देश के आर्थिक विकास की धुरी बनेगी महत्वाकांक्षाी सागरमाला परियोजना
1998 में एक परियोजना शुरू हुई थी स्वर्णिम चर्तुभुज योजना। रिकार्ड चार वर्ष में तैयार होकर इसने देश के चार महानगरों दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता व मद्रास को जोड़ दिया और अब बहस इस पर होने लगी कि इससे देश का माल परिवहन यातायात तीव्र हुआ तो देश की अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर पड़ा? निस्संदेह देश की अर्थव्यवस्था के विकास में यह सहायक हुई, पर हम यहां इसकी बात नहीं करेंगे, बल्कि इन राजमार्गों से माल ढुलाई की गति को कई गुना बढ़ाने के लक्ष्य से शुरू की गयी महत्वाकांक्षी परियोजना सागरमाला की चर्चा करेंगे।
आईएनएन/चेन्नई,@Infodeaofficial
यहां स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की चर्चा इसलिए की गयी, क्योंकि इसी की तरह सागरमाला परियोजना भी भारत के तटीय क्षेत्रों से परिवहन का संजाल तैयार करके जोड़ेगी। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2015 में प्रारंभ की गयी सागरमाला परियोजना भारत के माल परिवहन यातायात की दृष्टि से तटीय भारत को एक दूसरे से इस तरह जोड़ देगा कि राष्ट्रीय राजमार्गों की श्रृंखला से जुड़कर ये देश की अर्थव्यवस्था को बूम दिलाने की चाबी बन सकती है।
केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री पोन्न राधाकृष्णन कहते हैं, मैरीटाइम क्षेत्र में आधारभूत ढांचों और सुविधाओं का विकास कर देश के आर्थिक विकास को कई गुना संवृद्धि दी जा सकती है। यह परियोजना 8.57 करोड़ की है। इसके अंतर्गत 577 परियोजनाओं पर काम होना है और 2035 तक इसे पूर्ण किए जाने का लक्ष्य है।
भारत के विदेश व्यापार का बड़ा भाग समुद्री मार्ग से होता है। देश का आयात—निर्यात दोनों समुद्री मार्ग की परिवहन सुविधा पर निर्भर हैं। समुद्री मार्ग देश के विभिन्न भागों में हो रहे उत्पादन को निर्यात के लिए विदेशी बाजार में पहुंचाने तथा विदेशों से कच्चा माल या वस्तुओं के आयात के बाद इसे घरेलू उत्पादकों व बाजार तक पहुंचाने का बड़ा माध्यम है।
कन्फेडरेशन आॅफ इंडियन इंडस्ट्रीज(सीआईआई) के पोर्ट कानक्लेव 2018 में राधाकृष्णन ने कहा कि सरकार पोर्ट के विस्तार और उनकी कनेक्टीविटी और तटीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के विकास के लिए संसाधन विकास पर ध्यान देना है। इसके अतंर्गत अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता और नवीनीकरण की जरूरत है।
सागरमाला परियोजना के लाभ का प्रथम बिंदु माल वाहक व्यय में कमी आना बताया जा रहा है। इससे समुद्र तट के किनारे रहने वाले लोगों की जीवन में बदलाव आएगा जिनका अर्थोपार्जन अभी तक मछली पकडऩे पर आश्रित रहा है। जहाजरानी मंत्रालय के संयुक्त सचिव कैलाश कुमार अग्रवाल ने कहा कि सागरमाला परियोजना में 41 निजी—सार्वजनिक साझेदारी (पीपीपी) मॉडल पर निजी क्षेत्र ने 20 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया है।
इस मॉडल के अंतर्गत बंदरगाहों पर 368 मीट्रिक टन क्षमता की संचालन सुविधा का निर्माण किया जाएगा। 632 किलोमीटर नई रेललाइन बिछायी गयी है और 1300 किलोमीटर रेल नेटवर्क 2020 तक जोड़ लिया जाएगा। पोर्ट से जोडऩे वाला 266 किमी मार्ग बनाया या है और 2020 तक अन्य 1600 किलोमीटर मार्ग का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।
चेन्नई पोर्ट के अध्यक्ष पी. रवीन्द्रन ने कहा कि उद्यमी व युवा इस महत्वाकांक्षी परियोजना में रुचि दिखा रहे हैं। सीआईआई को 25 लोगों की टीम बनाकर उनके साथ हर महीने परियोजना की प्रगति को जानना चाहिए। साथ ही सीआईआई व राज्य सरकार नई योजनाओं व सुझाव भी दे, जिसे संबंधित विभाग व मंत्रालय के पास भेजा जाएगा।
कामराजर पोर्ट के कारपोरेट एंड बिजनेस डवलपमेंट महाप्रबंधक संजय कुमार ने बताया कि सागरमाला परियोजना के तहत तूतीकोरिन, पूम्पहार और एण्णूर पोर्ट की पहचान की गई है। केंद्र और राज्य सरकार इस परियोजना के तहत पोर्ट के आसपास के इलाकों का विकास करने में लगी हुई है। ये कार्य जून 2019 तक पूरे कर लिये जाएंगे। इन स्थानों पर विशेष आर्थिक जोन व तटीय आर्थिक जोन का विकास कर निजी कंपनियों को उद्योग—धंधे लगाने के लिए जगह मुहैया कराई जाएगी।
इस परियोजना के शुरू होने से परिवहन की लागत कम होगी और भारत में बनी सामग्रियों को कम लागत पर देश के विभिन्न भागों और अंतरराष्ट्रीय बाजार में आसानी से भेजा जा सकेगा। संजय कुमार ने बताया कि एमएसएमई कार्यक्रम के तहत इन पोर्ट्स पर छोटी इकाइयों को अपना कार्य शुरू करने के लिए सरकार की ओर से सहायता दी जाएगी। परियोजना प्रारंभ होने के बाद अब तक स्थानीय स्तर पर 6000 लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोजगार मिले हैं।