अमेरिकी कांग्रेस मैन कृष्णमूर्ति ने बांग्लादेश से हिंदू विरोधी हिंसा को समाप्त करने और मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का आह्वान किया

आईएनएन/न्यूयोर्क सिटी, @Infodeaofficial

अमेरिकी कांग्रेस मैन राजा कृष्णमूर्ति ने इस्कॉन पुजारी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में हाल ही में हुई अशांति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। एक आधिकारिक बयान में, उन्होंने बांग्लादेशी सरकार से मानवाधिकारों को बनाए रखने, कानूनी सुरक्षा की गारंटी देने और हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों को निशाना बनाकर की जा रही हिंसा की लहर को समाप्त करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य लोगों के खिलाफ चल रही हिंसा अस्वीकार्य है और इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। मैं बांग्लादेश सरकार से शांतिपूर्वक तनाव कम करने के लिए निर्णायक कदम उठाने का दृढ़ता से आग्रह करता हूं।” इलिनोइस कांग्रेसी ने बांग्लादेश द्वारा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों की सुरक्षा करने और गिरफ्तार व्यक्तियों को उचित कानूनी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, “बांग्लादेश सरकार को शांतिपूर्ण विरोध और उचित कानूनी प्रतिनिधित्व के अधिकारों सहित मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं को बनाए रखना चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि मौजूदा तनाव को कम करने के लिए ऐसे उपाय महत्वपूर्ण हैं। यह अशांति चिन्मॉय कृष्ण दास के खिलाफ दर्ज किए गए राजद्रोह के आरोपों से उपजी है, जिन पर 25 अक्टूबर को चटगाँव में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप है। 25 नवंबर को उनकी गिरफ़्तारी ने विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया, जिसकी परिणाम 27 नवंबर को चटगाँव कोर्ट बिल्डिंग के बाहर उनके अनुयायियों और प्रशाशन के बीच हिंसक झड़पों में दिखाई दिया, जिसके परिणामस्वरूप एक वकील की मौत हो गई।गिरफ़्तारियों के बाद स्थिति और खराब हो गई है।

इस्कॉन कोलकाता के अनुसार, दो अनुयायियों, आदिपुरुष श्याम दास और रंगनाथ दास ब्रह्मचारी को 29 नवंबर को जब वे हिरासत में चिन्मॉय कृष्ण दास से मिलने गए थे उसके बाद उन दोनों को भी हिरासत में ले लिया गया। संगठन के उपाध्यक्ष राधा रमन ने यह भी दावा किया कि अशांति के दौरान दंगाइयों ने बांग्लादेश में इस्कॉन केंद्र में तोड़फोड़ की।

बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने 70 अल्पसंख्यक वकीलों और दो पत्रकारों के खिलाफ़ “झूठे और परेशान करने वाले मामले” की निंदा की, जिन पर बर्बरता, तोड़-फोड़ और बम विस्फोट सहित मनगढ़ंत अपराधों का आरोप लगाया गया है। परिषद ने इन आरोपों को तत्काल वापस लेने का आह्वान किया है। परिषद् का कहना है कि ये पूरा मामला इस प्रकार से डिज़ाइन किया गया है कि चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ राजद्रोह के मामले को मीडिया कि लाइमलाइट से हटाया जा सके।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और चरमपंथी बयानबाजी पर चिंता व्यक्त की है, और कहा कि अल्पसंख्यकों पर लक्षित हमलों का मुद्दा लगातार बंगलदेश सरकार के समक्ष उठाया जा रहा है।

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