आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
श्रीलंकाई तमिलों के खिलाफ हुए अत्याचार और युद्ध अपराध पर भारत सरकार द्वारा संयुक्तराष्ट्र की बैठक में दबाव बनाने को लेकर गुरुवार को नुंगम्बाक्कम स्थित श्रीलंकाई दूतावास के समक्ष गुरुवार को काफी संख्या में लोगों ने जुटकर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व वीसीके नेता तोल तिरुमावलवन और डीवीके नेता कोलातूर मणी ने किया।
करीब 300 से अधिक संख्या में लोगों ने श्रीलंकाई दूतावास के आगे नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन किया। मामले पर विशेष जानकारी देते हुए वीसीके युवा इकाई की सहायक सचिव जयंती अलफोंजे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ का सत्र चल रहा है।
वर्ष 2015 में एक प्रस्ताव पास कर श्रीलंका को लिट्टे के खात्मे के दौरान श्रीलंकाई तमिलों पर हुए अत्याचार, युद्ध अपराध की समीक्षा कर दोषियों पर कार्रवाई और जिन परिवार के साथ ऐसा हुआ उन्हें पुनर्विस्थापित और मुआवजा देने की बात कही गई थी।
लेकिन आज तीन साल होने के बाद भी श्रीलंका ने अब तक इस पर कुछ भी नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद और मौजूदा सरकार की विदेश नीति और प्रभाव का बखान करते नहीं चुकते। तो उन्हें श्रीलंकाई तमिलों के साथ हुए अत्याचार के विषय पर भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में दबाव बनाना चाहिए।
हम नहीं चाहते कि तमिलनाडु में उस देश का दूतावास रहे जहां कि सरकार ने हमारे तमिल भाइयों और बहनों पर अत्याचार किया है। इस प्रदर्शन में एलम तमिल फेडरेशन, वीसीके, डीवीके समेत कई अन्य संगठनों ने भी हिस्सा लिया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों को अपने गिरफ्त में लिया और देर शाम सभी को रिहा करा दिया।
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