‘रेड मिर्ची’ से बच के! नहीं तो हो जाएगी सेंधमारी

दक्षिण रेलवे में ई—टिकट की धांधली के 2233 मामले पकड़ में आने के बाद अधिकारियों के कान खड़े हुए। दक्षिण रेलवे ने 669 स्थानों पर छापेमारी करके ऐसे मामलों में अपराधियों को पकड़ने का प्रयास किया।

रेलवे अधिनियम की धारा 143 में संशोधन कर आॅनलाइन टिकट धांधली, फर्जीवाड़ा के अपराध को शामिल करने का प्रस्ताव

आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial 

रेलवे द्वारा आरक्षित टिकटों में धांधली रोकने के तमाम प्रयासों के बावजूद धांधलेबाज फूलप्रूफ बताए जानेवाले इलेक्ट्रोनिक तंत्र में सेंध लगाने में कामयाब हो रहे हैं। विडम्बना यह है कि रेलवे पूरी मुस्तैदी से इन ई—सेंधमारों को पकड़ती है लेकिन कानून के लूप होल का फायदा उठाकर अधिकांश मामलों में अपराधी साफ बच निकलते हैं।

समस्या यह है कि रेलवे अधिनियम में इलेक्ट्रानिक माध्यम से किए गए अपराध अभी तक शामिल ही नहीं है। अंग्रेजों के जमाने के इस अधिनियम में आजादी के बाद संशोधन तो किए गए, लेकिन सन 2000 के बाद आई सूचना—क्रांति के परिणाम स्वरूप हैकर और आॅनलाइन टिकटों की धांधली करने वाले इलेक्ट्रॉनिक अपराधी अधिक स्मार्ट और तत्पर निकले जबकि इस नए तरह के अपराध से निपटने के लिए सरकारी एजेंसियां कछुआ चाल से चलती रहीं।

टिकटिंग में धांधली व अन्य इलेक्ट्रनिक अपराध अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाने के बाद रेलवे की आंखें खुलीं। रेलवे के विधि विभाग ने अधिनियम की धारा 143 में संशोधन कर इलेक्ट्रानिक अपराधों को भी जोड़ने का प्रस्ताव कर केंद्र को भेजा है।

दक्षिण रेलवे के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त बीरेंद्र कुमार ने बताया कि आॅनलाइन धांधली के मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति् से पूछताछ में रेड मिर्ची के बारे में पता चला। रेलवे ने इसके बाद ऐसे लोगों के विरुद्ध अभियान तेज कर दिया है। 

रेलवे अधिनियम की धारा 143 में संशोधन प्रस्ताव में आॅनलाइन टिकट ठगी, आॅनलाइन धांधली और टिकटों की हेराफेेरी को भी अपराध की श्रेणी में शामिल करने का प्रस्ताव है।

 

हुआ यह कि दक्षिण रेलवे में ई—टिकट की धांधली के 2233 मामले पकड़ में आने के बाद अधिकारियों के कान खड़े हुए।इसके अतिरिक्त रेलवे को बड़ी संख्या में विंडो आरक्षण टिकट, आईआरसीटीसी के माध्यम से आरक्षण टिकट व आॅनलाइन तत्काल टिकट में संदेहास्पद तरीके से सीटें भर जाने की शिकायत भी मिली थी। दक्षिण रेलवे ने 669 स्थानों पर छापेमारी करके ऐसे मामलों में अपराधियों को पकड़ने का प्रयास किया।

इसी क्रम में पकड़े गए एक अभियुक्त ने बताया कि ‘रेड मिर्ची’ नाम के विशेष सॉफ्टवेयर से यह गोलमाल किया जा रहा है। दक्षिण रेलवे ने अब तक ऐसे मामलों में 14 लाख रुपए से अधिक कीमत के ई-टिकट और पीआरएस टिकट जब्त किए हैं। टिकट धांधली के मामले कितने गंभीर है, यह रेलवे के आंकड़ों से पता चलता है।

आरपीएफ ने विगत अक्टूबर माह में आॅनलाइन टिकट धांधली के 1601 मामले पकड़े हैं। पिछले तीन सालों में केवल दक्षिण रेलवे में टिकटों की धांधली के 402 मामले पकड़े गए हैं और 451 लोगों को गिरफ्तार किया गया। ध्यान देने वाली बात यह है कि रेलवे के टिकट आरक्षण कार्यालयों पर भी टिकटों की धांधली करने वाले पकड़े गए हैं। इन आरक्षण कार्यालयों पर ग्राहक रेलवे कर्मचारियों की मिलीभगत से धांधली किए जाने की आशंका जताते हैं।

वीरेंद्र कुमार कहते हैं कि रेलवे इस तरह के मामलों पर गंभीर है और तत्पर कार्रवाई कर रही है। कई टीमें बनाकर ऐसे लोगों को पकड़ा जा रहा है। इधर, रेलवे की ओर से आईआरसीटीसी की साइट में भी सुरक्षा संबंधी कई बदलाव किए गए हैं और हैकरों व धांधलेबाजों का साइट के माध्यम से गड़बड़ कर पाना आसान नहीं है।बीरेंद्र कुमार, प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त, दक्षिण रेलवे

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