आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
तमिलनाडु के सेलम में एक पेपर मिल में काफी समय से बाहर के प्रदेशों से लोगों को रोजगार दिलाने के नाम पर यहां लाया जाता है और उनसे जबरन काम कराया जाता है। इस काम के एवज में इन्हें न कोई मेहनताना मिलता है और नहीं छुट्टी। गोपी थाना स्थित आशा पेपर मिल में इन मजदूरों से काम कराया जाता है। मजदूरों की शिकायत है कि न तो इन्हें काम के एवज में वेतन मिलता है और न ही इन्हें बेहतर भोजन या छुट्टी मिलती है।
गौरतलब है कि करीबन एक साल पहले बिहार के भोजपूर जिले के बलुवा गांव से 11 मजदूरों को रोजगार के नाम पर बिहार का ही एक ठिकेदार तमिलनाडु के सेलम लेकर आया। सेलम लाने से पहले ठेकेदार ने इन मजदूरों को काफी रंगीन सपने दिखाए थे और काम के नाम पर इनलोगों को सेलम लेकर आ गया। यहां आने के बाद उनके पैरो तले जमीन ही खीसक गई।
इनलोगों को बिहार के भोजपूर जिले का ही एक कांट्रैक्टर सेलम लेकर आया। सेलम लाने के बाद उस कांट्रेक्टर का व्यवहार अचानक से बदल गया। इनलोगों को एक कमरे में बंद कर रखा जाता है और एक गाड़ी से पेपर मिल ले जाया जाता है। मजदूरों की शिकायत है कि इन्हें समय पर खाना भी नहीं दिया जाता है और वेतन को दूर की कौड़ी है।
तीन महिने पहले इस ग्रुप में से तीन लोग समी और उसके दो साथी वहां से किसी तरह से इनके चंगुल से फरार होने में कामयाब रहे।
फरार होने के बाद जब ये लोग अपने गांव पहुंचे तो वहां से वीडियो बनाकर पत्रिका टीम से संपर्क किया और अपने बांकी की साथियों की रिहाई की गुहार लगाने लगे।
इन लोगों का कहना है कि इनसे जबरन वहां काम कराया जाता था। बिमार होने के बावजूद भी इनकी एक न सूनी जाती थी।
इनलोगों का कहना है कि वहां अभी भी लगभग 40-50 मजदूर है जिन्हें बहला-फसला कर वहां लाया गया और जबरन उनसे काम कराया जाता है। इनके बंधक साथियों के नाम रोहली, लगड़, गुंजा, गुड्डु, धनजी, बाबुनंद, साहवली और नंदजी है। ये सभी मूसहर जाति याने अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं।
Leave a Reply