टोंक का दूणजा माता मंदिर जंहा माता करती है सुरापान
द्रोणाचार्य की तपोस्थली दूनी में मौजूद है यह चमत्कारी मंदिर
INN/Jaypur, @Infodeaofficial
राजस्थान का एक ऐसा मंदिर जंहा आज भी मातारानी की प्रतिमा भोग के रूप में चढ़ाए जाने वाली शराब का करती है सुरापान ओर भक्तों के जयकारों से गूंजता है। दूणजा माता का यह मंदिर मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है वह इस स्थान पर कभी द्रोणाचार्य ने तपस्या की थी मंदिर में वैसे तो सालभर भक्तों की भीड़ उमड़ती है पर खास तौर पर नवरात्रों में 9 दिनों तक होते है। विशेष आयोजन टोंक जिले के दूनी गांव में मौजूद इस मंदिर में मां को लगता है शराब का भोग वही माता प्रतिमा की माला से पुष्प गिरा तो समझों पूरी होगी भक्त की हर मुराद, दूणजा माता मंदिर में सालों से चमत्कार होता आया है। जहां आज भी माता के भक्त अपनी मुराद के लिए यहां पंहुचते है क्या है मंदिर से जुड़ी भक्तों की आस्था और सुरापान को लेकर भक्तों की आस्था देखिये यह रिपोर्ट।
शारदीय नवरात्रों के दौरान जंहा श्रद्धालु मां देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा अर्चना करेंगे वही शारदीय नवरात्रों में गरबा की धूम के साथ मन्दिरो में श्रदालुओ का सैलाब पहले दिन से लेकर रामनवमी तक उमड़ेगा। टोंक जिले के दूनी में मौजूद सुरापान करने वाली दूणजा माता जी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई है। इस मंदिर में देश-प्रदेश के श्रद्धालुओं की आस्था ओर श्रृद्धा के साथ भक्तों का विश्वास जुड़ा हुआ है की यंहा आकर जो भी भक्त कोई मन्नत ओर मुराद मांगता है तो माता की प्रतिमा से स्वतः ही पुष्प नीचे गिरता है। इस प्राचीन मंदिर में भक्त अपनी अर्जी पूरी होने के बाद शराब की बोतल लेकर पहुंचते हैं वह मंदिर में पुजारी के हाथों पीपल के पत्ते के सहारे माता जी के मुंह पर शराब की धार लगाई जाती है, तो दूणजा माता जी की यह चमत्कारी प्रतिमा शराब का भोग ग्रहण करने लगती है। यह परम्परा ओर सिलसिला सालों से चला आज भी निरन्तर जारी है।
टोंक जिले के दूनी गांव में प्राचीन तालाब के किनारे प्राचीन दूणजा माता का मंदिर मौजूद है। इस मंदिर में चैत्र और शारदीय नवरात्रों में भक्तों की भीड़ भारी संख्या में उमड़ती है. इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी होने के साथ ही यहां चमत्कार भी देखने को मिलता है. यह मंदिर सुरापान करने वाली दूणजा माता जी के नाम से प्रसिद्ध है।
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष भवर लाल चौधरी बताते हैं कि यहां बारह महीनों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। यह प्राचीन दूणजा माता मंदिर का इतिहास महर्षि द्रोणचार्य की साधना-तपोबल से जुड़ा हुआ है। दूनी कस्बे का नाम पहले द्रोणनगरी था। इस प्राचीन मंदिर का इतिहास करीब 900 साल से ज्यादा पुराना है. इस मंदिर में चार फिट की दूणजा माता की प्रतिमा स्थापित है।
लोक कथाओं के अुनसार माता स्वयं पाषाण की प्रतिमा में परिवर्तित हुई थीं। अंग्रेजो के शासन काल में इस मंदिर के चमत्कार को देखकर अंग्रेज अफसरों ने माता के मंदिर में प्रतिमा के सुरापान की जांच के लिए खुदाई करवाई थी, लेकिन कहीं कोई सुराग नही मिला। दूणजा माता मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष भंवरलाल जाट के अनुसार मंदिर के चढ़ावे की राशि से मंदिर के विकास के प्रयास लगातार जारी है। मंदिर में सुविधाओं के प्रयास लगातार जारी है. जिसके चलते अब धर्मशाला और बरामदों का निर्माण किया जा रहा है ।
टोंक जिले का यह प्राचीन मंदिर सेकड़ो सालो से लोगो की आस्था का केंद्र बना हुआ है यंहा तक कि गांवो के झूठ सच से जुड़े कई मामलों को लेकर भी लोग कहते है कि तू सच्चा है तो माता के दरबार मे चलकर कसम खा माना जाता है कि झूठ बोलने वाले ओर अन्यायी को माता रानी खुद दंड देती है।