आईएनएन/चेन्नई,@Infodeaofficial
अंडरग्राउंड पाइप में क्षरण की समस्या से सरकारी और निजी संस्थानों के लोग काफी परेशान रहते हैं। आईआईटी मद्रास ने उनकी इस समस्या का स्थाई समाधान खोज लिया है। इस उपाय से तेल और मेट्रो वाटर एजेंसियों को काफी फायदा होगा।
तमिलनाडु पिछले काफी सालों से जलसंकट से जूझ रहा है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि चेन्नई महानगर और उसके आस-पास के इलाकों में जो मेट्रो वाटर सप्लाई किया जाता है उसकी पाइपलाइन के रूटों पर पाइपों में छेद होने के कारण जल का रिसाव होता रहता है।
इसके लिए जमीन की खुदाई कर पाइपलाइन को फिर से ठीक करना उनके लिए काफी परेशानी का काम होता है। इसलिए अधिकांश मामलों में इसकी शिकायत के बावजूद लीकेज को ठीक नहीं किया जा सकता।
मेट्रो वाटर विभाग के एक कर्मचारी का कहना था कि जिन पाइपलाइनों से पानी सप्लाई की जाती है उनकी देखरेख और मरम्मत के प्रति निराशाजनक रवैये के कारण पाइप खराब हो जाती है और सतह पर पानी गिरने के कारण उस पर ध्यान भी नहीं दिया जाता।
पल्लावरम इलाके के लोगों से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि हमने कई बार अपने इलाके में लीकेज की समस्या के बारे में मेट्रो वाटर विभाग के कर्मियों और अधिकारियों से शिकायत भी की पर इस बाबत कोई कार्रवाई जल्द नहीं होती।
वहीं एक और स्थानीय निवासी का कहना था कि पाइलपलाइन को दुरुस्त करने पर काफी खर्चा आता है इसलिए जब तक समस्या बड़ी न हो जाय तब तक कोई भी उलझे काम में हाथ लगाने से बचता है।
आईआईटी मद्रास के सेंटर फॉर नॉन-डिस्टे्रक्टिव इवेल्युएशन में इस रोबोट का विकास किया गया। इस बारे में जानकारी साझा करते हुए आईआईटी के प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल ने बताया कि यह रोबोट छोटे टैंक जैसा दिखता है जिसका नाम एंडोबोट रखा गया है। यह चार चक्कों के सहारे पाइप में विचरण कर सकता है। जिस प्रकार एक टैंक जमीन पर चलता है इस रोबोट के चक्कों को आपस में बेल्ट से जोड़ा गया है। इससे रोबॉट बिने रुके आराम से पाइप के अंदर विचरण कर सकता है।
इस रोबोट की लंबाई 6 इंच है और 8 इंच से ज्यादा के व्यास में यह आराम से सफर कर सकता है। यह रोबोट बिजली से चलता है और 15 सेमी प्रति सेकंड की रफ्तार से चल सकता है। इसके ऊपर एक केमरा लगा होता है जो कि अंदर का वीडियो कैप्चर कर सूचना देता है। प्रोफेसर ने बताया कि इस रोबोट में अभी कुछ और सुधार किया जाना है जो पाइपलाइन में लीकेज, क्रेक व अन्य प्रकार की समस्याओं के बारे में जानकारी देगा।
इस रोबोट को लोगों की आईआईटी मद्रास के पांच विद्यार्थियों और दो प्रोफेसरों की टीम ने विकसित किया है। इन्होंने मिलकर सोलिनास कंपनी का गठन किया। इस टीम में सोलिनास अयराज रमिनेनी, जो कंपनी के सीईओ है इंडोबूट को कांस्पेटैलाइज भी किया है।
इसे बनाने में सीटीओ प्रत्युशा, वरुण कुमार और सुजल है जो इसके इंजीनियर हैं। सोनम पंकज ने सॉफ्टवेयर एंड विजुअलाइजेशन किया। अजयराज और प्रत्युशा आईआईटी मद्रास के एल्युमनाई हैं। वहीं प्रोफेसर प्रभु और प्रोफेसर कृष्णन बालासुब्रमनियन जो आईआईटी मद्रास के फैकल्टीज हैं वे इस टीम के मार्गदर्शक हैं।
प्रोफेसर प्रभु का कहना है कि उनकी टीम ने इस रोबोट का इस्तेमाल आईआईटी मद्रास में प्रायोगिक तौर पर किया है, जहां 40 साल से ज्यादा पुरानी पाइपलाइनें हैं। यही नहीं उन्होंने बताया कि दक्षिण में एक राज्य और कुछ शहरों में इस सुविधा को लागू करने के लिए राज्य सरकार और निगम के अधिकारियों से बातचीत हो रही है।
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