शिक्षा का मतलब केवल किताबी ज्ञान हासिल करना हीं नहीं : आचार्य महाश्रमण

श्रेया जैन, आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial 
चेन्नई के मद्रास विश्वविद्यालय में बुधवार को आयोजित आचार्य तुलसी इंडोवमेंट लेक्चर 2018-19 को संबोधित करते हुए तेरापंथ धर्म संघ के ग्यारहवें आचार्य महाश्रमण ने कहा कि अज्ञान क्रोध से भी खतरनाक है। इसलिए ज्ञानार्जन करना जरूरी है। हिंसा मानव संस्कृति नहीं बल्कि विकृति है, हमें इससे बचना चाहिए।
मौजूदा दौर में पढ़े-लिखे लोग भी हिंसक हो जाते हैं जिसका प्रमुख कारण हमारी शिक्षा में अध्यात्म का नहीं होना है। अज्ञानी व्यक्ति खुद को ही नहीं दूसरों को भी नुकसान पहुंचाता है। शिक्षा का मतलब केवल किताबी ज्ञान हासिल करना हीं नहीं बल्कि संस्कार अर्जित कर उसे जीवन में उतारना भी होता है। लेकिन आज के दौर में शिक्षण संस्थानों में केवल किताबी ज्ञान को महत्व दिया जाता है।
आचार्य ने कहा, हमें सभी शिक्षण संस्थानों में विभिन्न विषय व विभागों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को अध्यात्म की शिक्षा देनी चाहिए तभी जाकर शिक्षा का सही उद्देश्य हासिल होगा।
युवाओं को अध्यात्म के साथ बेहतर जीवन के बारे में जागरूक करना केवल शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि अभिभावक, मीडिया और साधु-साध्वियों की भी होती है। विद्यार्थियों को हिंसक नहीं होना चाहिए।
भारत के पास संत और धर्म संपदा बड़ी संख्या में है। हमें अपनी धर्म संपदा का प्रसार विदेशों में भी करना चाहिए।
इस मौके पर कृष्णचंद चोरडिय़ा, मद्रास विवि के सिंडीकेट सदस्य डा. वी. विशाल, विवि के जैनोलॉजी विभाग की प्रमुख डा. प्रियदर्शना जैन, श्री जैन श्वेताम्बर ट्रस्ट ट्रिप्लीकेन के प्रबंध न्यासी गौतम सेठिया, सुनील संचेती, महावीर संचेती, आचार्य श्री महाश्रमण चातुमार्स व्यवस्था समिति के अध्यक्ष धरमचंद लूंकड़ समेत कई अन्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम में ढ़़ाई हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। 
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