व्हाट्सअप्प के बदले नियम निजता के अधिकार का हनन
INN/New Delhi, @Infodeaofficial
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से संबंधित समूहों से जुड़े होने के कारण मेरा अधिकांश समय व्हाट्सप्प मैसेज देखने में ही गुजर जाता है। पटल के सदस्य समय-समय पर यहाँ नई खबरें और जानकारियाँ साझा करते रहते हैं। यूपीएससी की तैयारी में लगे होने के कारण मेरे लिए व्हाट्सअप्प बहुत उपयोगी है। हालांकि अपनी प्राइवेसी पॉलिसी बदलने के कारण कुछ लोगों के लिए यह परेशानी का कारण बन सकता है लेकिन मुझपर इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह कहना है प्रसानिक सेवा की तैयारी करने वाले सन्नी कुमार का।
उन्होंने आगे बताया कि साइबर सुरक्षा की पढ़ाई करने वाले उनके कुछ दोस्तों ने बताया है कि सामान्य बातचीत करने वालों को इससे कोई परेशानी नहीं होगी लेकिन व्यावसायिक अथवा गोपनीय कार्य करने वालों के लिए व्हाट्सअप्प का यह नया नियम खतरे की घंटी साबित हो सकता है।
गौरतलब है कि हाल ही में व्हाट्सअप्प द्वारी जारी नई प्राइवेट पॉलिसी को लेकर पूरे देश में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। दरअसल अपनी इस नई पॉलिसी के तहत व्हाट्सअप्प अपने यूजर्स की निजता में सेंधमारी कर सकता है। नए नियम के मुताबिक वाट्सअप्प अपने उपयोगकर्ताओं की सारी सूचनाएँ अपनी पैरेंट्स कंपनी फेसबुक के साथ साझा करेगा। ऐसा होने पर व्हाट्सअप्प पर भेजे जाने वाले आपके निजी संदेश भी अब आपके व्यक्तिगत नहीं रहेंगे। अपनी इस नई पॉलिसी को अमलीजामा पहनाने के लिए कंपनी ने प्रत्येक यूजर को नोटिफिकेशन भेज रहा है और इसके नियम एवं शर्तों को अस्वीकार करने की स्थिति में आपकी व्हाट्सअप्प सेवाएँ बाधित भी की जा सकती हैं।
व्हाट्सअप्प की इस नई पॉलिसी से उत्पन्न अफरा-तफरी एवं जनता जनार्दन के शंका-समाधान के लिए इनफोडिया की टीम ने साइबर विशेषज्ञों संपर्क किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नया नियम केवल इस बात की जानकारी रखेगा कि आपने किसे और कितनी बार संदेश भेजा है। किसी भी हाल में वह यह नहीं जान पाएगा कि आपने क्या संदेश भेजा है। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान हमें निजता का अधिकार देता है ऐसे में कोई भी विदेशी कंपनी अपनी कुछ सुविधाएँ देकर हमारे अधिकारों का हनन नहीं कर सकती। दरअसल हमारी निजता को व्हाट्सअप्प अथवा कोई भी कंपनी तभी साझा कर सकती है जब इसकी जानकारी कोई सुरक्षा एजेंसी मांगे। हालांकि साथियों के साथ पिक्चर या वीडियो साझा करते समय सावधानी बरतने की सलाह देते उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करते समय आप व्हाट्सअप्प के अस्थायी सर्वर पर रहते हैं और इसकी सुरक्षा के संबंध में स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। अगर आप इन लफड़ों से बचना चाहते हैं तो 8 फरवरी से से लागू होने वाले इस नए नियम से पहले इसका उपयोग बंद कर दें।
दूसरे विकल्पों के लिए रहे तैयार
ऐसे में व्हाट्सअप्प की नई नीति का वहिष्कार करते हुए हमें दूसरे विकल्पों पर विचार करना शुरू कर देना चाहिए। जहाँ तक मैं समझती हूँ प्रतियोगिता के इस दौर में अपने यूजर्स की गिरती संख्या से वह अनी नई नीति को बदने पर स्वंय ही मज़बूर हो जाएगा।मधुमाला दस, समाजसेविका
न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी
अगर मुझे कोई ऐसा नोटिफिकेशन आया तो मै व्हाट्सप्प ऐप्प ही डीलिट कर दूंगी। न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी। वर्तमान में व्हाट्सप्प के माध्यम से हम कई निजी और व्यावसायिक जानकारियाँ एक दूसरे के साथ साझा करते हैं। ऐसे में अगर गलती से भी यह किसी गलत हाथ में चला गया तो हमारा जीवन और व्यवसाय दोनों बर्बाद हो जाएगा।रेखा जैन, महिला उद्धमी
अध्यादेश लाकर रोक लगाए सरकार
केंद्र और राज्य सरकारों को इस के खिलाफ अध्यादेश लाकर इस पर रोक लगानी चाहिए। इन नियामकों के खिलाफ भले जनता सड़क पर नहीं उतर सकती लेकिन सरकार को तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।मानव गोयल, होटल कारोबारी
सड़क और संसद हर तरफ आवाज़ उठाना ज़रूरी
कई बार सत्तारूढ़ दल अपने विरोधियों को दमन करने के लिए भी इसका सहारा लेता है। ऐसे में सड़क से लेकर संसद तक में इसके खिलाफ आवाज़ उठाई जानी चाहिए। विजयधरनी, विधायक, तमिलनाडु
मौलिक अधिकारों का हनन है नया नियम
हालांकि किसी विशेष परिस्थिति में सरकार के पास सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर किसी व्यक्ति विशेष पर निगरानी रखने का अधिकार है लेकिन यह केवल विशेष परिस्थिति में ही संभव है।सुनील कुमार, अधिवक्ता
कार्लिफोर्निया के बजाय भारतीय कोर्ट में मामले का हो निपटारा
ऐसे में सबसे अधिक यूजर्स वाले देश के संविधान की अन्देखी करके कैसे कोई कंपनी अपने स्वार्थ के लिए वहाँ के उपयोगकर्ताओं की निजता को सार्वजनिक कर सकती है। मेरा मानना है कि डेटा या निजिता को लेकर किसी भी प्रकार के विवाद का निपटारा कार्लिफोर्निया के बजाय भारतीय कोर्ट में होना चाहिए।विजयशंकर नागराज राव, चेयरमैन, फाउंडेशन ऑफ़ डाटा प्रोटेक्शन प्रोफेशनल