एस विष्णु शर्मा, आईएनएन/चेन्नई, @SVS037
रेलवे अपनी परिवहन क्षमता बढ़ाने में जुटी है। इसी कड़ी में दक्षिण रेलवे ने रोड-रेलर का परीक्षण शुरू किया। यह परिवहन का द्विआयामी मॉडल इकाई है। यह सड़क पर चल सकती है और रेल की पटरियों पर भी। दक्षिण रेलवे के चेन्नई मंडल के मेलपाक्कम और कटपड़ी सेक्शन के बीच यह परीक्षण शुरू हुआ।
रोड-रेलर कॉर्गो यातायात को रोड से रेल तक पहुंचाने में समग्र लॉजिस्टिक इकाई के रूप में काम करेगी और डोर-टू-डोर माल परिवहन को निर्बाध करेगा।
दक्षिण रेलवे किर्लोस्कर न्यूमेटिक कंपनी लिमिटेड (केपीसीएल) के साथ मिलकर इस रोड-रेलर का परीक्षण कर रहे है। केपीसीएल रेलवे को विशिष्ट डिजाइन वाले रोड-रेलर को उपलब्ध करायेगा और इस परियोजना में निवेश करेगा। जबकि केपीसीएल द्वारा तैयार रोड-रेलर के रखरखाव और रेलपथ पर परिचालन की जिम्मेदारी रेलवे की होगी। जबकि रोड पर परिचालन का जिम्मा केपीसीएल अपने रणनीतिक साझेदारों के माध्यम से संभालेगा।
रोड-रेलर इकाई ऐसी होगी कि गोदाम से माल इसमें लादने के बाद सड़क मार्ग से रेलवे टर्मिनल तक लाया जाएगा। इसके बाद यहां इसे रेलवे वैगन के साथ जोड़ दिया जाएगा। इस इकाई में साधारण ट्रक में लगाये जाने वाले पहिये होंगे। रेलमार्ग से संबंधित रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद इसे वैगन से अलग कर दिया जाएगा और इसे ट्रक में लगा दिया जाएगा, जहां से यह इकाई सड़क मार्ग से सीधे अपने गंतव्य को भेज दिया जाएगा। दक्षिण रेलवे शीघ्र ही चेन्नई व हरियाणा के पलवल के बीच रोड-रेलर के वाणिज्यिक परीक्षण की घोषणा करेगा। केपीसीएल ने चेन्नई व पलवल में दो रोड-रेलर टर्मिनल बनाये हैं। इसके अमल में आने के बाद माल के परिवहन में तेजी भी आएगी और आयात व निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।
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