अपने घोषणा पत्र में पत्रकारों के हित को भी शामिल करें पार्टियां: जार

पत्रकारों के मुद्दों को घोषणा पत्र में शामिल करने के लिए जार राजस्थान ने कांग्रेस को सौंपा मांगपत्र

राजस्थान में न्यूज वेबसाइट, न्यूज वेबपोर्टल और यू-ट्यूब चैनल को भी मिले विज्ञापन मान्यता

देश और प्रदेश में पत्रकारों पर जानलेवा हमले और हत्याएं की घटनाएं काफी होने लगी है। ऐसे में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाए।

आईएनएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial  

र्नलिस्टस एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) ने भाजपा और कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र में पत्रकार हितों से जुड़े मुद्दों को शामिल करवाने के लिए आज जार पदाधिकारियों ने कांग्रेस घोषणा कमेटी के सदस्य एडवोकेट विभूति भूषण शर्मा से मिले और उन्हें मांग पत्र सौंपा। जार के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा, महासचिव संजय सैनी, प्रदेश सचिव भाग सिंह, शीलेन्द्र उपाध्याय, रीतेश गौत्तम, पिंकसिटी प्रेस क्लब के पूर्व सदस्य रवीन्द्र शर्मा शेखर, महेश पारीक ने पत्रकार से जुड़े मुद्दों से अवगत कराते हुए कांग्रेस के घोषणा पत्र में इन्हें शामिल करने का आग्रह किया।

कमेटी के चेयरमैन पूर्व सांसद हरीश चौधरी, पीसीसी चीफ सचिन पायलट के दिल्ली जाने से उनसे नहीं मिल पाए। जयपुर आने पर इन्हें व्यक्तिगत मिलकर फिर मांगपत्र दिया जाएगा। गुरुवार को भाजपा मुख्यालय में भाजपा घोषणा कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र राठौड़ व सदस्य ओंकार सिंह लखावत को मांग पत्र दिया था। जर्नलिस्टस एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) की ओर से निम्न सुझाव दिए गए।

देश और प्रदेश में पत्रकारों पर जानलेवा हमले और हत्याएं की घटनाएं काफी होने लगी है। ऐसे में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाए। पत्रकारों पर हमले, धमकियों को गैर जमानती अपराध घोषित किया जाए। पत्रकारिता कार्य के दौरान हमले में हताहत और घायल पत्रकारों को सरकार की तरफ से उचित मुआवजा दे और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराएं।

राजस्थान में वयोवृद्ध पत्रकारों की पेंशन योजना बंद है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बुजुर्ग पत्रकारों को पेंशन देने की व्यवस्था कर रखी थी। हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे भाजपा शासित राज्यों में भी पत्रकारों को पेंशन दी जा रही है। ऐसे में राजस्थान के पत्रकारों की पेंशन योजना फिर से शुरु की जाए और कम से कम दस हजार पेंशन रखी जाए, जिससे अपनी लेखनी से समाज व देश हित में कार्य करने वाले पत्रकारों का सम्मान व स्वाभिमान बना रहे।

प्रदेश में पत्रकार आवास योजना के नियम सरल किए जाए। पत्रकार समाज के लिए जिलों में भूखण्ड और फ्लैट हाऊसिंग प्रोजेक्ट को अमल में लाया जाए। जयपुर की नायला पत्रकार आवासीय योजना के सभी सफल आवंटियों को पट्दे देने में आ रही बाधाओं को दूर करके आवंटियों को पट्टे दिलवाए जाए।

बड़े समाचार पत्रों की तर्ज पर लघु व मझौले समाचार पत्रों (दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक व मासिक) को भी मुद्रणालय यंत्र व कार्यालय स्थापित करने के लिए प्रदेश भर में रियायती दर पर जमीन आवंटन किया जाए। रीको क्षेत्र में डीएलसी दर की बीस फीसदी दर पर जमीन आवंटन के नियम बनाए जाए।

लघु व मझौले समाचार पत्रों (दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक व मासिक) को रोस्टर प्रणाली से मासिक विज्ञापनों का आवंटन सुनिश्चित किया जाए। साथ ही उक्त समाचार पत्रों के स्थापना दिवस और सरकार-पार्टी के विशेष आयोजनों पर अलग से विज्ञापन दिया जाए।

वर्तमान युग डिजिटल है। सरकार ने प्रिंट और इलेक्टोनिक मीडिया को विज्ञापन के लिए मान्यता दे रखी है, लेकिन देश और प्रदेश में तेजी से बढ़ते व पसंद किए जा रहे न्यूज वेबसाइट, न्यूज वेबपोर्टल को राजस्थान में मान्यता नहीं है। राजस्थान में न्यूज वेबसाइट, न्यूज वेबपोर्टल और यू-ट्यूब चैनल को विज्ञापन मान्यता देने के लिए नीति बनाई और सरकार बनने के छह महीने में इसे लागू किया जाए।

सभी समाचार पत्रों, मीडिया संस्थानों के कार्यालयों को एक ही छत के नीचे लाने के लिए बहुमंजिला मीडिया सेंटर बनाकर उन्हें कार्यालय आवंटित किए जाए। समाचार पत्रों को पहले रियायती दर पर सरकार न्यूज प्रिंट उपलब्ध कराती थी। इस व्यवस्था को फिर से बहाल किया जाए। क्योंकि न्यूज प्रिंट की लागत बढऩे से अखबार मालिकों के सामने आर्थिक संकट गहराने लगा है।

पीआईबी कार्ड की तर्ज पर राजस्थान में भी पत्रकारों को एक ही कार्ड बनाकर शासन सचिवालय, मुख्यमंत्री कार्यालय, राजस्थान विधानसभा, पुलिस मुख्यालय, राजभवन व दूसरे सरकारी कार्यालयों में आने-जाने की सुविधा प्रदान की जाए। राज्य और राज्य के बाहर सर्किट हाउस व स्टेट गेस्ट हाउस में पत्रकारों के लिए रियायती दरों पर ठहराव की व्यवस्था करना।

पत्रकार अधिस्वीकरण कार्ड योजना में अधिकाधिक श्रमजीवी पत्रकारों को लाभ मिल सके, इसके लिए अखबारों के तय कोटे को बढ़ाया जाए। डिजिटल मीडिया के पत्रकारों का भी अधिस्वीकरण किया जाए और इसके लिए नियम बनाए जाए। मेडिकल क्लेम योजना में अधिस्वीकृत पत्रकारों के साथ गैर अधिस्वीकृत श्रमजीवी पत्रकारों को शामिल करके इन्हें भी लाभांवित किया जाए।

जेडीए, राजस्थान आवासन मण्डल, नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद की आवासीय योजना में अधिस्वीकृत पत्रकारों के लिए तय कोटे को दुगुना किया जाए।

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