दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक आरके कुलश्रेष्ठ ने कहा, ‘विशाल नेटवर्क, ईंधन खपत और अन्य आवश्यकताओं को देखते हुए स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के अभियान की सफलता की बड़ी जिम्मेदारी का लक्ष्य पूरा करने में जुटा रेलवे’।
आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देकर सुरक्षित पर्यावरण के साथ ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता घटाने के प्रयासों के तहत दक्षिण रेलवे ऊर्जा संरक्षण व क्लीन ऊर्जा प्रोत्साहन की राह पर चल पड़ा है।
दक्षिण रेलवे रेल सेवा व सुविधाओं में पारम्परिक ऊर्जा के बजाय वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को व्यवहार में लाए जाने पर तेजी से काम कर रहा है। दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक आरके कुलश्रेष्ठ ने बताया कि 10.5 मेगावाट का पवन ऊर्जा प्लांट की स्थापना की गई है। मदुरै से करीब 200 किमी दूर कायतार में स्थापित की गई प्रत्येक विंड मिल प्लांट की क्षमता 2.1 मेगावाट है। विंड मिल प्लांट के इंस्टालेशन का काम पूरा कर दिया गया है। उसका प्री—कमीशनिंग टेस्ट भी पूरा कर लिया गया है।
क्लीन ऊर्जा अभियान
अन्य सुधारात्मक कदमों के साथ ही प्रधानम़ंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में क्लीन ऊर्जा का अभियान शुरू किया था। इसके तहत पारंपरिक ऊर्जा के बजाय गैर पारंपरिक ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि का उत्पादन बढ़ाने तथा इसको देश में लोकप्रिय किया जाना था। अभियान के शुरू होने के 5 वर्ष के भीतर ही भारत ने गैर-पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन में रिकार्ड बना दिया।
भारतीय इतिहास में वर्ष 2017-18 में पहली बार गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों से बिजली बनाने की क्षमता पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों यानी कोयला, परमाणु या गैस आधारित बिजली प्लांट से ज्यादा बढ़ गयी। इस वर्ष गैर-पारंपरिक स्त्रोत से 11,788 मेगावाट बिजली क्षमता जोड़ी गई जबकि पारंपरिक स्त्रोतों से 9,588 मेगावाट क्षमता ही जोड़ी जा सकी है।
भारत अगले दस सालों के दौरान हरित ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलता हासिल करेगा। इस अभियान की सफलता इसी नापी जा सकतीहै कि हाल ही हुये अध्ययन के अनुसार 2030 तक भारत में कुल ऊर्जा उत्पादन में हरित ऊर्जा की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी तक पहुंच जाएगी। जबकि इस अवधि में कोयला आधारित ऊर्जा में करीब 44 फीसदी तक की कमी आ सकती है।
57 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले से
द एनर्जी रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) के एक अध्ययन के अनुसार अभी देश में करीब 57 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले से होता है। कोयले से बिजली उत्पादन में सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। इसलिए पेरिस समझौते के तहत भी सभी देशों को उत्सर्जन में कमी लाने के लिए कोयले के इस्तेमाल में कमी लानी है। रिपोर्ट के अनुसार 2030 में कोयले से बिजली उत्पादन हालांकि बढ़ेगा लेकिन यह तब के बिजली उत्पादन का महज 34 फीसदी रह जाएगा।
इस अवधि में सौर एवं पवन ऊर्जा से बिजली उत्पादन बढ़कर करीब 46 फीसदी हो जाएगा। अभी यह महज 16 फीसदी है। गैरपारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के प्रोत्साहन कार्यक्रम की सफलता से आज भारत पेरिस समझौते में दुनिया को नेतृत्व प्रदान कर रहा है।
संसद के इस साल के बजट सत्र में केंद्रीय रेल मंत्री व वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी दी थी कि पिछले 5 वर्षों में देश में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन 10 गुना बढ़ा है।
गैरपरंपरागत ऊर्जा उत्पादन में भारत की सफलता के कारण ही भारत जलवायु समस्या के समाधान की दिशा में भारत दुनिया को नेतृत्व प्रदान कर रहा है।
इस संबंध में हुयी पहली संधि के आधार पर भारत में अंतर्राष्ट्रीय अंतर—सरकारी संगठन का मुख्यालय स्थापित किया गया है।
महाप्रबंधक कुलश्रेष्ठ ने कहा कि रेलवे के विशाल नेटवर्क, ईंधन खपत और अन्य आवश्यकताओं को देखते हुए स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के अभियान की सफलता की बड़ी जिम्मेदारी है।
इस इस जिम्मेदारी न केवल पूरा कर रहा है, बल्कि गैरपारंपरिक ऊर्जा उत्पादन व उपयोग में रिकार्ड बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
उन्होंने बताया कि रेलवे की पवन ऊर्जा परियोजना को लगाने का जिम्मा रेलवे ऊर्जा प्रबंधन क्षमता लिमिटेड (आरईएमसीएल) ने मेसर्स सुजलोन एनर्जी लिमिटेड को दिया।
इस परियोजना की पूरी लागत 66.7 करोड़ रुपए है, जिसमें 10 साल का संचालन और मरम्मत का काम भी शामिल है।
इन पवन ऊर्जा प्लांट से उत्पादित ऊर्जा को समयनल्लुर, कोविलपट्टी, विंची मनियाचि, विरुद्यनगर, दिंदिगुल, वैयमपट्टी और तिरुचरापल्ली रेलवे स्टेशनों को दिया जाएगा। दक्षिण रेलवे ने 13 जोड़ी मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में एचओजी की सुविधा दी है।
कुलश्रेष्ठ ने बताया कि डीजल इंजन नहीं चलने से सालाना 9.42 लाख लिटर डीजल की बचत होती है, जिसकी अनुमानित लगात 74 करोड़ रुपए है। ऊर्जा संरक्षण प्रयास के तहत पिछले साल के मुकाबले 6.29 प्रतिशत ऊर्जा खपत में कमी आई है। पहले यह आकड़ा 841.15 लाख यूनिट हुआ करता था, जब अब यह 788.64 लाख यूनिट हो गया है।
ऊर्जा संरक्षण एवं स्वच्छ ऊर्जा
ऊर्जा संरक्षण एवं स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में रेलवे स्टेशनों पर एलईडी लाइटिंग कर है। दक्षिण रेलवे से मिले आकड़ों के मुताबिक अबतक 735 रेलवे स्टेशन की इमारतों में 100 प्रतिशत एलईडी लाइट लगा दिये गये हैं। कुलश्रेष्ठ ने बताया कि इससे अब सालाना 79.8 लाख यूनिट ऊर्जा और 6.48 करोड़ रुपए की बचत हो रही है।
दक्षिण रेलवे की सभी 1243 इमारतों में शत प्रतिशत एलईडी लाइट लगायी गयी है, जिससे जिससे 17.47 लाख यूनिट ऊर्जा की बचत के साथ प्रति वर्ष 1.373 करोड़ रुपए की बचत हो रही है। इसके अतिरिक्त 25 रेलवे स्टेशनों की इमारतों और प्लेटफार्मों पर दक्षिण रेलवे 4 मेगावाट की सोलर प्लांट लगाने की योजना में है। साथ ही तमिलनाडु और केरल में 48 जगहों पर 4-4 मेगावाट सोलर प्लांट लगाने की योजना है।
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