कोसी नदी मचा रही है कहर
INN/Lukhnow, @Infodeaofficial
बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में बहनेवाली कोसी नदी, जिसे ‘बिहार का शोक’ भी कहा जाता है, एकबार फिर अपनी उग्रता से कोसी क्षेत्र के लोगों के बीच दहशत फैला दी है। करीब 56 सालों के बाद नदी ने अति रौद्र रूप लिया था। हालांकि, अब कई इलाकों से बाढ़ का पानी कम हो रहा है। नेपाल में भारी बारिश का दंश बिहार झेल रहा है। नदी-नाले उफान पर हैं, कोसी, गंडक और गंगा नदी में बाढ़ के चलते शहर-कस्बे-गांव हर जगह तबाही देखने को मिल रही है।
सभी नदियां खतरे के निशान के ऊपर हैं। मगर, पिछले 24 घंटे में दरभंगा से लेकर सहरसा कई गांव से बाढ़ का पानी निकला है। सीएम नीतीश कुमार खुद दरभंगा में बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने के लिए पहुँच रहे हैं। इस दौरान वो सामुदायिक किचन और ड्राई फूड पैकिंग का निरीक्षण करेंगे। इसके साथ ही, बाढ़ पीड़ितों से संवाद भी करेंगे। बता दें कि अब तक 13 जिलों में 12 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। सबसे ज्यादा पश्चिमी चम्पारण, अररिया, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण, सहरसा और कटिहार जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।
कोसी का रौद्र रूप अब शांत हो रहा है। 28 सितंबर को कोसी में आयी बाढ़ बाढ़ के कारण सुपौल के लाखों लोग प्रभावित हुए है। कोसी में आयी प्रलयंकारी बाढ़ ने जिले के पांच प्रखंडों की 10 पंचायतों को पूर्ण और 21 पंचायतों को प्रभावित किया है। बाढ़ के कारण 01 लाख 30 हजार 235 लोग बेघर हो गये, जो आज भी अपना घर-द्वार छोड़कर तटबंध पर या फिर अपने संबंधी के यहां शरण लिये हुए हैं। हालांकि, अब बाढ़ का पानी कम होने लगा है और लोग अपने घर की तरफ लौटने लगे हैं।
कोसी ने ऐसी तबाही मचायी की लोगों को रात में बेघर होना पड़ा। खेतों में लहलाती फसलें नष्ट हो गयीं। मवेशी बेहाल हैं और लोगों के पास आज न तो भोजन की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही पीने का साफ पानी उपलब्ध है। हालांकि, इलाके मे जिला प्रशासन और राज्य सरकार बड़े स्तर पर राहत का का कर रही है।
बाढ़ के बाद जब लोग अपने घर लौट रहे हैं तो एक नई जंग सा माहौल है। कई घर टूट गए हैं। जो बचे हैं उनमें बाढ़ के बाद गाद भरा है। कई जगह सड़क ही, टूट गयी है। ऐसे में आवागमन के लिए भी सोचना पड़ रहा है।