आजादी के 75वे साल में भारत को मिले 75वा ग्रैंड मास्टर: विश्वनाथन आनंद

Ritesh Ranjan, INN/Chennai, @royret

मिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 70-80 किलोमीटर दुरी पर स्थित मूर्तिकला के नाम से प्रसिद्ध महाबलीपुरम शहर में 44वा वर्ल्ड चैस ओलिम्पिआड चल रहा है। दुनिया के करीब 187 देशों के खिलाड़ी इस ओलिम्पियड में हिस्सा लेने आये है। यह हम सभी भारत वासियों के लिए गौरव की बात है की हम अपनी आजादी का 75वा महोत्सव मना रहे है। आजादी के इस अमृत महोत्सव में शतरंज के खेल ने चार चाँद लगा दिया है। शतरज के खेल में भारत के ग्रांड मास्टर खिलाडियों की संख्या 75 हो गयी है। ग्रांड मास्टर और भारतीय शतरंज टीम के मेंटर विश्वनाथन आंनद ने एक मीडिया के साथ बातचित में इस बात का खुलसा करते हुए बताया की यह आजादी का महोत्सव वाकई में हम सभी के लिए शतरंज के हिसाब से भी काफी महत्वपूर्ण हो गया है।

 

अपने साक्षातकार में आनंद ने बताया की अभी तो भारत की टीम ने खेल शुरू ही किया है। अभी शुरूआती दौर भारतीय टीम ने अच्छी शुरुआत की है लेकिन जटिल खेल आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। भारत के युवा खिलाडियों से हमें काफी अपेक्षा है। उनके खेल में भी काफी दम है। हाल के मैचों में उन्होंने जो प्रदर्शन किया है उससे हमारा मनोबल काफी बढ़ा हुआ है। प्रज्ञानंदा, गुकेष, निहाल, रौनक इन खिलाडियों ने अपने अच्छे प्रदर्शन से हमारी अपेक्षा और बढ़ा दी है। भारत की टीम में ऐसे खिलाडी है जिनका मैच देखना काफी रोचक होगा। इस रोमांचकारी मैच पर सभी की नगाहे रहेंगी।

 

आनंद बताते है की 75वे साल में भारत के पास भी अब 75 ग्रैंड मास्टर है। वह बताते है की कई मायनो भारत विश्व में शतरंज के खेल में अग्रणी टीमों में से एक है। यह गौरव की बात है की 44वा वर्ल्ड चैस ओलिंपियाड का आयोजन भारत में हो रहा है। हलाकि इसकी तैयारी साल भर पहले से शुरू होती है लेकिन भारत में 4 महीनो में इसकी तैयारी कर दुनिया को भौचक्का कर दिया है। भारत में इस ओलिंपियाड के आयोजन से काफी लोगों में शतरंज के आकर्षण और प्रेम बढ़ेगा।

 

ऑल इंडिया चेस फेडरेशन के अध्यक्ष संजय कपूर ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया की भारत को उसका 75वा ग्रैंड मास्टर मिल गया है लेकिन अभी इसकी आधिकारिक घोषणा होनी बंकी है। भारत का 75वा ग्रांड मास्टर तेलंगाना के राहुल श्रीवास्तव बने है। लेकिन जबतक इंटरनेशनल चैस फेडरेशन की तरफ से इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं होती इसे पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता।

ग्रांड मास्टर के ख़िताब की घोसना करने से पहले कई प्रक्रिया होती है। इन प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद ही फिडे की ओर से किसी को ग्रांड मास्टर का खिताब दिया जाता है। इस बात का फैसला फिडे कांग्रेस की बैठक में हो जाएगा जो जल्द ही होने वाली है। सम्भावना है की इस ओलम्पिआड के दौरान ही फिडे कांग्रेस की बैठक हो और इसपर फैसला हो जाय। सबसे महत्वपूर्ण बात है की ग्रांड मास्टर का ख़िताब जितने के लिए आपको 2500 का पॉइंट स्कोर करना पड़ता है।

आपको बता दे की भारत को पहला ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद के रूप में वर्ष 1988 मिला था। उसके बाद इस सिलसिले को आगे पी हरिकृष्ण ने बढ़ाया। गुकेष डी भारत के सबसे युवा ग्रैंड मास्टर है जिन्होंने प्रज्ञानंदा के रिकॉर्ड को तोड़ा है। जिन्होंने ग्रैंड मास्टर की टाइटल 12 साल 10 महीने में यह टाइटल पायी थी और गुकेष ने यह टाइटल 12 साल 7 महीने में पाया है। इन 75 ग्रांड मास्टर में सबसे ज्यादा 23 ग्रांड मास्टर तमिलनाडु से आते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *