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर किसी की संपत्ति को ध्वस्त करती है तो यह पूरी तरह अन्याय होगा।

अगर किसी खास इमारत को अचानक ध्वस्त करने के लिए चुना जाता है और आस पास की बाकी इमारतों को छुआ भी नहीं जाता तो इसका मतलब है कि उद्देश्य गैरकानूनी निर्माण को नष्ट करना नहीं बल्कि बिना ट्रायल के किसी को दंडित करना है। जब किसी का घर गिराया जाता है तो यह उस परिवार के सभी सदस्यों पर सामूहिक दंड के बराबर है जिसे संवैधानिक प्रावधानों के तहत अनुमति नहीं दी जा सकती है।

घर का निर्माण सामाजिक आर्थिक आकांक्षाओं का एक पहलू है और यह सिर्फ एक संपत्ति नहीं है बल्कि किसी के वर्षों के संघर्ष का प्रतीक है अगर यह अधिकार छीन लिया जाता है तो प्रशासन को यह दिखाना होगा कि ऐसा करना अंतिम उपाय था।

जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच द्वारा जारी किए गए निर्देश

• बिना किसी कारण बताओ नोटिस के कोई मकान नहीं गिराया जाना चाहिए
• कम से कम 15 दिनों का वक़्त दिया जाना चाहिए
• नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजा जाना चाहिए। मकान के बाहर भी इसको चस्पा किया जाना चाहिए
• नोटिस में साफ साफ जिक्र होना चाहिए कि कैसे नियमों का उल्लंघन कैसे हुआ है
• ऑथोरिटी को मकान मालिक को सुनवाई के मौका देना चाहिए
• डिमोलिशन की प्रकिया की वीडियोग्राफी होनी चाहिए।
• डिमोलिशन रिपोर्ट को डिजिटल पोर्टल पर डाला जाना चाहिए
• दिशानिर्देश के उल्लंघन पर अधिकारी के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलेगा
• अगर नियमों का उल्लघन कर डिमोलिशन करते है तो फिर से मकान बहाली की जिम्मेदारी अधिकारी की होगी।
• इसका खर्च अधिकारियों को अपनी जेब से भरना होगा
• मकान मालिक को भेजे गए नोटिस की एक कॉपी ऑफिस ऑफ़ कलेक्टर या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भेजी जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी राज्य सरकारें डीएम और स्थानीय अधिकारियों को इन दिशा निर्देशों के बारे में सूचित करने के लिए सर्कुलर जारी करें। जमीयत उलेमा ए हिंद और अन्य लोगों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर देश भर में चल रही बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में अपने अंतरिम आदेश में इन कार्रवाईयों पर रोक लगाते हुए कहा था कि वह इसको लेकर विस्तृत दिशा निर्देश जारी करेगा।

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