संजीव सिंह, आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
समय आ गया है कि हम इन शोधों को एक पटल पर लाएं और लोगों से जानकारी साझा करें ताकि शोध के आगे या उसकी खामियों को समझकर दूसरी टीम उसपर काम करे। इस सुविधा से समय बचेगा और हम शोध पर बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे। यही नहीं शोध के नतीजों को बृहद स्तर पर समाज व लोक कल्याण के लिए व्यवहार में लाया जा सकेगा।
आईआईटी मद्रास में शुक्रवार को शोध केंद्रों का उद्घाटन करते हुए केंद्रिय विज्ञान एवं तकनीक मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि देश में काफी शोध किए जाने हैं और कई चीजों पर काफी लोग काफी समय से शोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री मोदी का सपना है कि वर्ष 2030 तक भारत की गिनती विश्व में टॉप वैज्ञानिक देशों में से हो।
वर्ष 2030 तक हम अपेक्षा करते हैं कि भारत में पारम्परिक बिजली पर निर्भरता में कमी आएगी और देश में 30 प्रतिशत बिजली क्लीन एनर्जी से आएगी। विज्ञान व तकनीक की मदद से हमें आमजन के लिए रोटी, कपड़ा, मकान, दवा व अन्य चीजें सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने के लिए काम करना चाहिए।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि आईआईटी इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बहुत हद तक सरकार की मदद करेगा। पर्यावरण की सुरक्षा और स्वच्छ बनाए रखने के उपायों को अपने जीवन में शामिल करने का आग्रह करते हुए केंद्रीय मंत्री ने लोगों से आग्रह किया कि वह ग्रीन गुड डीड्स व बिहेवियर को जीवन में अपनाएं। इसके तहत पर्यावरण हतैषी किसी भी अभियान के दैनिक कार्य का हिस्सा बन सकते हैं।
इस मौके पर आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर भास्कर राममूर्ति ने कहा कि कुल 50 करोड़ रुपए के निवेश से स्थापित इन केंद्रों का लक्ष्य अत्याधुनिक शोध के बल पर अभिनव प्रौद्योगिकी साधन प्रदान करना है जो देश में व्याप्त जल एवं ऊर्जा संकट और नई-नई चुनौतियों को दूर करने में सहायक होंगे।
ये केंद्र देश के सतत विकास के लिए अहम प्रौद्योगिकियों जैसे विभिन्न माध्यमों से सौर ऊर्जा के सदुपयोग और वैज्ञानिक पद्धति से पानी के पुनर्चक्रण एवं संरक्षण पर केंद्रित हैं। विश्व स्तर के इन केंद्रों की स्थापना के लिए हर मुमकिन सहयोग देने के लिए आईआईटी मद्रास भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का आभारी है और यह संस्थान वर्तमान सरकार के सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अभिनव ज्ञान और साधन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस मौके पर विज्ञान व तकनीक मंत्रालय के टेक्नोलॉजी मिशन डिवीजन के प्रमुख डा. संजय वाजपेयी, डीएसटी-आईआईटीएम सोलर हार्नेसिंग सेंटर के समन्वयन प्रो. एम एस रामचंद्र राव समेत कई अन्य लोग मौजूद थे।
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