सुनामी को हुए 20 साल लेकिन अभी भी कुछ घाव भरे नहीं
आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
यह वर्ष 2004 का समय ही था जब हम सबको यह जानने और समझने को मिला कि सुनामी होता क्या है। यही वह समय था जब तमिलनाडु और पूरे एशिया में लोग नए साल के आगमन के लिए दिन गिन रहे थे, तब सुनामी आयी और उसने समुद्र के निकट रहने वाले लोगों का घर-बार व जिंदगी तबाह कर दिया!! यह घटना आज के दिन 26 दिसंबर 2004 घटी थी और आज सुनामी को आए 20 साल हो गए हैं।
ग़ौरतलब है कि आज सुनामी के 20 वर्ष पूरा होने पर तमिलनाडु के विभिन्न तटीय इलाको समेत चेन्नई में भी मनाया गया। चेन्नई के इसीआर इलाके में रहने वाले मछुआरा समुदाय के लोगों ने अपने लोगों को याद करते हुए एक पीस मार्च निकला और समुद्र देवता की पूजा की। इस मार्च मार्च के दौरान उनके हाथों में अपने खोये लोगों कि तस्वीरें थी। यह पीस मार्च समुद्र के पास जाकर समाप्त हुआ जहाँ लोगों ने समुद्र देवता को धूप दीप और दूध अर्पित कर उनसे शांत रहने कि कामना की। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से समुद्र देवता का कोप शांत होगा और ऐसी विपदा फिर कभी नहीं आएगी।
2004 में अचानक आई सुनामी के आघात से लोग अभी भी सदमे में है । कइयों ने अपने घर खोए, परिवार वालों को खोया, जिसकी कसक अभी भी लोगों के दिलों दिमाग में बसी हुई हैं। सही तकनीक उपलब्ध नहीं होने के कारण उस समय, समय रहते लोगों को चेतावनी नहीं दी जा सकी। केंद्र और राज्य आपदा प्रबंधन प्रणाली ने पिछले 20 वर्षों में एक लंबा सफर तय किया है और यह अब तेज प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और निकासी योजनाओं आदि से लैस है।
हममें से बहुत कम लोग जानते होंगे कि 2004 में आई सुनामी के बाद तमिलनाडु सरकार ने सभी तटीय गांवों में प्रभावी पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने की दिशा में पिछले 20 सालों में अच्छा काम किया है। अब 3 किलोमीटर के दायरे तक के गांवों को कवर करने वाली 437 ऐसी प्रणालियाँ व्यवस्थापित की गई हैं। अब नियंत्रण कक्ष से स्थानीय निवासियों को ऐसी आपदाओं के बारे मे पहले से जानकारी दी जा सकती है। यह बात सर्वविदित है कि 2004 में सुनामी की लहरों को तमिलनाडु के तटों तक पहुँचने में दो घंटे लगे थे। 2004 में सुनामी 9.1 तीव्रता के भूकंप के कारण आई थी। 2004 में सुनामी की लहरें गाँव के एक हिस्से में 700 मीटर और उसी गाँव के दूसरे हिस्से में 1.5 किमी तक पहुँच गई थीं।