रीतेश रंजन, आईआईएन/चेन्नई, @Royret
कोरोना महामारी से बचने के लिए देश भर में लॉक डाउन की घोसना की गयी है । यह लॉक डाउन तमिलनाडु में भी लागू किया गया है। इस लॉक डाउन के बाद से लोगो का घर से निकलना बंद है इसके कारन उन लोगों काफी परेशानी का सामना करना पड़ा जिन्हे अपने काम के कारन घर से बहार निकलना पड़ रहा है।
ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री जे जयलिलता द्वारा शुरू किया गया अम्मा कैंटीन लाइफ लाइन बन कर उभरा है। आपको बता दे की अम्मा कैंटीन में सस्ते दरों पर लोगो के भोजन उपलब्ध कराया जाता है। यहाँ 5 रुपये में सांभर राइस (खिचड़ी), तयीर राइस (दही चावल) एक रुपये में रोटी उपलब्ध कराये जाती है।
मुशीबत के इस समय में जहा अम्मा कैंटीन के स्टाफ भूखे लोगों को सस्ते में भोजन मुहैया करा रहे है वही इनकी मुसीबतों पर अबतक किसी का ध्यान नहीं गया है। एग्मोरे के अम्मा कैंटीन की संचालक चंद्रा का कहना है की इस अम्मा कैंटीन में आमिर हो या गरीब सभी को एक प्रकार से सेवा दी जाती है।
लॉक डाउन के बाद से कैंटीन में लोगों की काफी भीड़ आती है। लेकिन उनके लिए चिंता का विषय यह है की यहाँ काम करने वाले लोगों को सरकार की ओर से किसी प्रकार का मास्क या सेनिटिज़ेर उपलब्ध नहीं कराया गया है। इसके अलावा वह और उनके कर्मचारी शहर के दूर- दराज के इलाके से यहाँ आते है।
वाहन की उनुप्लब्धता के कारन इन्हे और इनके कर्मचारियों को काम पर आने में काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। उनके परिवार का कोई सदस्य अगर उन्हें छोड़ने भी आता है उसे पुलिस की जलालत झेलनी पड़ती है। इनकी यही मांग है की इन्हे भी सरकार की ओर से आईडी कार्ड और पास की व्यवस्था होनी चाहिए। सरकार अगर इन्हे आईडी कार्ड और पास की व्यवस्था कर दे तो इन्हे और इनके परिवारवालो को रोजाना पुलिस से दो दो हाथ करने की मुसीबत से छुटकारा मिल जाएगा।
वह बताती है की यह समस्या केवल उनके साथ ही नहीं अम्मा कैंटीन में काम करने वाले सभी कर्चारियों के साथ आती है। लॉक डाउन के इस मुसीबत के समय में जब हम लोगों के काम आ रहे है तो सरकार को हमारी सुरक्षा और सुविधा के बारे में भी सोचना चाहिए। आम लोगों को जहा सरकार सेनिटिज़ेर और मास्क बाट रही है वही हमलोगो के लिए भी ऐसी सुविधा मुहैया करनी चाहिए।
मौजूदा समाया में इस अम्मा कैंटीन में सरकारी कर्मचारियों और बुजुर्गों को मुफ्त भोजन कराया जाता है। एक आंकड़े के मुताबिक 24 मार्च से अबतक चेन्नई के 4.07 लाख अम्मा कैंटीन में 26.32 लाख इडली, 7.27 लाख चावल के भोज्य उत्पाद और 15.03 लाख रोटी बेचे गए है। 24 मार्च के बाद से अम्मा कैंटीन में 30 प्रतिशत अधिक फुट फाल देखा गया है।
चेन्नई महानगर निगम में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले जॉन वेस्ली का कहना है की लॉक डाउन के बाद से उन्हें खाने की काफी समस्या हो रही थी लेकिन अम्मा कैंटीन उनके लिए ऐसे समय में संजीवनी का काम कर रहा है।
अम्मा कैंटीन इस समय में उनके लिए ही प्रवाशी मजदूरों और अन्य के लिए काफी लाभकारी साबित हुआ है। उत्तर भारत से आये वो मजदुर जिनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं और सिमित धन राशि है उनके लिए अम्मा कैंटीन बहुत लाभकारी है क्योकि यहाँ काम दरों में भोजन उपलब्ध होता है।
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