तेल सकंट से निजात दिलाने के लिए आईआईटी मद्रास ने शुरू की खोज
आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
काफी साल पुराने परिपक्व अपतटीय कुओं से भी अब तेल निकाला जा सकेगा। आईआईटी मद्रास ऐसी तकनीक की खोज में लगा हुआ है, जिससे यह सम्भव हो सकेगा। आस्ट्रेलिया की शोध प्रयोगशाला की मदद से यह शोध की जा रही है।
ये लो सेलिनिटी एनहांस्ड ऑयल रिकवरी (एलएसईओआर) पर काम कर रहे हैं। यह शोध आईआईटी मद्रास के ओसियन इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डा. जितेंद्र संगवै के नेतृत्व में की जा रही है।
गौरतलब है कि भारत में कच्चे तेल का उत्पादन देश की जरूरत के हिसाब से कम है इसलिए भारत सरकार तेल और गैस उत्पादन के अन्य वैकल्पिक तरीकों पर ज्यादा जोर दे रही है। डा. जितेंद्र संगवै ने बताया कि हम इस प्रयोग के तहत भूगर्भीय जलाशय से तेल निकालने के तरीके पर काम कर रहे हैं।
इस शोध में उनके छात्र निलेश झा के साथ ही आस्टे्रलिया की कर्टिन यूनिवर्सिटी और एडिथ काउन यूनिवर्सिटी भी इस शोध में मदद कर रही है। डा. जितेंद्र ने बताया कि इस शोध में हम समुद्री पानी में कितनी मात्रा में नमक का इस्तेमाल करें जिससे की तेल के बहाव को प्रोडक्शन वेल की ओर मोड़ा जा सके।
यही नहीं पानी में किस प्रकार के नैनो पार्टिकल को प्रयोग में लाकर तेल के बहाव को प्रोडक्शन वेल की ओर किया जा सके। आमतौर पर जिन तेल के कुओं से तेल निकाला जाता है उनमें 20-30 साल के बाद तेल की मात्रा कम होते-होते अंत में तेल निकालना ही बंद हो जाता है जबकि उनमें 70 प्रतिशत तेल बरकरार रहता है।
समुद्र तल से इसी बचे हुए तेल को निकालने के लिए हम यह शोध कर रहे हैं। इसमें हम कम यह पता लगाने में लगे हैं कि किस तरह लवण वाला पानी अंदर डालकर तेल के बहाव को प्रोडक्शन वेल की ओर किया जा सके।
उन्होंने बताया कि उनकी यह शोध इस साल के अंत तक खत्म हो जाएगी, लेकिन देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग प्रकार का तेल निकलता है इसलिए वे अपनी टीम उन सभी स्थानों का अध्ययन करके वहां से कैसे तेल निकाला जाय उस पर आगे काम करने में लगी है।